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Interest Rate on FD : देश में ज्यादातर प्रमुख बैंक शॉर्ट टर्म एफडी की सुविधा देते हैं. एफडी का विकल्प चुनते समय उस पर मिलने वाले ब्याज की जानकारी ले सकते हैं. (Pixabay)
Short Term FD Rates : इक्विटी मार्केट को कम समय में हाई रिटर्न देने के लिए जाना जाता है, लेकिन इसमें जोखिम भी होता है. इक्विटी मार्केट में उतार और चढ़ाव का दौर चलता रहता है. अभी शेयर बाजार में 5 महीने से भी ज्यादा समय से गिरावट का दौर चल रहा है, जिससे निवेशकों को भारी नुकसान हुआ है. जहां हर सेग्मेंट के ज्यादातर शेयर इस गिरावट में कमजोर हुए हैं, वहीं इक्विटी म्यूचुअल फंडों में भी निवेशकों का पैसा डूब रहा है. ऐसे में नए सिरे से पैसा लगाने का इंतजार कर रहे निवेशक कनफ्यूज हैं और बाजार के स्टेबल होने का इंतजार कर रहे हैं. अगर आप भी इन्हीं में हैं तो पैसा बचत खाते या अपने पास रखने की बजाए 1 साल की एफडी में निवेश कर सकते हैं. वहीं बाजार के स्टेबल होने पर बेहतर ब्याज के साथ इस फंड का इस्तेमाल नए सिरे से एसेट एलोकेशन में कर सकते हैं.
फिक्स्ड डिपॉजिट भारत में सबसे अधिक डिमांड और पॉपुलर विकल्पों में शामिल है. पूरी तरह से रिस्क फ्री, रिटर्न की गारंटी और बचत खाते की की तुलना में ज्यादा ब्याज प्रमुख वजह है कि एफडी बहुत बड़ी संख्या में निवेशकों को आकर्षित करती हैं. एफडी की बात करें तो इसमें निवेशकों का पैसा एक तय अवधि के लिए जमा रहता है और इस पर पहले से तय ब्याज के हिसाब से रिटर्न मिलता है. वैसे शॉर्ट टर्म एफडी का टेन्योर 7 दिन से शुरू हो जाता है, लेकिन 1 साल इंतजार करें तो बेहतर रिटर्न मिलेगा. वैसे 5 साल की एफडी देश में ज्यादा पॉपुलर है.
शॉर्ट टर्म इन्वेस्टमेंट दूर करेगा टेंशन
1 साल की एफडी जहां शॉर्ट टर्म इन्वेस्टमेंट की कैटेगरी में होता है, वहीं 3 साल से 5 साल की एफडी लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट कैटेगरी में आती है. अगर आप शेयर बाजार के निवेशक हैं, लेकिन बाजार के स्टेबल होने तक पैसा इक्विटी में नहीं लगाना चाहते, तो 1 साल की एफडी में डिपॉजिट कर आप टेंशन फ्री हो सकते हैं. 1 साल में जहां आपको अपनी पूंजी पर बेहतर ब्याज मिलेगा, वहीं 1 साल बाद इस नैसों का आप फिर से इक्विटी में निवेश के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं. फायदा यह होगा कि इस 1 साल में आपको अपने जमा पर बेहतर रिटर्न भी मिल जाएगा. एक्सपर्ट का भी मानना है कि लिक्विडिटी के लिहाज से अपना कुछ पैसा इस तरह के सुरक्षित शॉर्ट टर्म विकल्पों में लगाना चाहिए.
1 साल की एफडी पर कितना ब्याज?
देश में ज्यादातर प्रमुख बैंक या स्मॉल फाइनेंस बैंक शॉर्ट टर्म एफडी की सुविधा देते हैं. इसलिए शॉर्ट टर्म एफडी का विकल्प चुनते समय आप उस पर मिलने वाले ब्याज की जानकारी ले सकते हैं. हमने यहां बैंक बाजार डॉट कॉम, पैसा बाजार डॉट कॉम और अलग अलग बैंकों की वेबसाइट के साथ कुछ फाइनेंशियल वेबसाइट से 1 साल की एफडी पर मिलने वाले रिटर्न की जानकारी दी है.
सरकारी बैंक : 1 साल की FD पर ब्याज
एसबीआई : 6.80%
PNB : 6.75%
बैंक ऑफ बड़ौदा : 6.85%
केनरा बैंक : 6.85%
बैंक ऑफ इंडिया : 6.80%
बैंक ऑफ महाराष्ट्र : 6.75%
सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया : 6.80%
इंडियन बैंक : 6.10%
इंडियन ओवरसीज बैंक : 7.10%
यूनियन बैंक ऑफ इंडिया : 6.80%
प्राइवेट बैंक : 1 साल की FD पर ब्याज
HDFC बैंक : 6.60%
ICICI बैंक : 6.70%
एक्सिस बैंक : 6.70%
बंधन बैंक : 8.05%
सिटी यूनियन बैंक : 6.50%
फेडरल बैंक : 7.10%
IDBI बैंक : 6.80%
IDFC फर्स्ट बैंक : 6.50%
इंडसइंड बैंक : 7.75%
J&K बैंक : 6.75%
कर्नाटका बैंक : 7.25%
करूर व्यासा बैंक : 7%
कोटक महिंद्रा बैंक : 7.1%
RBL बैंक : 7.5%
साउथ इंडियन बैंक : 6.8%
येस बैंक : 7.75%
स्मॉल फाइनेंस बैंक : 1 साल की FD पर ब्याज
यएू स्मॉल फाइनेंस बैंक : 7.25%
इक्विटास स्मॉल फाइनेंस बैंक : 8.1%
जना स्मॉल फाइनेंस बैंक : 8.25%
नॉर्थ ईस्ट स्मॉल फाइनेंस बैंक : 7%
शिवालिक स्मॉल फाइनेंस बैंक : 6%
सूर्योदय स्मॉल फाइनेंस बैंक : 8.25%
उज्जीवन स्मॉल फाइनेंस बैंक : 8.1%
यूनिटी स्मॉल फाइनेंस बैंक : 7.85%
उत्कर्ष स्मॉल फाइनेंस बैंक : 8%
शॉर्ट टर्म एफडी के और भी हैं फायदे
शॉर्ट टर्म एफडी के और भी फायदे हैं. जैसे कि मान लिया आपने 5 साल की एफडी की है और 1 साल के बाद ही आपको अचानक से पैसे की जरूरत पड़ जाती है. इसमें अगर आप मैच्योरिटी के पहले एफडी तोड़ते हैं तो पेनल्टी देनी पड़ती है. जबकि गर आपके पास शॉर्ट टर्म एफडी है तो आपकी टेंशन दूर हो सकती है. अगर आपको 1 साल यानी मैच्योरिटी पूरी होने पर पैसे की जरूरत नहीं है तो आप उसे और बेहतर ब्याज देने वाले बैंक में फिर निवेश कर सकते हैं.
यानी अगर आपने 1 साल की एफडी की है और 1 साल बाद ही एफडी पर ब्याज दरें बढ़ जाती हैं तो आप उस पर फिर से बेहतर ब्याज दर लॉक कर सकते हैं. 1 साल की एफडी में भी नॉमिनी की सुविधा है. ध्यान रखें कि फिक्स्ड डिपॉजिट पर हासिल होने वाला ब्याज टैक्सेबल होता है. चाहे वह 1 साल की एफडी हो या 5 साल की एफडी. टैक्स की दर इंडिविजुअल इनकम टैक्स स्लैब पर निर्भर करती है.