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Golden Years of Retirement : रिटायरमेंट पर कितना फंड होगा पर्याप्‍त, 30 साल में 4 से 5 गुना बढ़ने वाला है खर्च

Inflation Impact on Finance : महज 30,000 रुपये का मंथली खर्च अगले 30 साल में बढ़कर 1.40 लाख रुपये हो जाएगा (महंगाई दर 5.3% मानते हुए). वह भी तब जब हम उसी लाइफ स्‍टाइलको अपनाए रहें.

Inflation Impact on Finance : महज 30,000 रुपये का मंथली खर्च अगले 30 साल में बढ़कर 1.40 लाख रुपये हो जाएगा (महंगाई दर 5.3% मानते हुए). वह भी तब जब हम उसी लाइफ स्‍टाइलको अपनाए रहें.

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Sushil Tripathi
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How to prepare golden years of retirement

Retirement Savings Rate : एक स्‍टडी में पाया गया कि भारत में औसत रिटायरमेंट सेविंग्स रेट सालाना इनकम का सिर्फ 8 फीसदी है. (Pixabay)

Best Way for Retirement Planning : रिटायरमेंट किसी के जीवन का वह गोल्‍डेन फेज है, जहां उसे पैसे कमाने के लिए ऑफिस जाकर काम नहीं करना पड़ता है. रिटायरमेंट के बाद जहां जिम्मेदारियां कम होती हैं, वहीं ज्‍यादा समय और स्वतंत्रता मिलती है. किसी व्यक्ति के जीवन का यह चरण बेहद खूबसूरत और रोमांचक हो सकता है, लेकिन शर्त यह है कि वे आर्थिक रूप से सुरक्षित हों. अगर आप भी रिटायरमेंट की बाद के दिनों को गोल्‍डन ईयर्स बनाना चाहते हैं तो इसके लिए किस तरह से तैयारियां करनी चाहिए, आपको किन वित्तीय संसाधनों की आवश्यकता होती है और इसके लिए कैसे तैयार रहना चाहिए, इन सभी बातों पर बड़ौदा बीएनपी पारिबा म्यूचुअल फंड के सीईओ, सुरेश सोनी से विस्‍तार से जानकारी दी है. 

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रिटायरमेंट के बाद सपोर्ट  

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ग्‍लोबल स्तर पर, किसी रिटायर हो चुके एक व्यक्ति का सपोर्ट या भरण पोषण के लिए औसतन 3.4 कामकाजी लोग हैं. 2050 तक यह संख्या घटकर 2 रह जाने का अनुमान है. जापान पहले से ही इसी स्थिति में है और अगले दो दशकों में, 35 से अधिक अन्य देश भी जापान की श्रेणी में शामिल हो जाएंगे, जहां एक बुजुर्ग के सपोर्ट के लिए 2 कामकाजी लोग ही होंगे. बुजुर्ग आबादी वाले देश पहले से ही फाइनेंशियल लिटरेसी में सुधार, रिटायरमेंट की उम्र बढ़ाने, व्यापक स्‍पॉन्‍सर्ड मेडिकल सुविधाएं प्रदान करने और यहां तक कि वरिष्ठ नागरिकों की सहायता के लिए "केयर रोबोट" का निर्माण करके इस चुनौती को कम करने की राह पर हैं.

क्‍या है रिटायरमेंट पर प्रमुख जोखिम 

लेकिन भारत जैसे युवा देश का क्या हाल है? भारत की औसत आयु वर्तमान में 30 साल है, वहीं देश में अगले 20 से 30 साल में प्रमुख डेमोग्राफिक बदलाव होंगे. साइंस और टेक्नोलॉजी के विकास के चलते भारत में लोग अब ज्यादा समय तक जीवित रह रहे हैं. इसके अलावा, लोगों के वर्किंग ईयर्स कम हो रहे हें, क्‍योंकि लोग स्‍टडी ज्‍यादा समय तक कर रहे हैं और देरी से वर्कफोर्स में शामिल हो रहे हैं. इस तरह, अब रिटायरमेंट में मुख्य जोखिम यह है कि उस समय हम पूरी तरह से फाइनेंशियल फ्रीडम के लिए तैयार नहीं हो पाते हैं. इसलिए इस जोखिम पर ध्‍यान रखना जरूरी है. 

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रिटायरमेंट इनकम के पिलर्स 

रिटायरमेंट इनकम के 4 पिलर्स हैं. सामाजिक सुरक्षा, रोजगार-आधारित योजनाएं, पर्सनल रिटायरमेंट एसेट और पारिवारिक/सामाजिक संरचना. भारत में सामाजिक सुरक्षा उतनी विकसित या व्यापक नहीं है, जितनी एडवांस देशों में है. सिर्फ ऑर्गेनाइज्‍ड सेक्‍टर और सरकार के लिए काम करने वाले लोग ही रोजगार-आधारित पेंशन योजनाओं के लिए योग्य हैं. वहीं सामाजिक संरचनाएं बदल रही हैं, और लोग कंबाइंड फैमिली सिस्‍टम से न्यूक्लियर फैमिली सिस्‍टम की ओर बढ़ रहे हैं, ऐसे में कोई भी रिटायर होने के बाद इनकम के लिए परिवार के सपोर्ट पर निर्भर नहीं रह सकता है. इसलिए पर्सनल रिटायरमेंट एसेट यानी रिटायरमेंट के बाद आपके पास कितनी संपत्ति है, यही भारतीयों के लिए सबसे भरोसेमंद रिटायरमेंट इनकम पिलर है. 

महंगाई खामोशी से पैदा करती है चुनौतियां

महंगाई लगातार बढ़ती जा रही है. किराने के सामान से लेकर बिजली की लागत, टैक्सी किराए से लेकर मेडिकल की लागत तक, महंगाई सभी वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों को प्रभावित करती है. उदाहरण के लिए, महज 30,000 रुपये का मंथली खर्च अगले 30 साल में बढ़कर 1.40 लाख रुपये हो जाएगा (महंगाई दर 5.3% मानते हुए). वह भी तब जब हम उसी लाइफ स्‍टाइलको अपनाए रहें. अगर लाइफ स्‍टाइल इनफ्लेशन को जोड़ दें तो किसी का मंथली बजट और भी बढ़ जाएगा.

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हम कितना निवेश कर रहे हैं?

सीएफए इंस्टीट्यूट और पेंसिल्वेनिया यूनिवर्सिटी के सहयोग से इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रिटायरमेंट द्वारा की गई एक स्‍टडी में पाया गया कि भारत में औसत रिटायरमेंट सेविंग्स रेट सालाना इनकम का सिर्फ 8 फीसदी (Retirement Savings Rate) है. मान लीजिए कि 30 लोगों का औसत सालाना वेतन 10 लाख रुपये है. तो, औसतन, वे रिटायरमेंट के लिए हर साल 80,000 रुपये बचाते हैं. अगर कोई इसे अगले 30 साल तक जारी रखता है, तो उसके पास 1.75 करोड़ रुपये का फंड जमा हो जाएगा. क्या यह फंड पर्याप्त है?

रिटायरमेंट के लिए कितना फंड चाहिए?

अगर हम अभी 30,000 रुपये मंथली खर्च मान लें. वहीं 5.3 फीसदी की महंगाई दर से बढ़ते हुए यह 30,000 रुपये अगले 30 साल में 1.40 लाख रुपये तक पहुंच जाएगा. यानी अभी जिस काम पर 30,000 रुपये खर्च होते हैं, 30 साल बाद 1.40 करोड़ की जरूरत होगी. यह मानते हुए कि लाइफ एक्‍सपेंटेसी 90 साल है, उसी लाइफ स्‍टाइल को बनाए रखने के लिए किसी को 5.1 करोड़ रुपये के रिटायरमेंट फंड की आवश्यकता होगी. यानी हम जैसा रिटायरमेंट चाहते हैं और जिसकी हम तैयारी कर रहे हैं, उसके बीच 3.5 करोड़ रुपये का बड़ा अंतर है.

रिटायरमेंट के लक्ष्‍य पर फोकस करें

बहुत से लोग लंबी अवधि का लक्ष्‍य तय करने की बजाए वर्तमान की जरूरतों को पूरा करने पर ही फोकस करते हें. यही सोच रिटायरमेंट के बाद टेंशन देती है. हम तुरंत की जरूरतों और इच्छाओं को प्राथमिकता देते हैं, जिससे रिटायरमेंट के लिए बचत कम हो जाती है. बहुत से लोगों को लगता है कि रिटायरमेंट बहुत दूर है, इसलिए इसका महत्‍व समझ में नहीं आता. 

निवेश जल्दी शुरु करें, शांति से रिटायर हों

अगर 30 साल में 5.3 करोड़ रुपये का फंड बनाना है तो 11.50 फीसदी सालाना का रिटर्न मानते हुए हर महीने 17,000 रुपये का निवेश करना होगा. 

(नोट- रिटर्न का कैलकुलेशन सेंसेक्स और निफ्टी के लिए 01/06/13 और 30/05/23 के बीच 10-ईयर रोलिंग रिटर्न को ध्यान में रखकर किया गया है, एसआईपी उदाहरणों के लिए AMFI द्वारा निर्धारित रिटर्न की दर.)

लगातार और अनुशासित निवेश लॉन्‍ग टर्म फंड बनाने में मदद करता है. इसलिए निवेश (Financial Planning) जल्दी शुरू करें. जल्दी शुरुआत करने और लंबी अवधि तक लगातार निवेश करने से निवेशकों को कंपाउंडिंग की ताकत का लाभ उठाने का अवसर मिलता है. निवेश में देरी करने से आपके रिटायरमेंट फंड में कमी आ जाएगी. 

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कहां करें निवेश 

रिटायरमेंट प्लानिंग के लिए एसआईपी (Sip Investment) एक बेहतर विकल्प है. सॉल्यूशन-ओरिएंटेड रिटायरमेंट फंड में एसआईपी आपकी रिटायरमेंट इनकम बढ़ाने का एक बेहतर तरीका है. एसआईपी आपके निवेश में अनुशासन बनाने में मदद करती है. इसमें रुपये की औसत लागत से भी लाभ उठा सकते हैं, यानी अलग अलग कीमतों पर म्यूचुअल फंड यूनिट खरीद सकते हैं, जिससे औसत लागत कम हो जाती है.

पूरा पैसा किसी एक ही जगह न लगाएं

रिटायरमेंट एक लॉन्‍ग टर्म निवेश उत्पाद है. निवेशकों की जोखिम उठाने की क्षमता के आधार पर, किसी को अपने निवेश का एक अच्छा हिस्सा इक्विटी में आवंटित करना चाहिए. हालांकि, एक ही एसेट क्लास (परिसंपत्ति वर्ग) के रूप में इक्विटी में अस्थिरता होती है. अस्थिरता को संतुलित करने के लिए फिक्‍स्‍ड इनकम विकल्‍पों में भी अपने निवेश का कुछ हिस्सा लगा सकते हैं. वैकल्पिक रूप से, कोई रिटायरमेंट फंड में भी निवेश कर सकता है, जो पोर्टफोलियो का कम से कम 65 से 70 फीसदी इक्विटी में और शेष रकम फिक्‍स्‍ड इनकम विकल्‍पों  में आवंटित करता है. इक्विटी का उद्देश्य ज्यादा रिटर्न के जरिए वेल्थ क्रिएशन है, जबकि फिक्‍स्‍ड इनकम का उद्देश्य पोर्टफोलियो में स्थिरता लाना है.

इसके अलावा, रिटायरमेंट फंड ऑटो-एसडब्ल्यूपी (सिस्टमैटिक विद्ड्रॉल प्लान) के साथ भी आते हैं, जो निवेशकों को टैक्स एफिशिएंट तरीके से रिटायरमेंट की उम्र में नियमित रूप से कैश फ्लो प्राप्‍त करने में मदद करते हैं. 

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