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Fixed Deposit: फिक्स्ड इनकम से मिलने वाला इंटरेस्ट इनकम पूरी तरह से टैक्सेबल होता है. (Reuters)
Tax on Fixed Deposit Interest Income: निवेश के लिए बेहद पॉपुलर विकल्प टैक्स सेवर फिक्स्ड डिपॉजिट (Tax Saving Fix Deposit) के जरिए आप अपनी टैक्सेबल इनकम से 1.5 लाख रुपये तक की कटौती के लिए इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80सी का लाभ उठा सकते हैं. इस विकल्प में जहां आपकी गाढ़ी कमाई सुरक्षित रहती है, वहीं इस पर तय ब्याज के हिसाब से रिटर्न मिलता है. हालांकि, एक ओर आप 1.50 रुपये तक की जमा राशि पर टैक्स का लाभ लेते हैं, वहीं दूसरी ओर यह ध्यान नहीं देते कि इस पर मिलने वाले ब्याज टैक्स फ्री नहीं होता है. आपको जानना चाहिए कि आप अपनी एफडी पर किस तरह से टैक्स (Tax on Fixed Deposit)देते हैं.
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एफडी पर कैसे लगता है टैक्स
फिक्स्ड इनकम से मिलने वाला इंटरेस्ट इनकम पूरी तरह से टैक्सेबल होता है. एफडी से मिलने वाले सालाना ब्याज को आपकी कुल इनकम में जोड़ दिया जाता है और फिर टैक्स स्लैब् के हिसाब से ब्याज देना होता है. इसे आपके इनकम टैक्स रिटर्न में 'अन्य सोर्स से इनकम' यानी टीडीएस के तहत रिपोर्ट किया जाता है.
अगर सीनियर सिटीजंस के अलावा अन्य निवेशकों के लिए एफडी से ब्याज आय 40,000 रुपये से अधिक है, तो बैंक आपके खाते में ब्याज जमा करते समय टीडीएस काट लेते हैं. वरिष्ठ नागरिक के मामले में यह लिमिट 50,000 रुपये है. ध्यान रहे कि टीडीएस ब्याज जमा करते समय काटा जाता है, न कि एफडी मैच्योर होने पर. यानी 5 साल की ऊडी है तो 5 बार टीडीएस- TDS कटौती होगी.
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क्या होता है TDS
सोर्स पर टैक्स कटौती यानी TDS की बात की जाए तो यह टैक्स की चोरी रोकने के लिए अप्लाई होता है. TDS में किसी व्यक्ति या संगठन को वेतन, ब्याज, किराया, प्रोफेशनल फीस देते समय भुगतान के पूर्व निर्धारित टैक्स पर्सेंटेज में कटौती करने को बाध्य किया जाता है. कटौती की राशि सरकार को तुरंत भेज दी जाती है. TDS से टैक्स कलेक्शन सिस्टम आसान होता है और संभावित टैक्स चोरी रुकती है.
आईटीआर में ब्याज आय की रिपोर्ट करते समय, आपको अपने आईटीआर में अर्जित संपूर्ण ब्याज की रिपोर्ट करनी होगी और बकाया देनदारी से TDS रिफंड या टैक्स क्रेडिट के रूप में बैंक द्वारा काटे गए TDS का क्लेम करना होगा.
कितना कटता है TDS
इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 194A के अनुसार, एफडी के ब्याज पर TDS काटा जाता है. वित्त वर्ष में एफडी इंटरेस्ट इनकम 40,000 रु. (वरिष्ठ नागरिकों के लिए 50,000 रु.) से अधिक होने पर 10 फीसदी की दर से TDS काटा जाता है. लेकिन, अगर पैन की डिटेल नहीं दी गई है तो इंटरेस्ट इनकम से 20 फीसदी की दर से TDS काटा जाता है.
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अगर इनकम टैक्सेबल नहीं है
जिन डिपॉजिटर्स की इनकम टैक्सेबल नहीं है, वे फॉर्म 15G और फॉर्म 15H (60 और उससे अधिक की उम्र के वरिष्ठ नागरिकों के लिए) में एक डिक्लरेशन प्रदान कर सकते हैं. ऐसा करने से बैंक एफडी ब्याज पर TDS की कटौती नहीं कर पाएंगे और इस तरह डिपॉजिटर को अधिक प्रभावी कैश फ्लो मैनेजमेंट में मदद मिलेगी.
टैक्स रिटर्न दाखिल करते समय एफडी इंटरेस्ट इनकम को डिपॉजिटर की एनुअल इनकम में जोड़ा जाता है. ऐसे डिपॉजिटर जिन्होंने फॉर्म 15G या 15H दाखिल किया है, लेकिन उनकी आय टैक्सेबल है, उन्हें आईटीआर दाखिल करते समय अपने टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स का भुगतान करना होगा.
(Source: clear tax, paisabazaar.com)