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Mutual Funds Investing: चिल्ड्रेन्स फंड और रिटायरमेंट फंड में निवेश करना कितना सही है? (Image : Pixabay)
Flexicap, Multicap vs Solution Oriented Mutual Funds: म्यूचुअल फंड स्कीम्स में निवेश का मुख्य मकसद होता है लंबी अवधि में वेल्थ क्रिएशन करना. वैसे, वेल्थ क्रिएशन तो सीधे शेयर बाजार में पैसे लगाकर भी किया जा सकता है, लेकिन उसके लिए न सिर्फ मार्केट की बेहतर समझ होनी चाहिए, बल्कि निवेश को मैनेज करने के लिए ज्यादा वक्त भी देना पड़ता है. यही वजह है कि आम निवेशक बड़ी संख्या में म्यूचुअल फंड्स का रुख करते हैं, ताकि फंड मैनेजर्स की महारत का लाभ लेकर अपने पैसों पर बेहतर रिटर्न हासिल कर सकें. उनके लिए म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री में तरह-तरह की योजनाओं की भरमार है. इनमें फ्लेक्सी कैप और मल्टीकैप जैसे डायवर्सिफाइड इक्विटी फंड्स के साथ ही साथ लार्ज कैप, मिड कैप और स्मॉल कैप जैसे हर मार्केट सेगमेंट पर फोकस करने वाले फंड्स हैं, तो अलग-अलग सेक्टर्स और थीम पर आधारित योजनाएं भी मौजूद हैं. इनके अलावा इक्विटी और डेट में अलग-अलग अनुपात में निवेश करने वाले हाइब्रिड फंड्स और प्योर डेट फंड्स भी हैं. म्यूचुअल फंड्स की ऐसी ही कैटेगरी है सॉल्यूशन ओरिएंटेड फंड्स की, जिनमें चिल्ड्रेन्स फंड और रिटायरमेंट फंड आते हैं.
योजनाओं की इस भीड़ में कई बार यह तय करना मुश्किल हो जाता है कि आपके लिए कौन सी स्कीम सबसे बेहतर है. इन्हीं उलझनों को देखते हुए आज हम ये जानने की कोशिश करेंगे कि बच्चों के भविष्य के लिए चिल्ड्रेन्स फंड और रिटायरमेंट प्लानिंग के लिए रिटायरमेंट फंड में निवेश करना कितना सही है और ये सॉल्यूशन ओरिएंटेड फंड, फ्लेक्सी कैप और मल्टीकैप जैसे डायवर्सिफाइड फंड्स से किस मायने में अलग हैं.
सॉल्यूशन ओरिएंटेड फंड का मतलब
सॉल्यूशन ओरिएंटेड फंड का मतलब है ऐसे फंड जो निवेशकों की किसी खास जरूरत को पूरा करने के लिए पेश किए गए हैं. निवेशकों की जरूरतें तो अलग-अलग तरह की हो सकती हैं,लेकिन सेबी के नियमों के तहत फंड हाउस सॉल्यूशन ओरिएंटेड फंड्स की कैटेगरी में दो तरह की स्कीम्स लॉन्च कर सकते हैं : 1. रिटायरमेंट फंड (Retirement Fund) और 2. चिल्ड्रेन्स फंड (Children’s Fund). इन दोनों ही तरह के फंड्स में निवेश के साथ लॉक-इन पीरियड जुड़ा हुआ है. रिटायरमेंट फंड के मामले में यह लॉक-इन 5 साल या रिटायरमेंट की उम्र में से जो भी तारीख पहले आ रही हो, उतना होता है. वहीं, चिल्ड्रेन्स फंड के मामले में लॉक-इन पीरियड 5 साल या बच्चे के बालिग (18 साल) होने की तारीख तक होता है. निवेश की स्टाइल के मामले में दोनों ही फंड्स में बहुत सारे विकल्प मौजूद हैं, जिसमें प्योर इक्विटी प्लान से लेकर इक्विटी ओरिएंडेट यानी एग्रेसिव हाइब्रिड प्लान से लेकर बैलेंस्ड हाइब्रिड प्लान या कंजर्वेटिव हाइब्रिड प्लान तक शामिल हैं. इनमें से कुछ प्लान्स में निवेशक की उम्र के हिसाब से इक्विटी और डेट का अनुपात बदलता भी रह सकता है. इन फंड्स का टैक्स ट्रीटमेंट भी इसी हिसाब से बदल सकता है. इक्विटी की हिस्सेदारी 65% से ज्यादा होने पर वे टैक्स बेनिफिट मिल सकते हैं, जो इक्विटी फंड में निवेश पर मिलते हैं.
मल्टी कैप और फ्लेक्सी कैप फंड क्या हैं
मल्टी कैप और फ्लेक्सी कैप फंड, दोनों ही इक्विटी म्यूचुअल फंड की कैटेगरी में आते हैं. मल्टी कैप फंड का कम से कम 75% हिस्सा इक्विटी और इक्विटी से जुड़े इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश करना जरूरी है, जिसमें लार्ज कैप, मिड कैप और स्मॉल कैप, तीनों की हिस्सेदारी 25-25% होनी चाहिए. वहीं, फ्लेक्सी कैप फंड के पोर्टफोलियो में इक्विटी और इक्विटी से जुड़े इंस्ट्रूमेंट्स का हिस्सा कम से कम 65% रहता है, लेकिन यह हिस्सेदारी किस मार्केट सेगमेंट में कितनी रहेगी, यह फैसला पूरी तरह फंड मैनेजर पर निर्भर है. ये दोनों ही फंड कैटेगरी निवेशकों के बीच काफी पॉपुलर हैं. मल्टी कैप या फ्लेक्सी कैप फंड्स में रिटायरमेंट फंड या चिल्ड्रेन्स फंड की तरह कोई लॉक-इन पीरियड लागू नहीं होता है. लेकिन लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG) टैक्स से जुड़े नियमों का लाभ लेने के लिए निवेश को कम से कम 1 साल तक बनाए रखना फायदेमंद रहता है.
सॉल्यूशन ओरिएंटेड फंड्स में निवेश का नफा-नुकसान
रिटायरमेंट फंड या चिल्ड्रेन्स फंड जैसे सॉल्यूशन ओरिएंटेड फंड्स में निवेश का सबसे बड़ा एडवांटेज ये है कि इनमें निवेश की रणनीति निवेशकों के खास फाइनेंशियल गोल के हिसाब से तैयार की जाती है. यानी जिन निवेशकों को इनवेस्टमेंट के बारे में ज्यादा आइडिया नहीं है, वे भी अपने मकसद के हिसाब से स्कीम का चुनाव कर सकते हैं. यानी जिन्हें रिटायरमेंट के लिए पैसे बचाने और निवेश करने हैं, वे रिटायरमेंट प्लान खरीद सकते हैं और जिन्हें बच्चों के भविष्य के लिए निवेश करना है, उनके सामने चिल्ड्रन्स फंड में निवेश का विकल्प खुला रहता है. लेकिन सॉल्यूशन ओरिएंडेट फंड्स का मुख्य लाभ यहीं तक है. 5 साल का लॉक-इन पीरियड निवेशकों के लिए फ्लेक्सिबिलिटी कम कर देता है. साथ ही कई फंड्स 5 साल से पहले रिटायरमेंट होने या बच्चे की उम्र 18 साल होने पर निवेश निकालने की सुविधा तो देते हैं, लेकिन उस पर 1 से 3 फीसदी तक का एग्जिट लोड लगा देते हैं. कई सॉल्यूशन ओरिएंटेड फंड्स का एक्सपेंस रेशियो भी अधिक होता है. इसके अलावा सॉल्यूशन ओरिएंटेड फंड पहली बार में सुनने पर निवेश में जितने आसान लगते हैं, हकीकत में कई बार वैसा होता नहीं है. इसकी वजह ये है इन स्कीम्स में अलग-अलग तरह के ऑप्शन मौजूद हैं. इनमें इक्विटी ओरिएंटेड ग्रोथ प्लान्स से लेकर एग्रेसिव हाइब्रिड प्लान, बैलेंस्ड हाइब्रिड प्लान या कंजर्वेटिव हाइब्रिड प्लान तक, कई तरह के फंड मिलते हैं. जिनकी निवेश रणनीति, औसत संभावित रिटर्न, टैक्स ट्रीटमेंट और रिस्क लेवल तक तमाम बातों में भारी अंतर हो सकता है. इसलिए सिर्फ नाम में रिटायरमेंट फंड या चिल्ड्रेन्स फंड जुड़ा होने का ये मतलब नहीं है कि ऐसे सभी फंड एक जैसे हैं और कोई भी निवेशक सिर्फ अपने मकसद को ध्यान में रखकर इनमें से किसी भी स्कीम में पैसे लगा सकता है.
आम डायवर्सिफाइड फंड भी बना सकते हैं बेहतर भविष्य
निवेशक अपने या बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए ही रिटायरमेंट फंड या चिल्ड्रेन्स फंड जैसे सॉल्यूशन ओरिएंटेड फंड्स में निवेश करते हैं. लेकिन यह काम तो मल्टीकैप फंड या फ्लेक्सी कैप फंड जैसे आम डायवर्सिफाइड इक्विटी फंड्स भी काफी अच्छी तरह से कर सकते हैं. सच तो यह है कि इंडस्ट्री के टॉप फ्लेक्सी कैप या मल्टी कैप फंड्स का एतिहासिक रिटर्न, आमतौर पर सॉल्यूशन ओरिएंटेड फंड्स से काफी बेहतर ही रहता है, वो भी किसी लॉक इन पीरियड के बिना. मिसाल के तौर पर पिछले 5 साल के दौरान टॉप 5 फ्लेक्सी कैप फंड के डायरेक्ट प्लान का औसत सालाना रिटर्न 22% से 32% तक और टॉप 5 मल्टी कैप फंड के डायरेक्ट प्लान का औसत सालाना रिटर्न 23% से 28% के आसपास रहा. जबकि इसी दौरान टॉप 5 चिल्ड्रेन्स फंड का औसत सालाना रिटर्न 14% से 19% और रिटायरमेंट प्लान का 17 % से 25% के बीच रहा है. इतना ही नहीं, फ्लेक्सी कैप और मल्टीकैप फंड में 1 साल या उससे ज्यादा के लिए निवेश करने पर इक्विटी फंड से जुड़े टैक्स बेनिफिट मिलना तय है, जबकि सॉल्यूशन ओरिएंटेड फंड्स में अगर इक्विटी इनवेस्टमेंट 65% से कम है, तो यह लाभ नहीं मिल सकता. अगर आप रिस्क से दूर रहने के लिए फ्लेक्सी कैप या मल्टी कैप जैसे इक्विटी फंड्स में निवेश नहीं करना चाहते तो अपने रिस्क टॉलरेंस के हिसाब एग्रेसिव, बैलेंस्ड या कंजर्वेटिव हाइब्रिड फंड्स का रुख भी कर सकते हैं. इसके लिए सॉल्यूशन ओरिएंटेड फंड्स में निवेश करना जरूरी नहीं है.
कुल मिलाकर, सॉल्यूशन ओरिएंडेट फंड्स के नाम मार्केटिंग के लिहाज से आकर्षक भले ही हों, लेकिन वे कोई यूनीक बेनिफिट ऑफर नहीं करते हैं. उल्टे कनफ्यूज करने वाले लॉक-इन पीरियड, एग्जिट लोड और कई बार ज्यादा एक्सपेंस रेशियो निवेशकों की परेशानी बढ़ा सकते हैं. जबकि आम म्यूचुअल फंड ज्यादा फ्लेक्सिबिलिटी और लिक्विडिटी के साथ, वे सभी फायदे दे सकते हैं, जो रिटायरमेंट फंड या चिल्ड्रेन्स फंड में मिलते हैं. फिर भी अगर आप सॉल्यूशन ओरिएंडेट फंड में निवेश करना चाहते हैं, तो कोई भी फैसला करने से पहले स्कीम से जु़ड़ी बातों को बारीकी से समझ लें.