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फ्लेक्सी कैप और मल्टी कैप के टॉप 5 फंड्स में कड़ी टक्कर, किसने कितना दिया रिटर्न, किसकी रणनीति में है ज्यादा दम

Flexi Cap vs Multi Cap Fund: फ्लेक्सी कैप और मल्टी कैप, दोनों ही फंड्स डायवर्सिफाइड निवेश के लिए बेहतर माने जाते हैं. लेकिन दोनों कैटेगरी के टॉप 5 फंड्स की तुलना करने पर क्या पता चलता है?

Flexi Cap vs Multi Cap Fund: फ्लेक्सी कैप और मल्टी कैप, दोनों ही फंड्स डायवर्सिफाइड निवेश के लिए बेहतर माने जाते हैं. लेकिन दोनों कैटेगरी के टॉप 5 फंड्स की तुलना करने पर क्या पता चलता है?

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Viplav Rahi
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Flexi-Cap vs Multi-Cap mutual funds

Flexi-Cap vs Multi-Cap Fund: फ्लेक्सी कैप और मल्टी कैप में कौन है बेहतर, दोनों कैटेगरी के टॉप 5 फंड्स के 5 साल के प्रदर्शन पर एक नजर. (Image : Freepik)

Flexi Cap vs Multi Cap Fund: फ्लेक्सी कैप और मल्टी कैप, इक्विटी म्यूचुअल फंड्स की दो बेहद पॉपुलर कैटेगरी हैं. दोनों ही कैटेगरी शेयर बाजार के अलग-अलग सेगमेंट्स, मसलन लार्ज कैप, मिड कैप और स्मॉल कैप में निवेश करने का मौका देती हैं. दोनों ही स्कीम को डायवर्सिफाइड इनवेस्टमेंट के लिहाज से बेहतर माना जाता है. लेकिन इन दोनों कैटेगरी के टॉप 5 फंड्स के पिछले 5 सालों के प्रदर्शन की तुलना करें, तो क्या नतीजा निकलेगा? इस सवाल का जवाब तो आगे आंकड़े देखने पर ही मिलेगा, लेकिन उससे पहले जान लेते हैं कि दोनों की निवेश रणनीति में क्या फर्क हैं. 

फ्लेक्सी कैप फंड यानी फंड मैनेजर को पूरी आजादी

फ्लेक्सी कैप (Flexi-Cap) फंड्स की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें फंड मैनेजर को यह तय करने की पूरी छूट होती है कि वह लार्ज, मिड और स्मॉल कैप कंपनियों में कितना-कितना निवेश करेगा. बस शर्त यह है कि कुल पोर्टफोलियो का कम से कम 65% हिस्सा इक्विटी में होना चाहिए. इसका फायदा यह है कि जब बाजार अस्थिर हो, तब फंड मैनेजर जोखिम वाले शेयरों से निकलकर सुरक्षित विकल्प चुन सकता है.

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मल्टी कैप फंड यानी हर मार्केट सेगमेंट में बराबरी से निवेश

इसके उलट मल्टी कैप (Multi-Cap) फंड के पोर्टफोलियो में हर मार्केट सेगमेंट की हिस्सेदारी तय हैं. इस कैटेगरी के फंड्स में कुल पोर्टफोलियो का कम से कम 75% हिस्सा इक्विटी में होना चाहिए और उसमें लार्ज, मिड और स्मॉल कैप – तीनों में कम से कम 25-25% निवेश जरूरी है. इसका फायदा यह है कि इन फंड्स के पोर्टफोलियो में हर वक्त हर सेगमेंट के शेयर शामिल होते हैं, जिससे डायवर्सिफिकेशन हमेशा बना रहता है. लेकिन इसमें फंड मैनेजर के पास फैसले लेने की फ्लेक्सिबिलिटी फ्लेक्सी कैप के मुकाबले कम होती है.

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दोनों कैटेगरी के टॉप 5 फंड्स का पिछला प्रदर्शन 

फ्लेक्सी कैप और मल्टी कैप, दोनों कैटेगरी के प्रदर्शन को समझने के लिए दोनों के टॉप 5 फंड्स के पिछले 5 साल के औसत सालाना रिटर्न के आंकड़ों पर एक नजर डाल लेते हैं. 

टॉप 5 मल्टी कैप फंड्स का 5 साल का रिटर्न

  • Nippon India Multi Cap Fund – 33.84%

  • Quant Active Fund – 30%

  • Mahindra Manulife Multi Cap Fund – 29.80%

  • Baroda BNP Paribas Multi Cap Fund – 27.72%

  • ICICI Prudential Multicap Fund – 27.72%

(सभी आंकड़े डायरेक्ट प्लान के हैं.)

बेंचमार्क इंडेक्स (Nifty 500 Multicap 50:25:25 TRI) का 5 साल का रिटर्न (CAGR) : 27.53%

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टॉप 5 फ्लेक्सी कैप फंड्स का 5 साल का रिटर्न

  • Quant Flexi Cap Fund – 33.16%

  • HDFC Flexi Cap Fund – 30.88%

  • JM Flexi Cap Fund – 28.54%

  • Franklin Flexi Cap Fund – 27.61%

  • Parag Parikh Flexi Cap Fund – 27.11%

(सभी आंकड़े डायरेक्ट प्लान के हैं.)

बेंचमार्क इंडेक्स (Nifty 500 TRI) का 5 साल का रिटर्न (CAGR): 23.82%

ऊपर दिए आंकड़ों से साफ है कि दोनों ही कैटेगरी के टॉप फंड्स ने पिछले 5 साल में शानदार रिटर्न दिया है. लेकिन अपने-अपने बेंचमार्क इंडेक्स से तुलना करें, तो टॉप 5 फ्लेक्सी कैप फंड्स का प्रदर्शन बेहतर रहा है. इसकी एक वजह फ्लेक्सी कैप फंड्स के मैनेजर को अलग-अलग सेगमेंट में निवेश करने की पूरी छूट भी हो सकती है. 

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फ्लेक्सी कैप फंड्स के फायदे और नुकसान

फ्लेक्सी कैप फंड्स का बड़ा फायदा ये है कि मैनेजर को बाजार के हिसाब से पोर्टफोलियो में बदलाव करने की आजादी होती है, जिससे इन फंड्स को गिरावट के समय नुकसान कम करने का बेहतर मौका मिलता है. लेकिन यही इसकी लिमिटेशन भी है कि इनका प्रदर्शन पूरी तरह फंड मैनेजर के स्किल पर निर्भर होता है.

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मल्टी कैप फंड्स के फायदे और नुकसान

हर मार्केट सेगमेंट में संतुलित निवेश मल्टी कैप फंड की बड़ी खूबी है. इसकी वजह से आम तौर पर रिस्क और रिटर्न का संतुलन हमेशा बना रहता है. साथ ही सब कुछ फंड मैनेजर की मर्जी पर नहीं होता. इससे मार्केट कैप के हिसाब से डायवर्सिफिकेशन बेहतर रहता है. साथ ही इसमें कम से कम इक्विटी निवेश 75% होने के कारण बाजार पर आधारित हाई रिटर्न मिलने की गुंजाइश भी रहती है. लेकिन यही बात उथल-पुथल के दौर में इसे ज्यादा रिस्की भी बना देती है. साथ ही फंड मैनेजर को बाजार के रुझान को देखते हुए रिस्क कम करने के लिए स्मॉल कैप में निवेश घटाकर लार्ज कैप में बढ़ाने की छूट नहीं होने से भी रिस्क थोड़ा बढ़ जाता है. इसी वजह से बाजार में गिरावट के समय इसमें नुकसान ज्यादा हो सकता है.

आपके लिए क्या है बेहतर विकल्प?

फ्लेक्सी कैप और मल्टी कैप, दोनों की कैटेगरी के इक्विटी म्यूचुअल फंड आपको डायवर्सिफाइड इनवेस्टमेंट का मौका देते हैं. दोनों में किसी एक को बेहतर कहना मुश्किल है. इनमें से आपको अपने रिस्क प्रोफाइल और फंड मैनेजर पर भरोसे के आधार पर फैसला लेना चाहिए. लंबी अवधि में दोनों ही फंड बाजार आधारित हाई रिटर्न जेनरेट करने की क्षमता रखते हैं. अगर आप मार्केट में ज्यादा एक्सपोजर और पोर्टफोलियो के स्ट्रक्चर्ड ढांचे को पसंद करते हैं तो मल्टी कैप की तरफ जा सकते हैं और अगर फंड मैनेजर की समझदारी पर ज्यादा भरोसा करना चाहते हैं, तो फ्लेक्सी कैप को अपना सकते हैं.

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