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Gold Buying : सोने में गिरावट के दौरान खरीदारी करना चाहिए. निवेशक 90,000-91,000 रुपये के सपोर्ट जोन के पास निवेश शुरू कर सकते हैं. (Image : Freepik)
Akshaya Tritiya Gold Returns : आज से 15 साल पहले अक्षय तृतीया को सोने का भाव 19,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के आस पास था, जबकि 2025 में अक्षय तृतीया के मौके पर यह 95,000 रुपये (Gold Rates Today) के आस पास हो चुका है. यानी बीते 15 साल में अक्षय तृतीया से अक्षय तृतीया तक सोने ने 10% की कंपाउंडिंग एनुअल ग्रोथ रेट (CAGR) से रिटर्न दिया है. इस महीने 22 अप्रैल को सोना 1,00,000 रुपये पर पहुंच गया था, हालांकि उसके बाद से कीमतों में 5,000 रुपये प्रति 10 ग्राम गिरावट आई है, लेकिन कुल मिलाकर लॉन्ग टर्म में सोने की कीमतों में स्थिर और लगातार ग्रोथ देखने को मिली है. पिछले अक्षय तृतीया से सोना करीब 30 फीसदी मजबूत हुआ है, जबकि 3 साल में करीब 100 फीसदी. तो इस अक्षय तृतीया सोने में निवेश को लेकर क्या स्ट्रैटेजी अनानी चाहिए.
Akshaya Tritiya 2025 : गोल्ड में निवेश के क्या हैं विकल्प
बाजार में निवेशकों के लिए अपनी जोखिम क्षमता के आधार पर सोने में निवेश करने के कई विकल्प उपलब्ध हैं.
ETF (एक्सचेंज ट्रेडेड फंड) : यह आजकल निवेश का एक बहुत लोकप्रिय तरीका है.
एक्सचेंज ट्रेडेड डेरिवेटिव्स
डिजिटल गोल्ड
फिजिकल गोल्ड (बार और सिक्के)
पेपर गोल्ड जैसे एससीबी, गोल्ड बॉन्ड
गिरावट पर खरीदारी सही तरीका
मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज का मानना है कि सोने में गिरावट के दौरान खरीदारी करना फायदेमंद हो सकता है. निवेशक 90,000-91,000 रुपये के सपोर्ट जोन के पास सोना खरीदना शुरू कर सकते हैं और इसे लंबे समय के लिए 1,06,000 रुपये का लक्ष्य बना सकते हैं. रिपोर्ट के अनुसार लॉन्ग टर्म के लिहाज से सोने को 90,000-91,000 रुपये पर सपोर्ट है, जबकि 99,000 रुपये पर रेजिस्टेंस है.
2025 की पहली तिमाही
सोने और चांदी का प्रदर्शन 2025 की पहली तिमाही में भी उतना ही शानदार रहा, जितना पिछले साल. Q1’25 में, सोने में 18% का उछाल आया. नए वित्त वर्ष में, यह तेजी जारी रही और सोने ने $3,500 और ₹1,00,000 का रिकॉर्ड स्तर टच किया. हालांकि, इसके बाद तेज गिरावट देखी गई.
एक्सपर्ट की राय
मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के सीनियर एनालिस्ट मनीष मोदी ने कहा कि डिमांड और सप्लाई का सोने की कीमतों पर सीधा असर नहीं होता, खासकर जब बाजार में भारी अनिश्चितता हो. पिछले कुछ महीनों में सोने की कीमतों में तेज उछाल आया है, इसलिए कीमतों में थोड़ी गिरावट की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता. इस समय, सोने की कीमतों के लिए पॉजिटिव और निगेटिव दोनों पहलू हैं, जैसे:
मिले जुले इकोनॉमिक डेटा
ट्रेड वार
हाई इनफ्लेशन की उम्मीदें
सुस्त ग्रोथ की चिंता
ब्याज दर में कटौती की संभावनाएं
जियो-पॉलिटिकल टेंशन
बढ़ता कर्ज
मांग में बढ़ोतरी
यूएस यील्ड में गिरावट
अगर इनमें से किसी भी अनिश्चितता में सुधार होता है, तो सोने की कीमतों पर दबाव बढ़ सकता है.
बुलियन बाजार में उतार-चढ़ाव के मुख्य कारण
टैरिफ विवाद : अप्रैल 2025 में, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की नीतियों के कारण सोने की कीमतों में भारी उतार-चढ़ाव देखा गया. अमेरिका और चीन ने एक-दूसरे पर 100% से अधिक टैरिफ लगाए. इस ट्रेड वार के चलते सोने की कीमतें $3,500 तक पहुंच गईं. हालांकि, अप्रैल के अंत में ट्रेड टेंशन कम होने के संकेतों के कारण सोने की कीमतें 2% गिर गईं.
यूएस फेड की पॉलिसी : फेड ने 2025 में ब्याज दर 4.25%-4.5% पर स्थिर रखी है. आर्थिक ग्राथ धीमी (1.7%) और महंगाई 2% से अधिक बनी रही. फेड ने अपनी बैलेंस शीट घटाने की गति कम कर दी.
डिमांड और सप्लाई : सेंट्रल बैंकों ने 2025 में भी सोना खरीदा, लेकिन ऊंची कीमतों के कारण खरीदारी धीमी रही. घरेलू बाजार में ज्यादा कीमतों के कारण फिजिकल डिमांड में कमी आई. भारतीय सोने की कीमतें अंतरराष्ट्रीय कीमतों की तुलना में छूट पर चल रही थीं, जो कमजोर मांग का संकेत है.
(Disclaimer: गोल्ड में निवेश की सलाह एक्सपर्ट और ब्रोकरेज हाउस के द्वारा दी गई है. यह फाइनेंशियल एक्सप्रेस के निजी विचार भी नहीं हैं. बाजार में जोखिम होते हैं, इसलिए निवेश के पहले एक्सपर्ट की राय लें.)