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Gold ETF में खूब कमा लिया मुनाफा, लेकिन अब जान लें इस पर कितना भरना होगा टैक्स

How much tax is payable on Gold ETF gains : सोने में तेजी का एक और असर यह है कि हर गोल्ड ईटीएफ या गोल्ड फंड ने 1 साल में 50 फीसदी से ज्यादा रिटर्न दिया है. गोल्ड ईटीएफ में 3 साल और 5 साल का रिटर्न भी बेहद मजबूत है.

How much tax is payable on Gold ETF gains : सोने में तेजी का एक और असर यह है कि हर गोल्ड ईटीएफ या गोल्ड फंड ने 1 साल में 50 फीसदी से ज्यादा रिटर्न दिया है. गोल्ड ईटीएफ में 3 साल और 5 साल का रिटर्न भी बेहद मजबूत है.

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Sushil Tripathi
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Gold returns : इस साल सोने में 45 फीसदी और 1 साल में 56 फीसदी से ज्यादा रिटर्न मिला है. Photograph: (AI Image)

Tax on Gold ETF profit in India : सोना निवेशकों के लिए लगातार गोल्‍डेन डील साबित हुआ है. इस साल सोने में 45 फीसदी और 1 साल में 56 फीसदी से ज्यादा रिटर्न मिला है. सोने में 5 साल का रिटर्न 215 फीसदी से ज्यादा रहा है. सोना 1,20,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के पार ट्रेड कर रहा है, जबकि पिछली दिवाली पर इसकी कीमतें 79,000 रुपये से नीचे थीं. सोने में तेजी का एक और असर यह है कि हर गोल्ड ईटीएफ (Gold ETF) या गोल्ड फंड ने 1 साल में 50 फीसदी से ज्यादा रिटर्न दिया है. 

गोल्ड ईटीएफ में 3 साल और 5 साल का रिटर्न भी बेहद मजबूत है. सोना खरीदकार आपने मुनाफा तो जमकर कमा लिया, लेकिन क्‍या इस पर लगने वाले टैक्‍स (Gold Tax) के बारे में जानकारी है. क्‍या आप जानते हैं कि आपको गोल्‍ड में कमाए हुए रिटर्न पर कितना टैक्‍स देना है. 

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ETF में टैक्स के नियम

गोल्ड और सिल्वर ETF को अब नॉन-इक्विटी कैपिटल एसेट माना जाता है. अगर आप गोल्ड ETF को 12 महीने से ज्यादा रखते हैं, तो मुनाफा लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन (LTCG) माना जाएगा और इस पर 12.5% की एकसमान टैक्स दर लगेगा, बिना इंडेक्सेशन. अगर इसे 12 महीने या उससे कम समय तक रखते हैं, तो मुनाफा शॉर्ट-टर्म गेन (STCG) माना जाएगा और आपकी इनकम के हिसाब से स्लैब रेट पर टैक्स देना होगा, जो हाई इनकम वालों के लिए 30% तक हो सकता है. 

पहले लॉन्ग-टर्म गेन के लिए 36 महीने तक होल्ड करना पड़ता था और इंडेक्सेशन का फायदा मिलता था, जिससे महंगाई के हिसाब से मुनाफे को एडजस्ट कर टैक्स कम करना संभव था. अब ये फायदा खत्म हो गया है, यानी अब निवेशकों को महंगाई से बढ़े मुनाफे पर भी टैक्स देना होगा.

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लॉन्ग-टर्म होल्डिंग  पर 12.5% की एकसमान टैक्स दर है. मान लिया कि आपको 20,000 रुपये का मुनाफा पर 2,500 रुपये टैक्स बनेगा, यानी आपको 17,500 रुपये मिलेंगे. 

शॉर्ट-टर्म होल्डिंग की बात करें तो  मुनाफे पर स्लैब रेट से टैक्स लगता है. अगर आपको 20,000 रुपये का मुनाफा हुआ और टैक्स रेट 30% है, तो 6,000 रुपये टैक्स देना होगा. यानी आपको 14,000 रुपये ही मिलेंगे.

Physical Gold : फिजिकल गोल्ड पर टैक्स 

भारत में फिजिकल गोल्ड (ज्‍वैलरी, सोने का सिक्‍का, सोने का बिस्‍कुट) सोने में निवेश का सबसे पॉपुलर विकल्प है. 36 महीने या उससे अधिक समय तक रखे गए सोने से मिलने वाले रिटर्न को लांग टर्म कैपिटल गेंस कहा जाता है. 

भारत के इनकम टैक्स एक्ट के अनुसार, आपको सोना बेचते समय लांग टर्म कैपिटल गेंस (LTCG) पर 20 फीसदी टैक्स और 4 फीसदी सेस देना होगा. इस तरह से फिजिकल गोल्ड पर लगने वाला टैक्स 20.8 फीसदी है. इस अवधि से कम समय के लिए रखे गए सोने से मिलने वाले रिटर्न को शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस कहा जाता है. STCG के मामले में, टैक्स आपकी इनकम टैक्स स्लैब के आधार पर लगाया जाता है.

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Digital Gold : डिजिटल गोल्ड पर टैक्स

इसे आप ऑनलाइन खरीद सकते हैं, यह डिजिट वॉलेट में रखा जाता है. डिजिटल गोल्ड पर रेगुलेटर यानी RBI या SEBI का कंट्रोल नहीं होता, यह निवेश का एक अनरेगुलेटेड तरीका है. 

अगर आप डिजिटल गोल्ड 36 महीने या उससे अधिक समय तक रखते हैं, तो उस पर होने वाले मुनाफे को लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन (LTCG) माना जाता है. अगर गोल्ड 36 महीने से कम समय तक रखा जाता है, तो मुनाफे को शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन (STCG) कहा जाता है. 

डिजिटल गोल्ड की बिक्री पर 20.8% टैक्स (LTCG) लगता है, जो फिजिकल गोल्ड और पेपर गोल्ड की तरह ही है. अगर यह शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन (STCG) है, तो टैक्स आपकी आयकर स्लैब के अनुसार लगता है.

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Gold Gift : गोल्ड गिफ्ट पर टैक्स

इनकम टैक्स एक्ट की धारा 56(2) के अनुसार, माता-पिता, पति-पत्नी या बच्चों को सोने की ज्वेलरी गिफ्ट में देने पर इनकम टैक्स नहीं लगता है. दूसरी ओर, अगर आप रिश्तेदारों के अलावा किसी अन्य व्यक्ति से 50,000 रुपये से अधिक वैल्यू का सोना गिफ्ट पाते हैं तो टैक्स देना होता है. ऐसी इनकम टैक्सेबल है क्योंकि इसे अन्य सोर्स से होने वाली इनकम माना जाता है.

आप अपनी शादी में मिले सोने के गहनों पर भी टैक्स छूट पा सकते हैं. लेकिन अगर आप इन गिफ्ट को बेचना चाहते हें तो सरकार कैपिटल गेंस की दर के अनुसार टैक्स लगाएगी.

NRIs के लिए टैक्स 

इनकम टैक्स एक्ट के अनुसार, NRIs फिजिकल गोल्ड, डिजिटल गोल्ड, पेपर गोल्ड आदि में निवेश कर सकते हैं. हालांकि, आरबीआई और फेमा नियमों के अनुसार, सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में निवेश नहीं कर सकते हैं.

हालांकि सोने की बिक्री पर एनआरआई के लिए लागू टैक्स दर भारतीय निवासियों के समान है, लेकिन उन्हें गोल्ड ईटीएफ या म्यूचुअल फंड के रिडेम्पशन पर टीडीएस का भुगतान करना होगा. 

Paper Gold : पेपर गोल्ड पर इनकम टैक्स

पेपर गोल्ड में गोल्ड म्यूचुअल फंड, ईटीएफ, सॉवरेन बॉन्ड आदि शामिल हैं. अगर आप 12 महीने बाद यूनिट बेचकर इनकम हासिल करते हैं तो यह लांग टर्म कैपिटल गेंस (LTCG) होता है और इस पर 12.5 फीसदी टैक्स देना पड़ता है. वहीं 3 साल से कम समय तक रखे गए पेपर गोल्ड से मिलने वाले रिटर्न को शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस कहा जाता है. STCG के मामले में, टैक्स आपकी इनकम टैक्स स्लैब के आधार पर लगाया जाता है.

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