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Gold Fund Expense Ratio : गोल्ड म्यूचुअल फंड में कई तरह के चार्जेज भी हैं, जो आपके निवेश का खर्च बढ़ाने के साथ ही लॉन्ग टर्म रिटर्न को कम कर सकते हैं. (Freepik)
Gold Mutual Funds Expense Ratio : गोल्ड एसेट क्लास रिटर्न के मामले में फाइनेंशियल ईयर 2025 का क्लीयर विनर रहा है. बीता फाइनेंशियल ईयर में गोल्ड का रिटर्न 38 फीसदी रहा है. वहीं नए फाइनेंशियल ईयर की शुरूआत भी गोल्ड के लिहाज से बेहद मजबूत रही. आज एमसीएक्स पर गोल्ड 91300 रुपये प्रति 10 ग्राम के पार आलटाइम हाई पर पहुंच गया. फिलहाल गोल्ड की इस तेजी ने निवेशकों का ध्यान एक बार फिर गोल्ड म्यूचुअल फंड की ओर खींचा है. क्योंकि गोल्ड म्यूचुअल फंड में सोने की इस रैली के चलते बीते 1 साल में अच्छी खासी तेजी आई है. लेकिन गोल्ड फंड की जहां कई खासियत है, वहीं इसमें कई तरह के चार्जेज भी हैं, जो आपके निवेश का खर्च बढ़ाने के साथ ही लॉन्ग टर्म रिटर्न को कम कर सकते हैं.
एक्सपेंस रेश्यो का दोहरा बर्डेन
सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि गोल्ड म्यूचुअल फंड में निवेश करने पर एक्सपेंस रेश्यो और मैनेजमेंट फीसदी का खर्च एक साथ आता है. असल में जब आप गोल्ड फंड का एक्सपेंस रेश्यो देखते हैं तो देखने में कम लगता है. गोल्ड फंड का निवेश गोल्ड ईटीएफ (Invest in Gold ETF) में होता है और इसके बदले गोल्ड ईटीएफ द्वारा फिजिकल गोल्ड में निवेश किया जाता है. गोल्ड ईटीएफ में भी एक्सपेंस रेश्यो होता है. यानी आपको दोनों एक्सपेंस रेश्यो का खर्च उठाना पड़ता है.
फंड का एक्सपेंस रेश्यो : यह फंड के संचालन, मैनेजमेंट और डिस्ट्रीब्यूशन की लागत को कवर करता है.
ईटीएफ का एक्सपेंस रेश्यो : यह ईटीएफ के संचालन और मैनेजमेंट की लागत को कवर करता है.
रिटर्न पर कैसे पड़ता है असर
मान लीजिए कि एक गोल्ड म्यूचुअल फंड का एक्सपेंस रेश्यो 0.35 फीसदी है. वहीं, गोल्ड फंड जिस ईटीएफ में निवेश करता है, उसका एक्सपेंस रेश्यो 0.75 फीसदी है. इस तरह से निवेशकों को कुल 1.10 फीसदी का एक्सपेंस रेश्यो देना होगा. यह 1.10 फीसदी खर्च की लगात आपके रिटर्न से कट जाती है. इस तरह से अगर आप एक साल में 12 फीसदी रिटर्न हासिल करते हैं तो असली रिटर्न 1.10 फीसदी कट करने के बाद 10.90 फीसदी ही रह जाता है. इसका एक बेहतर उपाय यह है कि गोल्ड म्यूचुअल फंड में निवेश करने से पहले, एक्सपेंस रेश्यो पर जरूर ध्यान दें. कम एक्सपेंस रेश्यो के साथ बेहतर प्रदर्शन करने वाले गोल्ड फंड पर नजर रखें.
एग्जिट लोड का भी रखें ध्यान
गोल्ड फंड में निवेश पर एग्जिट लोड का भी ध्यान रखें. अगर आप निवेश को तय समय से पहले भुनाते हैं, तो उस पर लगने वाला चार्ज एग्जिट लोड होता है, जो उस फंड हाउस द्वारा तय किया जाता है. कुछ म्यूचुअल फंड में एग्जिट लोड 1 फीसदी हो सकता है, जबकि कुछ में कोई भी एग्जिट लोड नहीं होता है. यानी एग्जिट लोड एक ऐसा चार्ज है, जो म्यूचुअल फंड कंपनी द्वारा तब लगाया जाता है जब कोई निवेशक तय अवधि से पहले अपनी यूनिट्स को भुनाता है.
एग्जिट लोड, फंड को जल्दी भुनाने से होने वाले नुकसान को कवर करने के लिए लगाया जाता है. मसलन एसबीआई गोल्ड फंड में, अगर आप यूनिट के आवंटन की तारीख से 15 दिनों के भीतर रिडीम करते हैं, तो 1 फीसदी एग्जिट लोड लगेगा. निप्पॉन इंडिया गोल्ड सेविंग्स फंड में भी, अगर आप यूनिट के आवंटन की तारीख से 15 दिनों के भीतर रिडीम करते हैं, तो 1 फीसदी एग्जिट लोड लगेगा.