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Gold Outlook for 2025 : सोने की कीमते क्या इस साल 92,000 रुपये का स्तर छू सकती हैं? (Image : Freepik)
Gold Outlook for 2025 : अंतरराष्ट्रीय बाजारों में सोने की कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर बनी हुई हैं. न्यूयॉर्क में सोने के वायदा भाव 0.20% बढ़कर 2,990.17 डॉलर प्रति औंस पर पहुंच गए. हाल ही में गोल्ड की कीमतों ने 3,000 डॉलर का ऐतिहासिक स्तर छुआ, जबकि MCX पर यह 87,866 रुपये प्रति 10 ग्राम तक पहुंच गया. यह तेजी ग्लोबल लेवल पर आर्थिक अस्थिरता, कई देशों के केंद्रीय बैंकों की तरफ से की जा रही खरीदारी और ब्याज दरों में कटौती की संभावना जैसे कारणों से बनी हुई है. हालांकि निवेश से जुड़े फैसले करने से पहले कुछ ऐसे रिस्क फैक्टर्स को ध्यान में रखना भी जरूरी है, जिनकी वजह से गोल्ड प्राइस में करेक्शन आ सकता है.
क्या 92,000 का स्तर छू सकता है सोना?
केडिया एडवाइजरी (Kedia Stocks & Commodities Research) की रिपोर्ट में कहा गया है, "गोल्ड की कीमतों ने 2025 के हमारे अनुमानित लक्ष्य को पहले ही छू लिया है. हालांकि शॉर्ट टर्म उतार-चढ़ाव आते रह सकते हैं, लेकिन 2025 में सोने का भाव 92,000 रुपये प्रति 10 ग्राम तक पहुंचने की संभावना बनी हुई है." केडिया एडवाइजरी की रिपोर्ट में उन 10 अहम फैक्टर्स का जिक्र भी किया गया है, जिनकी वजह से तेजी का रुझान बने रहने की उम्मीद की जा रही है:
गोल्ड में तेजी के 10 बड़े कारण
1. ट्रेड वॉर और टैरिफ पर घमासान
अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वॉर यानी व्यापार युद्ध लगातार बढ़ रहा है. अमेरिका की डोनाल्ड ट्रंप सरकार द्वारा यूरोपीय शराब पर 200% टैरिफ लगाने की धमकी और चीन पर नए टैरिफ लगाने से ग्लोबल लेवल पर आर्थिक अस्थिरता बढ़ी है. ऐसे माहौल में निवेशकों के बीच सेफ हेवन एसेट (Safe Haven Asset) के रूप में सोने की मांग बढ़ गई है.
2. कई देशों के सेंट्रल बैंकों द्वारा सोने की रिकॉर्ड खरीदारी
कई देशों के सेंट्र्ल बैंक्स ने 2024 में बड़ी मात्रा में सोने की खरीदारी की है. अपनी सोने की होल्डिंग्स में पोलैंड ने 90 टन, तुर्की ने 75 टन और भारत ने 73 टन का इजाफा किया है. डॉलर पर निर्भरता कम करने की कोशिश में कई देश अपने विदेशी मुद्रा भंडार में सोने का हिस्सा बढ़ा रहे हैं.
3. फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दर घटाने की संभावना
बाजार में उम्मीद की जा रही है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व 2025 में कम से कम तीन बार ब्याज दरों में कटौती करेगा. इससे कर्ज की लागत घटेगी और सोने जैसी ब्याज नहीं देने वाली संपत्तियों (non-yielding assets) की मांग में इजाफा होगा.
4. फिजिकल गोल्ड की कमी और सप्लाई चेन का संकट
जनवरी में लंदन से 151 टन सोना निकालकर न्यूयॉर्क भेजा गया, जिससे फिजिकल गोल्ड की उपलब्धता कम हुई है. इससे सोने की डिलीवरी में देरी हो रही है और कीमतों में मजबूती बनी हुई है.
5. कमजोर अमेरिकी डॉलर और घटती बॉन्ड यील्ड
डॉलर इंडेक्स (DXY) 104 से नीचे आ गया है और 10-इयर अमेरिकी ट्रेजरी यील्ड 4.27% तक गिर गई है. इससे सोने का आकर्षण बढ़ गया है, क्योंकि निवेशक अब डॉलर के बजाय सोने को सुरक्षित निवेश मान रहे हैं.
6. जियो-पोलिटिकल रिस्क
रूस-यूक्रेन युद्ध, अमेरिका-चीन व्यापार विवाद और ईरान की तरफ से गोल्ड खरीदारी में सालाना 300% की बढ़ोतरी किए जाने जैसे फैक्टर सोने की मांग को बढ़ावा दे रहे हैं. ऐसे माहौल में निवेशक भी रिस्क मैनेजमेंट के लिए गोल्ड में निवेश बढ़ा रहे हैं.
7. फिजिकल गोल्ड की मजबूत डिमांड और ETF इनफ्लो
COMEX की तिजोरियों में इस समय 1,250 टन फिजिकल गोल्ड है. वहीं, गोल्ड पर आधारित (gold-backed) ETFs में भी 2024 में 15% की ग्रोथ हुई है. इससे सोने की कीमतों को सपोर्ट मिल रहा है.
8. इंफ्लेशन का दबाव और करेंसी डेप्रिसिएशन
अमेरिका में महंगाई दर (U.S. CPI) 2.8% पर आ गई है, लेकिन टैरिफ और मॉनेटरी ईजिंग (Monetary Easing) की वजह से महंगाई फिर से बढ़ने की आशंका जाहिर की जा रही है. सोना आमतौर पर इंफ्लेशन से बचाने वाला निवेश (hedge) माना जाता है, जिससे इसकी मांग बढ़ी है.
9. स्टॉक मार्केट में अस्थिरता और मंदी की आशंका
ग्लोबल लेवल पर शेयर बाजारों में गिरावट देखी जा रही है. अपने हाल के ऊंचे स्तरों से निफ्टी -16.29%, डॉओ जोन्स (Dow Jones) -9.78%, एस एंड पी 500 (S&P 500) -10.48% और नैस्डैक (Nasdaq) करीब -14.07% नीचे चल रहे हैं. इन हालात में निवेशक सोने में पैसा लगा रहे हैं, जिससे इसकी कीमतें बढ़ रही हैं.
10. सरकारों द्वारा बड़े पैमाने पर गोल्ड जमा करना
ईरान ने अपने विदेशी मुद्रा भंडार (Forex reserves) का 20% हिस्सा सोने में तब्दील कर दिया है. कई देशों द्वारा इसी तरह की रणनीति अपनाए जाने से सोने की मांग और कीमतें ऊंचे स्तरों पर बनी हुई हैं.
इन 5 रिस्क फैक्टर्स का ध्यान रखना भी जरूरी है
केडिया एडवाइजरी की रिपोर्ट के मुताबिक ऊपर बताए गए कारण गोल्ड में तेजी के लिए जिम्मेदार हैं, लेकिन साथ ही रिपोर्ट में कई ऐसे रिस्क फैक्टर्स भी बताए गए हैं, जो आने वाले दिनों में सोने में करेक्शन ला सकते हैं. लिहाजा निवेश से जुड़े फैसले करने से पहले इन बातों का ध्यान रखना भी जरूरी है:
1. अगर अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वॉर जैसे हालात सुलझ जाते हैं और दोनों देश टैरिफ में कटौती करने को तैयार हो जाते हैं, तो सोने की सेफ हेवन डिमांड कम हो सकती है और कीमतें गिर सकती हैं.
2. अगर डॉलर इंडेक्स 105 के ऊपर चला जाता है और 10-इयर ट्रेजरी यील्ड 4.5% के स्तर को पार कर जाती है, तो सोने की कीमतों पर दबाव आ सकता है.
3. अगर महंगाई दर ऊंची बनी रहती है या अमेरिकी अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेत मिलते हैं, तो यूएस फेडरल रिजर्व (US Fed) ब्याज दरों को अधिक समय तक ऊंचे स्तरों पर रख सकता है, जिससे सोने की डिमांड घट सकती है.
4. अगर ग्लोबल स्टॉक मार्केट में रिकवरी होती है, तो निवेशक फिर से जोखिम लेने को तैयार हो सकते हैं और सोने से पैसा निकालकर इक्विटी में निवेश कर सकते हैं.
5. अमेरिका ने रूस-यूक्रेन में जंग रोकने के लिए सीज़फायर की पेशकश की है. अगर इसमें सफलता मिलती है, तो गोल्ड का जियो-पोलिटिकल रिस्क प्रीमियम (Risk Premium) घट सकता है, जिससे इसकी कीमतें नीचे आ सकती हैं.
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रिस्क समझकर करें फैसला
सोने की कीमतें फिलहाल ऐतिहासिक ऊंचाई के आसपास हैं और कई ग्लोबल फैक्टर्स की वजह से इसमें मजबूती बनी हुई है. लेकिन निवेश से जुड़े फैसले करने से पहले संभावित रिस्क फैक्टर्स को समझना जरूरी है.
( डिस्क्लेमर : इस लेख में दिए गए अनुमान एक्सपर्ट/ब्रोकरेज हाउस की तरफ से जारी एडवाइजरी का हिस्सा हैं. यह फाइनेंशियल एक्सप्रेस के विचार नहीं हैं. हमारा मकसद सिर्फ जानकारी देना है, निवेश की सिफारिश करना नहीं. निवेश से जुड़े फैसले अपने निवेश सलाहकार की राय लेने के बाद ही करें.)