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CEA on Gold Outlook : चीफ इकनॉमिक एडवाइजर नागेश्वरन ने कहा है कि सोने का महत्व आने वाले सालों में और बढ़ने वाला है. (File Photo : Reuters)
Relevance of Gold to Rise, says CEA Nageswaran : सोने का महत्व आने वाले सालों में और बढ़ने वाला है, खास तौर पर एक एसेट क्लास के रूप में निवेशकों के पोर्टफोलियो में इसकी अहमियत बढ़ने के पूरे आसार हैं. यह बात भारत सरकार के चीफ इकनॉमिक एडवाइजर यानी मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) वी अनंत नागेश्वरन ने कही है. उन्होंने कहा कि एक एसेट क्लास (Asset Class) के रूप में सोना भविष्य में भी महत्वपूर्ण बना रहेगा और निवेशक पोर्टफोलियो के डायवर्सिफिकेशन के लिए इसमें निवेश करना जारी रखेंगे. नागेश्वरन ने यह बात आईआईएम अहमदाबाद के इंडिया गोल्ड पॉलिसी सेंटर (IGPC-IIMA) की सालाना कॉन्फ्रेंस (Annual Gold and Gold Markets Conference 2025) को संबोधित करते हुए सोमवार को कही. उन्होंने कहा कि जब तक ग्लोबल फाइनेंशियल सिस्टम में अस्थिरता बनी रहेगी, तब तक सोने की अहमियत बनी रहेगी.
पोर्टफोलियो डायवर्सिफिकेशन में सोने का महत्व
नागेश्वरन ने कहा कि सोना सिर्फ स्टोर ऑफ वैल्यू (store of value) या संस्कृति और धर्म से जुड़ा गहना ही नहीं है, बल्कि यह पोर्टफोलियो के डायवर्सिफिकेशन का महत्वपूर्ण तरीका भी है. उन्होंने कहा कि सोने का यह महत्व तब तक बना रहेगा, जब तक दुनिया मौजूदा स्थिति से आगे बढ़कर एक ‘इंटरनेशनल मॉनेटरी सिस्टम’ (international monetary system) की व्यवस्था को स्वीकार नहीं कर लेती. उन्होंने कहा कि फिलहाल किसी के लिए भी यह बता पाना बेहद मुश्किल है कि ऐसी व्यवस्था कब तक स्थापित हो पाएगी. इस दौरान उन्होंने मौजूदा अंतरराष्ट्रीय हालात को ‘इंटरनेशनल मॉनेटरी नॉन-सिस्टम’ (international monetary non-system) का नाम भी दिया.
पॉलिसी डिसिप्लिन का भी प्रतीक है सोना
चीफ इकनॉमिक एडवाइजर ने कहा कि आने वाले वर्षों में सोने का महत्व और बढ़ने की संभावना के मद्देनजर पोर्टफोलियो में इसकी अहमियत को याद रखना बेहद जरूरी है. उन्होंने उम्मीद जताई कि भारत अपने गोल्ड एसेट्स को प्रोडक्टिव तरीके से इस्तेमाल करने का रास्ता खोज लेगा. वह भी उसके स्टोर ऑफ वैल्यू और सांस्कृतिक, धार्मिक महत्व पर असर डाले बिना. उन्होंने कहा कि पॉलिसी से जुड़ी बड़ी चुनौती यही है. नागेश्वरन ने कहा कि सोना न सिर्फ मजबूती का प्रतीक है, बल्कि यह पॉलिसी डिसिप्लिन का भी प्रतीक है. यही नहीं, इसे कुछ मायनों में इनवेस्टर डिसिप्लिन का प्रतीक भी होना चाहिए.
भारत को पिछले अनुभव से सीखना होगा
उन्होंने कहा कि भारत को इस सिलसिले में अपने पिछले अनुभवों से भी सीखना होगा. भारत सोने का नेट इंपोर्टर है. यानी भारत से होने वाले गोल्ड एक्सपोर्ट के मुकाबले हमारा गोल्ड इंपोर्ट ज्यादा है. लोगों में फिजिकल गोल्ड खरीदने का आकर्षण कम करने के लिए भारत सरकार ने 2015 में गोल्ड मॉनेटाइजेशन स्कीम लॉन्च की थी, जिसमें लोगों को बैंक में अपना सोना जमा करके उस पर ब्याज कमाने का मौका दिया गया था. इस स्कीम का मकसद गोल्ड इंपोर्ट पर भारत की निर्भरता को कम करना था.
महंगाई, नीतियों में अस्थिरता से बढ़ेगा सोने का महत्व
नागेश्वरन ने कहा कि मौजूदा हालात में जबकि महंगाई दर (Inflation) का डर बना हुआ है और दुनिया नीतियों में मनमर्जी से किए जाने वाले बदलावों के असर का सामना कर रही है, सोने की अहमियत में और इजाफा होना तय लगता है. उन्होंने कहा कि आज दुनिया का डेट-टू-जीडीपी रेशियो (Global Debt to GDP Ratio), जीडीपी से कई गुना हो चुका है और जब कर्ज इतने ऊंचे स्तर पर पहुंच जाता है, तो वो गले में बंधा पत्थर बन जाता है, क्योंकि तब भविष्य में होने वाली सारी कमाई कर्ज का ब्याज चुकाने में चली जाती है और विकास पर खर्च करने के लिए पैसों की कमी होने लगती है. इसके अलावा कर्ज इतना बढ़ जाने पर पुराने कर्ज को चुकाते समय इंफ्लेशन का इस्तेमाल करनी इच्छा भी बढ़ जाती है.
2002 से अब तक 10 गुना बढ़ा भाव
पिछले तीन महीनों में सोने का भाव 8% बढ़ा है और अंतरराष्ट्रीय बाजार में यह 2,860 अमेरिकी डॉलर प्रति औंस तक पहुंच गया है. वहीं, इसी दौरान में भारतीय शेयर बाजार में 8% से ज्यादा गिरावट देखने को मिली है. अगर 2002 से अब तक के आंकड़ों को देखें तो इस दौरान सोने का भाव लगभग 10 गुना बढ़ चुका है. उस वक्त सोने का भाव 250-290 अमेरिकी डॉलर प्रति औंस के बीच करता था. भारतीय बाजार में सोने का भाव 85,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के आसपास चल रहा है. एक अंतरराष्ट्रीय एक्सपर्ट हाल ही में कह चुके हैं कि सोने की कीमतों में लगातार तेजी के लिए केंद्रीय बैंकों की बढ़ती मांग, बढ़ती महंगाई दर और निवेशकों का सेफ हेवन एसेट्स की ओर झुकाव जिम्मेदार है.