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Gold Outlook : सोने ने 2025 की पहली छमाही में दिया करीब 27% रिटर्न, क्या अभी और है मुनाफे की गुंजाइश, क्या करें निवेशक?

Gold Outlook 2025 : सोना 2025 की पहली छमाही में करीब 27% रिटर्न दे चुका है. ऐसे में निवेशकों को क्या करना चाहिए, क्या सोने में अभी और मुनाफे की गुंजाइश बची हुई है?

Gold Outlook 2025 : सोना 2025 की पहली छमाही में करीब 27% रिटर्न दे चुका है. ऐसे में निवेशकों को क्या करना चाहिए, क्या सोने में अभी और मुनाफे की गुंजाइश बची हुई है?

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FE Hindi Desk
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Gold Outlook 2025 : साल 2025 की पहली छमाही में सोना फायदे का सौदा साबित हुआ है. क्या है आगे की राह? (Image : Freepik)

Gold Outlook 2025 : साल 2025 की पहली छमाही में सोना निवेशकों के लिए काफी फायदे का  सौदा साबित हुआ है. जनवरी से जून के बीच एमसीएक्स पर सोने की कीमतें करीब 27% बढ़ी हैं, जबकि अप्रैल 2025 से अब तक के सोने के रिटर्न (Gold Return) तो और भी शानदार रहे हैं. लेकिन फिलहाल बड़ा सवाल यह है कि क्या सोने में निवेश पर मुनाफा मिलने का यह सिलसिला आगे भी जारी रहेगा या अब सावधानी बरतने का समय है? विशेषज्ञों का मानना है कि सोने की चाल अब कुछ थमती हुई नजर आ सकती है. लिहाजा अब नया निवेश काफी सोच-समझकर करना चाहिए.

पहली छमाही में सोने की दमदार परफॉर्मेंस

मेहता इक्विटीज लिमिटेड के वाइस प्रेसिडेंट (कमोडिटी) राहुल कलंत्री ने बताया कि सोने में सेफ हेवन डिमांड अब भी बनी हुई है. उन्होंने बताया, “इस साल की पहली छमाही में एमसीएक्स पर सोने की कीमतें 76,772 रुपये प्रति 10 ग्राम से बढ़कर जून 2025 के अंत में 96,075 रुपये प्रति 10 ग्राम तक पहुंच गईं,जो 6 महीने में 27% का रिटर्न है. अगर मौजूदा वित्त वर्ष की शुरुआत यानी अप्रैल 2025 से अब तक का प्रदर्शन देखें, तो सोने का रिटर्न 33% तक पहुंच चुका है.” इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि सोने का प्रदर्शन बाकी सभी एसेट क्लास के मुकाबले बेहतर रहा है. लेकिन उन्होंने यह हिदायत भी दी कि अब ग्लोबल इकॉनमी में स्थिरता लौटने लगी है, जिससे सोने की तेजी थम सकती है.

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अभी निवेश करें या इंतजार रहेगा बेहतर

राहुल कलंत्री का मानना है कि निवेशकों को मौजूदा ऊंचे स्तरों पर नए निवेश से बचना चाहिए. उन्होंने कहा, “पहली छमाही निश्चित तौर पर सोने के लिए पॉजिटिव रही, लेकिन अब जब ग्लोबल इकनॉमिक इंडिकेटर्स में सुधार दिख रहा है, तो कीमतों में कुछ नरमी आ सकती है.”

उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि शॉर्ट टर्म इनवेस्टर्स अपने पोर्टफोलियो का एक हिस्सा चांदी में डालने के बारे में सोच सकते हैं. उनकी दलील है कि इंडस्ट्रियल डिमांड और इकनॉमिक एक्सपेंशन की वजह से चांदी में बेहतर रिटर्न मिलने की संभावना है. हालांकि इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि निवेश का कोई भी फैसला सोच-समझकर और अनुशासित ढंग से ही करना चाहिए.

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सोने में तेजी क्या थमने वाली है?

मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड के सीनियर एनालिस्ट (कमोडिटी एंड करेंसी) मानव मोदी का मानना है कि मौजूदा तेजी थोड़ी लंबी खिंच चुकी है. उनके मुताबिक “कीमतें फिर से चढ़ने से पहले कुछ समय के लिए थम सकती हैं और थोड़ी गिरावट भी आ सकती है. निवेशक इस गिरावट का फायदा उठाकर लंबे समय के लिए खरीदारी कर सकते हैं.”

विशेषज्ञों की राय में इस साल सोने की कीमतें कई वजहों से बढ़ीं – जैसे कि कई देशों में, खासकर इमर्जिंग इकॉनमी वाले देशों द्वारा सोने की जमकर खरीद किया जाना, ग्लोबल लेवल पर जियो-पोलिटिकल टेंशन, कमजोर अमेरिकी डॉलर, ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद और भारत-चीन में रिटेल डिमांड में मजबूती.

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अगले छह महीने में क्या होगा

राहुल कलंत्री का मानना है कि अगले छह महीने के दौरान सोने की कीमतों में कुछ गिरावट या ठहराव देखने को मिल सकता है. उन्होंने कहा, “जब तक ब्याज दरों में या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रिस्क के लेवल में कोई बड़ा बदलाव नहीं होता, तब तक सोने का रुझान स्टेबल से छोड़ा निगेटिव भी रह सकता है.”

मानव मोदी भी सहमत हैं कि अगर जियो-पोलिटिकल टेंशन (जैसे ईरान-इजराइल विवाद) कम होता है, तो सोने में बढ़त के लिए कोई नया कारण नहीं बचेगा. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि अगर ब्याज दरों में कटौती होती है या आर्थिक आंकड़े कमजोर आते हैं, तो सोने को दोबारा सहारा मिल सकता है.

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सोने में कैसे करें निवेश

बहुत से निवेशक इस बात को लेकर उलझन में रहते हैं कि उन्हें गोल्ड ईटीएफ लेना चाहिए या फिजिकल गोल्ड. इस पर राहुल कलंत्री ने साफ कहा, “जब निवेश की बात आती है, तो यह इस पर निर्भर करता है कि आपके लिए कौन सा माध्यम ज्यादा सुविधाजनक है. कोई भी ऑप्शन गलत नहीं है – यह आपके लक्ष्य, समय और सुविधा पर निर्भर करता है.”

एक्सपर्ट्स का मानना है कि गोल्ड में पैसे लगाने के बारे में फैसला करते समय अपने निवेश के तरीके और लक्ष्य को भी ध्यान में रखना जरूरी है. मिसाल के तौर पर जिन लोगों को बेहतर लिक्विडिटी चाहिए, उनके लिए गोल्ड ईटीएफ बेहतर हैं. एसआईपी के जरिये निवेश करने वालों के लिए गोल्ड म्यूचुअल फंड अच्छा ऑप्शन हो सकते हैं, जबकि फिजिकल गोल्ड में निवेश करने वालों के लिए गोल्ड कॉयन या बार (Gold Coins or Bars) बेहतर हैं, क्यों गहनों की तरह उनमें मेकिंग चार्ज नहीं लगता.

कुल मिलाकर, लॉन्ग टर्म रिटर्न के लिहाज से सोना अब भी आकर्षक विकल्प बना हुआ है, लेकिन मौजूदा ऊंची कीमतों पर जल्दबाजी में नया निवेश करना सही नहीं होगा. इसकी बजाय कीमतों में कुछ नरमी आने का इंतजार करना ज्यादा बेहतर रहेगा.

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