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Why Gold Price Rise in Crisis : संकट के समय सोने के भाव में उछाल क्यों आता है? (Image : Freepik)
Why Gold Prices Surge During International Tensions or Crisis: जब भी दुनिया में कुछ ऐसा होता है, जिसकी वजह से बड़े पैमाने पर तनाव या संकट का माहौल बनता हो, मिसाल के तौर पर कोई बड़ी महामारी या जंग के हालात, तो अक्सर सोने के दाम तेजी से बढ़ते हैं. ऐसा एक बार नहीं, बल्कि बार-बार देखा गया है. चाहे कोविड-19 महामारी का वक्त हो, रूस-यूक्रेन की जंग या पश्चिम एशिया के देशों में टकराव, हर बार सोने की कीमतें ऊपर की तरफ भागती हैं. आखिर ऐसा क्यों होता है? क्या हैं ऐसे 5 बड़े कारण, जिनकी वजह से संकट के समय सोने के भाव में उछाल आता है.
1. सप्लाई और डिमांड का बैलेंस
तमाम दूसरी चीजों की तरह ही सोने की कीमत भी मुख्य रूप से इसकी डिमांड और सप्लाई पर निर्भर करती है. किसी भी वजह से जब निवेशक बढ़-चढ़कर सोना खरीदना शुरू करते हैं, तो डिमांड अचानक बढ़ जाती है. जबकि सप्लाई सीमित होती है क्योंकि सोने की माइनिंग या सेंट्रल बैंक की बिक्री स्टेबल रहती है. ऐसे में डिमांड ज्यादा और सप्लाई कम होने के कारण भाव तेजी से चढ़ने लगते हैं. यह तो कीमतें बढ़ने का एक तकनीकी कारण है, लेकिन यह जानना दिलचस्प है कि टेंशन के दौरान सोने की डिमांड बढ़ती क्यों है.
2. सोना देता है संकट के माहौल में सुरक्षा का एहसास
सोने को "सेफ हैवन एसेट" कहा जाता है, यानी ऐसा निवेश जो संकट के समय भी सुरक्षित रहता है. जब शेयर बाजार में गिरावट आती है या करेंसी कमजोर होती है, तो निवेशक ऐसे एसेट की तलाश करते हैं जो स्टेबल हो. सोना सदियों से इस जरूरत को पूरा करता आया है. यही वजह है कि जब भी ग्लोबल लेवल पर टेंशन बढ़ता है, तो लोग ज्यादा सोना खरीदते हैं और डिमांड बढ़ने से सोने के भाव बढ़ जाते हैं.
3. जियो-पोलिटिकल टेंशन या जंग का इकॉनमी पर असर
जब कभी दुनिया में जंग या जियो पोलिटिकल टेंशन होता है, तो उसका असर अर्थव्यवस्था पर पड़ता है. इससे प्रभावित देशों में करेंसी कमजोर होती है, शेयर बाजार में गिरावट आती है और महंगाई बढ़ने का डर सताता है. ऐसे माहौल में सोना सबसे भरोसेमंद एसेट बन जाता है. जैसे कि गल्फ वॉर (1990-91) और रूस-यूक्रेन संघर्ष के समय भी देखा गया कि सोने के दाम में अच्छी-खासी बढ़ोतरी हुई थी. लोगों को डर होता है कि आगे हालात और बिगड़ सकते हैं, इसलिए वे सोने को सुरक्षित विकल्प मानकर उसमें निवेश बढ़ा देते हैं.
4. रक्षा खर्च और महंगाई का कनेक्शन
जब किसी देश में युद्ध या तनाव होता है, तो उसका रक्षा बजट अचानक बढ़ा दिया जाता है. इससे सरकार के खर्चे बढ़ते हैं और अक्सर इसका असर इंफ्लेशन यानी महंगाई में बढ़ोतरी के रूप में सामने आता है. जैसे-जैसे करेंसी की परचेजिंग पावर घटती है, लोग ऐसे विकल्प की तलाश करते हैं जो इंफ्लेशन से बचा सके – और वह है सोना. इसलिए रक्षा खर्च और सोने के दामों में सीधा संबंध देखा गया है.
5. सांस्कृतिक कारण
भारत जैसे देश में सोने का न सिर्फ निवेश के तौर पर बल्कि सांस्कृतिक रूप से भी बड़ा महत्व है. शादी-ब्याह, त्योहारों और धार्मिक अवसरों पर सोना खरीदा जाता है. यही वजह है कि जब भी आर्थिक अनिश्चितता होती है, तो लोग नकदी को सोने में बदलना ज्यादा सुरक्षित मानते हैं. भारतीय निवेशकों की यह परंपरागत सोच भी संकट के समय सोने की डिमांड को बढ़ावा देती है.
सोना सिर्फ एक कीमती मेटल नहीं है, बल्कि यह आर्थिक और राजनीतिक अस्थिरता के माहौल में निवेशकों का भरोसेमंद साथी बन जाता है. चाहे पश्चिमी देश हों या भारत जैसे पारंपरिक बाजार, हर जगह संकट के समय सोने की अहमियत बढ़ जाती है.