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Gold: क्या सोने में तेजी का दौर खत्म? या फिर बाजार को है नए ट्रिगर का इंतजार

Gold Trends: पिछले तीन महीनों में सोने के दाम 4% गिरे हैं, लेकिन साल की शुरुआत से अब तक 27% और पिछले 12 महीनों में 40% की बढ़त हुई है. क्या यह तेजी खत्म हो गई है या सोना किसी नए ट्रिगर का इंतजार कर रहा है?

Gold Trends: पिछले तीन महीनों में सोने के दाम 4% गिरे हैं, लेकिन साल की शुरुआत से अब तक 27% और पिछले 12 महीनों में 40% की बढ़त हुई है. क्या यह तेजी खत्म हो गई है या सोना किसी नए ट्रिगर का इंतजार कर रहा है?

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FE Hindi Desk
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Gold Next Rally Prediction: सोने में निवेश करने वालों को अमेरिकी डॉलर पर नजर रखनी चाहिए, क्योंकि आने वाले हफ्तों या महीनों में यही तय कर सकता है कि सोने की कीमत ऊपर जाएगी या नीचे. Photograph: (AI Image)

Is the gold bull run over? Market awaits fresh triggers : सोने की कीमतों में इन दिनों थोड़ी रुकावट नजर आ रही है, जैसा कि लंबे समय की तेजी के बाद अक्सर सभी एसेट (जैसे शेयर, रियल एस्टेट) में होता है. अप्रैल में जब सोने ने 3,500 यूएस डॉलर प्रति औंस का ऑल टाइम हाई छू लिया था, उसके बाद से इसकी कीमतें एक सीमित दायरे में चल रही हैं. अब यह 3,200 से 3,350 डॉलर के बीच कारोबार कर रहा है.

भारत में आज सोने का दाम करीब 98,220 रुपये प्रति 10 ग्राम है, और पिछले दो महीने से यह भी लगभग इसी दायरे में बना हुआ है. हालांकि, पिछले तीन महीनों में सोने की कीमत 4% गिर चुकी है, लेकिन इस साल की शुरुआत से अब तक (YTD) यह 27% ऊपर है. और अगर पिछले 12 महीनों की बात करें, तो इसमें कुल 40% तक की जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है.
तो आखिर सोने की तेजी (रैली) थमी क्यों है? और सबसे जरूरी सवाल यह है कि—क्या सोने की तेजी अब खत्म हो चुकी है, या फिर किसी नए बड़े कारण (Trigger) का इंतजार कर रही है?

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कोई नहीं जानता और न ही किसी निवेशक को अंदाज़ों पर निर्भर होना चाहिए.
तो आइए समझने की कोशिश करते हैं कि फिलहाल कौन-कौन से कारण असर डाल रहे हैं, ताकि सोने को लेकर समझदारी से फैसला लिया जा सके.

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तेजी की वजह क्या थी?

अक्टूबर 2022 में सोना $1,500 से बढ़कर अब $3,350 तक पहुंच गया. लेकिन इसके पीछे वजहें क्या थीं? और क्या वे अभी भी लागू हैं?

शुरुआत में, युद्ध जैसे हालात मुख्य वजह थे. रूस, यूक्रेन, इज़राइल और ईरान जैसे देशों के बीच बढ़ते तनाव ने सोने की मांग को बढ़ाया.

फिलहाल, यह स्थिति कुछ हद तक शांत नजर आ रही है.

इसके बाद आया ट्रंप का टैरिफ फैसला, जिससे देशों के बीच व्यापारिक टकराव बढ़ने की आशंका थी.

लेकिन, डेडलाइन बदलने और कुछ देशों पर नरम रुख अपनाने से साफ हो गया कि असर पहले जितना गंभीर नहीं होगा.

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अब कौन से फैक्टर असर डाल रहे हैं?

आज अमेरिका की अर्थव्यवस्था काफी स्थिर दिख रही है, नौकरी के आंकड़े मजबूत स्थिति दिखा रहे हैं. लेकिन चिंता की बात यह है कि अमेरिका को अपने खरबों डॉलर के कर्ज पर बहुत ज्यादा ब्याज देना पड़ रहा है.

17 जुलाई 2025 तक अमेरिका का कुल फेडरल कर्ज $36.62 ट्रिलियन है. जून 2025 तक इस पर $900 बिलियन ब्याज दिया जा चुका है. वह दिन दूर नहीं जब सालाना ब्याज का आंकड़ा 1 ट्रिलियन डॉलर पार कर जाएगा.

जिस दिन ऐसा होगा, सोने की कीमतों में तेज उछाल संभव है.

अमेरिका को इस ब्याज से बचाने का एक ही तरीका है—फेडरल फंड रेट में कटौती. अगर US फेड रेट घटाता है, तो कर्ज पर ब्याज का बोझ भी कम होगा.

लेकिन समस्या यह है कि US फेड की नजर में ट्रंप के टैरिफ से महंगाई बढ़ सकती है.

हालांकि अगर टैरिफ के बावजूद अमेरिका में चीजों के दाम ज्यादा नहीं बढ़ते, तो फेड रेट घटाने लगेगा. फरवरी से 10% टैरिफ लागू है, लेकिन महंगाई पर खास असर नहीं दिखा है.

ऐसे में ब्याज दरों को घटाने की काफी गुंजाइश है. अभी दरें 4.25%-4.5% हैं, और सितंबर से 300 बेसिस प्वाइंट तक कटौती की उम्मीद है.

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कमजोर डॉलर और ट्रंप का दबाव

लेकिन कहानी में एक मोड़ और है—अगर दरें घटती हैं और दुनिया में आर्थिक और राजनीतिक तनाव बना रहता है, तो सोने की चमक और बढ़ेगी. यही सोने के लिए एक नया ट्रिगर हो सकता है.

सोने और ब्याज दरों का आपस में उल्टा रिश्ता होता है. जब संकट होता है, तो निवेशक डॉलर की जगह सोने को सुरक्षित विकल्प मानते हैं.

डॉलर की बात करें तो अगर डॉलर इंडेक्स और कमजोर होता है, तो यह भी सोने के दाम को बढ़ावा देगा. डॉलर इंडेक्स इस साल 9% गिर चुका है और 100 के नीचे चल रहा है.

कमजोर डॉलर खुद में अमेरिका की बिगड़ती आर्थिक हालत का संकेत है—यह भी सोने के लिए एक ट्रिगर हो सकता है.

इसी बीच एक नया ट्रंप फैक्टर सामने आया है. ट्रंप चाहते हैं कि फेड चेयरमैन जेरोम पॉवेल तेजी से ब्याज दरों में कटौती करें. ट्रंप का कहना है कि पॉवेल पहले ही देर कर चुके हैं और अब उन्हें तुरंत 3% की कटौती करनी चाहिए.

पॉवेल और उनकी टीम अभी टैरिफ के असर को देखकर रेट स्थिर रखे हुए हैं, दिसंबर से कोई बदलाव नहीं हुआ.

हालांकि ट्रंप ने पॉवेल को हटाने से इनकार किया है, लेकिन व्हाइट हाउस उन पर दबाव बना रहा है कि वे 2026 के पहले ही इस्तीफा दें.

व्हाइट हाउस का यह दखल एक स्वतंत्र संस्था जैसे US फेड की साख को कमजोर कर रहा है.

अगर फेड की साख और कमजोर होती है, तो यह भी सोने के लिए बड़ा ट्रिगर बन सकता है. राजनीतिक और आर्थिक अनिश्चितता में सोना हमेशा एक सुरक्षित विकल्प माना जाता है.

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अब आगे क्या?

फिलहाल अमेरिका के आर्थिक आंकड़े, डॉलर इंडेक्स की चाल, यूएस फेड की ब्याज दरों में कटौती और ट्रंप टैरिफ के बीच आर्थिक हालात—ये सभी सोने को समर्थन देने वाले सबसे बड़े फैक्टर हैं.

सेंट्रल बैंक लगातार खरीदारी कर रहे हैं, वहीं निवेशक भी गोल्ड-बैक्ड फंड्स में पैसा लगा रहे हैं.

सोने में निवेश करने वालों को अमेरिकी डॉलर पर नजर रखनी चाहिए. यही एक संकेतक है जो आने वाले हफ्तों या महीनों में सोने की दिशा तय कर सकता है.

जब तक कोई नया ट्रिगर सामने नहीं आता, सोने में बड़ी तेजी कब आएगी—यह कहना मुश्किल है. अगर कोई नया संकेत आता है, तो हम सबसे पहले आपको बताएंगे. बस हमारे Gold Pulse पेज से जुड़े रहें.

(Credit : Sunil Dhawan)

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