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Sebi Circular : म्यूचुअल फंड कैटेगरी पर सेबी ने जारी किया नया ड्राफ्ट सर्कुलर, जनता से मांगी राय

SEBI Draft Circular : सेबी ने म्यूचुअल फंड स्कीम के कैटेगराइजेशन के बारे में एक नया ड्राफ्ट सर्कुलर जारी किया है और इस पर आम लोगों की राय भी मांगी है.

SEBI Draft Circular : सेबी ने म्यूचुअल फंड स्कीम के कैटेगराइजेशन के बारे में एक नया ड्राफ्ट सर्कुलर जारी किया है और इस पर आम लोगों की राय भी मांगी है.

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FE Hindi Desk
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SEBI draft circular, mutual fund scheme categorization

SEBI Draft Circular : मार्केट रेगुलेटर सेबी ने एक नया ड्राफ्ट सर्कुलर जारी किया है. (File Photo : Reuters)

SEBI Draft Circular : देश के मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) ने एक नया ड्राफ्ट सर्कुलर जारी किया है. यह सर्कुलर म्यूचुअल फंड स्कीम के कैटेगराइजेशन और इसे आसान बनाने के बारे में है. 18 जुलाई को जारी इस ड्राफ्ट सर्कुलर का मकसद स्कीम्स में पोर्टफोलियो ओवरलैप को कम करना और नए इनवेस्टमेंट प्रोडक्ट्स को लाने में मदद करना है. सेबी ने अपने ड्राफ्ट सर्कुलर पर आम लोगों से उनकी राय भी मांगी है.

8 अगस्त तक दे सकते हैं अपनी राय

सेबी ने यह ड्राफ्ट सर्कुलर पब्लिक कंसल्टेशन के लिए जारी किया है. इसमें दिलचस्पी रखने वाले लोग 8 अगस्त 2025 तक सेबी की वेबसाइट पर जाकर इस ड्राफ्ट पर अपनी राय दे सकते हैं. सेबी अपने इस ड्राफ्ट सर्कुलर के जरिये म्यूचुअल फंड स्कीम्स को अलग-अलग कैटेगरी में बांटने की प्रॉसेस को आसान बनाना चाहता है.

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क्यों जरूरी है बदलाव

सेबी ने अपने सर्कुलर में बताया कि हाल के वर्षों में म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री में तेजी से ग्रोथ हुई है, चाहे वह एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) की बात हो या फिर निवेशकों की संख्या की. एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (AMFI) और इंडस्ट्री के अन्य प्लेयर्स की तरफ से मिले सुझावों को ध्यान में रखते हुए, सेबी ने 6 अक्टूबर 2017 के कैटेगराइजेशन सर्कुलर को रिव्यू करने का फैसला लिया. इसका मकसद ये है कि म्यूचुअल फंड्स मार्केट में इनोवेटिव प्रोडक्ट्स लाने की गुंजाइश के साथ ही साथ निवेशकों की सुरक्षा और स्कीम की पारदर्शिता भी बनी रहे.

कैटेगरी से मेल खाने वाला हो स्कीम का नाम

सेबी ने ड्राफ्ट में कहा है कि निवेशकों को स्कीम को आसानी से समझने और पहचानने में मदद मिल सके, इसके लिए स्कीम का नाम उसी कैटेगरी के नाम जैसा होना चाहिए. यह नियम इसलिए लाया गया है ताकि स्कीम “true-to-label” बनी रहे, यानी स्कीम नाम उसके निवेश के उद्देश्य से मेल खाता हो.

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पोर्टफोलियो ओवरलैप दूर करने की कोशिश

सेबी ने यह भी बताया कि स्कीम्स की कैटेगराइजेशन जांच के दौरान पाया गया कि कुछ स्कीम्स के पोर्टफोलियो एक-दूसरे से काफी हद तक मेल खाते हैं. इससे निवेशकों को भ्रम हो सकता है और अलग-अलग स्कीम्स में निवेश करके भी वे एक ही तरह के एसेट्स में पैसे लगा बैठते हैं. इसीलिए अब स्कीम्स के पोर्टफोलियो में साफ-साफ अंतर मेंटेन करने के लिए ठोस नियम लाने की तैयारी की जा रही है.

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ड्राफ्ट सर्कुलर में क्या हैं प्रस्ताव

ड्राफ्ट सर्कुलर में कुल 20 प्रस्ताव शामिल किए गए हैं, जो कि पांच मुख्य कैटेगरी में बांटे गए हैं:

  1. इक्विटी स्कीम्स (Equity Schemes)

  2. डेट स्कीम्स (Debt Schemes)

  3. हाइब्रिड स्कीम्स (Hybrid Schemes)

  4. सॉल्यूशन-ओरिएंटेड स्कीम्स (Solution-oriented Schemes)

  5. अन्य स्कीम्स (Other Schemes)

इन प्रस्तावों का उद्देश्य म्यूचुअल फंड स्कीम्स के बीच फर्क को क्लियर रखना है ताकि निवेशकों को आसानी से समझ आए कि वे कहां और किस तरह के एसेट्स में निवेश कर रहे हैं.

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आगे क्या होगा

ड्राफ्ट सर्कुलर पर सार्वजनिक टिप्पणियां और सुझाव मिलने के बाद सेबी की तरफ से उन्हें स्टडी किया जाएगा. इसके बाद ही कोई फाइनल सर्कुलर जारी किया जा सकता है. अगर आप म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं या निवेश के बारे में सोच रहे हैं, तो सेबी की इस प्रॉसेस पर जरूर नजर रखें और अगर आपके पास इस बारे में कोई सुझाव हो तो सेबी के पोर्टल पर जरूर शेयर करें.

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