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Patna HC on GST Refund : पटना हाईकोर्ट का फैसला टैक्सपेयर्स के लिए राहत भरा साबित हो सकता है. (Image : Pixabay)
Patna HC on GST Refund Limitation Period :पटना हाईकोर्ट ने हाल ही में एक अहम फैसला दिया है, जो टैक्सपेयर्स के लिए काफी राहत भरा साबित हो सकता है. हाईकोर्ट ने कहा है कि अगर कोई टैक्सपेयर गलती से जीएसटी (GST) गलत हेड में जमा कर देता है, जैसे कि IGST की जगह SGST/CGST में, तो रिफंड के लिए लिमिटेशन पीरियड उसी तारीख से गिना जाएगा जिस दिन टैक्सपेयर ने टैक्स सही हेड में जमा किया हो.
क्या है पूरा मामला
यह केस वित्त वर्ष 2017-18 से जुड़ा हुआ है. एक टैक्सपेयर ने उस साल GSTR-01, GSTR-3B और GSTR-09 फाइल करके अपना सारा टैक्स जमा कर दिया था. लेकिन जब ऑडिट हुआ तो विभाग को पता चला कि टैक्सपेयर ने कुछ ट्रांजैक्शन्स को गलत तरीके से इंट्रा-स्टेट (CGST/SGST) दिखा दिया था, जबकि वे असल में इंटर-स्टेट (IGST) थे.
बाद में टैक्सपेयर ने अपनी गलती सुधारते हुए सही हेड (IGST) में टैक्स जमा किया और रिफंड के लिए अप्लाई कर दिया. हालांकि, विभाग ने यह मान लिया कि टैक्सपेयर को रिफंड का हक है, लेकिन लिमिटेशन पीरियड के आधार पर आवेदन को खारिज कर दिया.
विभाग की दलील और कोर्ट का फैसला
टैक्स विभाग का कहना था कि टैक्स जनवरी 2018 में जमा किया गया था और टैक्सपेयर ने जनवरी 2024 में रिफंड क्लेम किया, यानी करीब 4 साल की देरी हो गई. लेकिन हाईकोर्ट की बेंच (जस्टिस राजीव रंजन प्रसाद और शैलेन्द्र सिंह) ने इस दलील को खारिज कर दिया.
कोर्ट ने साफ कहा कि लिमिटेशन पीरियड उस तारीख से शुरू होगा जब टैक्सपेयर ने सही हेड में टैक्स जमा किया हो, न कि उस समय से जब गलती से गलत हेड में टैक्स जमा कर दिया गया था.
टैक्सपेयर को मिलेगा रिफंड और ब्याज
हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि टैक्सपेयर को न सिर्फ रिफंड मिलेगा बल्कि उस पर ब्याज भी मिलेगा. कोर्ट ने आदेश दिया कि SGST और CGST के तहत जमा राशि पर टैक्सपेयर को 6% सालाना ब्याज दिया जाए. यह ब्याज रिफंड आवेदन की तारीख से तीन महीने बाद से लेकर वास्तविक भुगतान की तारीख तक लागू होगा.
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GST ढांचे में बड़े बदलाव की तैयारी
इस बीच, केंद्र सरकार भी जीएसटी स्ट्रक्चर में बड़े बदलाव की तैयारी कर रही है. हाल ही में यह घोषणा की गई कि सरकार गुड्स पर सिर्फ दो टैक्स स्लैब – 5% और 18% रखने की दिशा में विचार कर रही है.
अभी अलग-अलग सामान और सेवाओं पर कई तरह के स्लैब लागू हैं, जिससे टैक्स सिस्टम जटिल हो जाता है. अगर यह बदलाव लागू होता है तो जीएसटी व्यवस्था काफी हद तक सरल और पारदर्शी बन जाएगी.
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पटना हाईकोर्ट का यह फैसला टैक्सपेयर्स के लिए बड़ी राहत लेकर आया है. यह साफ कर दिया गया है कि अगर गलती से टैक्स गलत हेड में जमा हो जाए और बाद में सही किया जाए, तो रिफंड का लिमिटेशन पीरियड सही पेमेंट की तारीख से ही शुरू होगा. साथ ही, ब्याज मिलने के आदेश से यह फैसला टैक्सपेयर-फ्रेंडली भी साबित होता है. आने वाले समय में सरकार की जीएसटी रिफॉर्म्स की योजना टैक्सपेयर्स को और भी सरल और स्पष्ट टैक्स व्यवस्था उपलब्ध करा सकती है.