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Dmart is dead. Long live Dmart : डीमार्ट को खत्म न समझें, असली खेल तो अब हुआ शुरू

DMart ने एक बार फिर से दिखा दिया है कि उसके बारे में जताई गई आशंकाएं गलत साबित होती हैं. ऊंचे वैल्यूएशन और मार्जिन पर दबाव के बावजूद DMart का मॉडल लंबी रेस का घोड़ा साबित हो रहा है.

DMart ने एक बार फिर से दिखा दिया है कि उसके बारे में जताई गई आशंकाएं गलत साबित होती हैं. ऊंचे वैल्यूएशन और मार्जिन पर दबाव के बावजूद DMart का मॉडल लंबी रेस का घोड़ा साबित हो रहा है.

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FE Hindi Desk
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DMart ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि उसे लेकर जो शंकाएं जताई जाती हैं, वे गलत साबित होती हैं. (Image : X /Twitter)

by Manvi Aggarwal

डीमार्ट (DMart) ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि उसे लेकर जो शंका जताई जाती है, वह गलत साबित होती है. स्टोर नेटवर्क का तेजी से विस्तार, प्राइवेट लेबल पर जोर और अब उत्तर भारत में एंट्री—इन सब वजहों से यह कंपनी अब भी भारत की सबसे भरोसेमंद रिटेल ग्रोथ मशीन बनी हुई है. हां, वैल्यूएशन ऊंचे हैं और मार्जिन पर दबाव भी है, लेकिन फिर भी DMart का मॉडल लंबी रेस का घोड़ा साबित हो रहा है.

DMart का ‘बोरिंग’ बिजनेस मॉडल

एवेन्यू सुपरमार्ट्स (Avenue Supermarts Ltd - DMart) को हमेशा ‘बोरिंग’ कंपनी कहा गया है. वजह साफ है—यह ग्लैमर या बड़ी-बड़ी ब्रांडिंग पर पैसा नहीं उड़ाती.DMart सिर्फ ग्रॉसरी, एफएमसीजी और थोड़े बहुत कपड़े बेहद कम दामों पर बेचती है.

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यहां न तो बड़े-बड़े सेलिब्रिटी ऐड होते हैं और न ही चमक-दमक वाले ऑफर. लेकिन यही तो इसकी सबसे बड़ी ताकत है. DMart का मकसद कभी भी सब कुछ सबको बेचना नहीं रहा. इसका असली लक्ष्य है—भारत का सबसे भरोसेमंद और सस्ता वैल्यू रिटेलर बनना.

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नंबरों में सफलता की कहानी

आंकड़े खुद कहानी कहते हैं. FY23 में 48,840 करोड़ रुपये की आय से FY25 में कंपनी का रेवेन्यू 59,358 करोड़ रुपये पर पहुंच गया. यानी करीब 17% की CAGR ग्रोथ.

नेट प्रॉफिट 2,707 करोड़ रुपये रहा, जिसमें टैक्स गेन को शामिल नहीं किया गया है. EBITDA मार्जिन थोड़ा घटकर 7.9% जरूर आया, लेकिन ROCE (17.8%) और ROE (13.4%) अब भी इंडस्ट्री में सबसे बेहतर हैं.

जब बाकी कंज्यूमर कंपनियां मिड-सिंगल डिजिट ग्रोथ के लिए जूझ रही हैं, DMart लगातार डबल डिजिट टॉपलाइन ग्रोथ दिखा रहा है.

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DMart की असली ताकत – स्टोर एक्सपैंशन

DMart की असली ताकत है स्टोर नेटवर्क. FY25 में इसने 50 नए स्टोर खोले और अब इसका कुल आंकड़ा 415 तक पहुंच गया.

कंपनी का साफ कहना है कि हर साल बेस स्टोर का 10–20% बढ़ाना ही रणनीति है. फिलहाल इसके पास करीब 600 स्टोर तक सपोर्ट करने लायक जमीन और वर्कफोर्स तैयार है.

सबसे बड़ी बात यह है कि अब DMart उत्तर भारत की तरफ बढ़ रहा है. यूपी, पंजाब और एनसीआर इसके नए युद्ध-क्षेत्र बनने जा रहे हैं. महाराष्ट्र, गुजरात और साउथ इंडिया में मजबूत पकड़ के बाद यह अगला बड़ा ग्रोथ फेज है.

पूर्व सीईओ नेविल नोरोंहा ने कहा था—"नॉर्थ इंडिया में अब भी बड़े मौके बाकी हैं."

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प्राइवेट लेबल का 20-20-20 फॉर्मूला

DMart की दूसरी बड़ी ताकत है इसका प्राइवेट लेबल मॉडल. कंपनी की रणनीति तीन चीजों पर टिके है—

  • 20% मार्केट शेयर हासिल करना

  • ब्रांड्स से 20% सस्ते दाम रखना

  • 20% ज्यादा मार्जिन कमाना

इससे सिर्फ प्रॉफिट नहीं बढ़ता बल्कि ग्राहक भी DMart से मजबूती से जुड़े रहते हैं. क्योंकि जब सस्ते और भरोसेमंद विकल्प एक ही जगह मिलते हैं तो ग्राहक को ब्रांड बदलने की जरूरत नहीं पड़ती.

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क्विक कॉमर्स DMart को चुनौती क्यों नहीं

कई सालों से कहा जा रहा है कि Blinkit, Zepto या Swiggy Instamart जैसी क्विक कॉमर्स कंपनियां DMart का बिजनेस छीन लेंगी. लेकिन हकीकत अलग है.

ताजा आंकड़े बताते हैं कि एक जैसी बास्केट Blinkit पर 20% और Swiggy पर 19% महंगी पड़ती है. वजह यह है कि क्विक कॉमर्स को पिकिंग, पैकिंग और डिलीवरी का खर्च उठाना पड़ता है.

इसके मुकाबले DMart को ऐसे अतिरिक्त खर्च नहीं झेलने पड़ते. यही कारण है कि क्विक कॉमर्स का मुकाबला असल में किराना स्टोर्स से है, न कि DMart से.

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लीडरशिप में बदलाव

कंपनी के लंबे समय से सीईओ रहे नेविल नोरोन्हा (Neville Noronha) अब पद छोड़ चुके हैं. उन्होंने 2004 में DMart जॉइन किया था और इसे एक रिटेल पावरहाउस बना दिया. उनकी जगह अब अंशुल असावा (Anshul Asawa) नए सीईओ बने हैं.

अंशुल भी हिंदुस्तान यूनिलीवर से आते हैं और उन्होंने अपने शुरुआती महीनों में DMart के वर्क कल्चर सप्लाई चेन और स्टोर्स को गहराई से समझा है. उनका संदेश साफ है—"जो ठीक चल रहा है उसे बदलने की जरूरत नहीं. बस स्केल और टैलेंट बढ़ाना है."

जोखिम और चुनौतियां

फिर भी चुनौतियां बनी हुई हैं.

  • नए स्टोर खुलने से शॉर्ट टर्म में लागत बढ़ेगी और मार्जिन पर दबाव रहेगा.

  • क्विक कॉमर्स का मॉडल भविष्य में बदल सकता है.

  • FMCG कंपनियां D2C मॉडल पर और आक्रामक हो सकती हैं.

  • खाने-पीने की चीजों में महंगाई DMart की लो-प्राइस पॉलिसी को टेस्ट कर सकती है.

लेकिन लंबी अवधि में DMart का अनुशासित और स्थिर बिजनेस मॉडल इन चुनौतियों पर भारी पड़ता है.

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वैल्यूएशन का सवाल

DMart फिलहाल 105x अर्निंग्स पर ट्रेड कर रहा है, जो काफी महंगा माना जाता है. यहां से बड़े रिटर्न पाने के लिए कंपनी को लगातार स्टोर एक्सपैंशन, प्राइवेट लेबल स्केलिंग और कॉस्ट एडवांटेज बनाए रखना होगा.

फिर भी, भारत का रिटेल सेक्टर अब भी चीन से काफी छोटा है, यानी DMart के पास लंबा रास्ता है.

DMart का लंबा खेल

“DMart खत्म हो गया” जैसी कहानियां बार-बार सामने आती हैं. लेकिन हर बार DMart और मजबूत होकर निकलता है.

2017 में लिस्टिंग के बाद से इसने सात गुना रिटर्न दिया है. और अब उत्तर भारत में एक्सपैंशन, प्राइवेट लेबल की पकड़ और मजबूत स्टोर इकॉनॉमिक्स के दम पर यह अगले दशक की तैयारी कर रहा है.

मार्जिन में उतार-चढ़ाव होंगे, वैल्यूएशन ऊंचा रहेगा और मुकाबला भी बढ़ेगा. लेकिन भारतीय रिटेल में अगर कोई कंपनी स्थिरता और भरोसेमंद ग्रोथ दिखा रही है, तो वह DMart ही है.

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Disclaimer

नोट: इस लेख में हमने अधिकतर आंकड़ों और डाटा के लिए www.Screener.in पर भरोसा किया है. केवल उन्हीं मामलों में जहां यह डाटा उपलब्ध नहीं था, वहां हमने किसी अन्य स्रोत का सहारा लिया है, जो व्यापक रूप से इस्तेमाल और स्वीकार किया जाता है.

इस लेख का उद्देश्य केवल दिलचस्प चार्ट्स, आंकड़े और सोचने पर मजबूर करने वाले विचार साझा करना है. यह किसी भी तरह से निवेश की सिफारिश (Recommendation) नहीं है. यदि आप निवेश पर विचार कर रहे हैं, तो दृढ़ता से सलाह दी जाती है कि पहले अपने वित्तीय सलाहकार से परामर्श करें. यह लेख केवल शैक्षिक उद्देश्य के लिए लिखा गया है.

मानवी अग्रवाल करीब दो दशकों से शेयर बाजार को ट्रैक कर रही हैं. उन्होंने लगभग आठ साल तक एक वैल्यू-स्टाइल फंड में बतौर फाइनेंशियल एनालिस्ट काम किया, जहां वे अंतरराष्ट्रीय निवेशकों के लिए धन प्रबंधन करती थीं. इसी दौरान उन्होंने गहराई से रिसर्च करने और सतही चीजों से आगे बढ़कर असली वैल्यू खोजने की अपनी विशेषज्ञता को निखारा. अब वे उसी तेज नज़र से भारतीय इक्विटी मार्केट में उन अवसरों को सामने लाती हैं जिन्हें अक्सर नज़रअंदाज कर दिया जाता है या गलत समझा जाता है.

LiveMint और Equitymaster में बतौर कॉलमिस्ट, वे जटिल वित्तीय रुझानों और घटनाओं को सरल और उपयोगी जानकारी में बदलकर निवेशकों तक पहुंचाती हैं.

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