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HDFC MF NFO Review : समय-समय पर पोर्टफोलियो रीबैलेंस किया जाएगा, ताकि इंडेक्स में शेयरों के वेटेज में होने वाले बदलाव को फॉलो किया जा सके. (Image : Freepik)
HDFC Mutual Fund NFO 2025 : एचडीएफसी म्यूचुअल फंड ने अपना न्यू फंड ऑफर एचडीएफसी बीएसई इंडिया सेक्टर लीडर्स इंडेक्स फंड लॉन्च किया है. यह एनएफओ ( New Fund Offer ) 7 नवंबर से 21 नवंबर तक खुला रहेगा. एनएफओ के दौरान इसमें लम्स सम और एसआईपी दोनों तरह से निवेश की सुविधा होगी. थीमैटिक कैटेगरी के इस फंड में लॉक इन पीरियड और एग्जिट लोड नहीं है. हालांकि इक्विटी कैटेगरी में होने के नाते यह वेरी हाई रिस्क कैटेगरी का है.
यह एचडीएफसी म्यूचुअल फंड ( HDFC Mutual Fund ) की एक ओपन-एंडेड स्कीम है जो बीएसई इंडिया सेक्टर लीडर्स इंडेक्स (TRI) को फॉलो करती है. यह स्कीम हर सेक्टर की टॉप 3 कंपनियों (मार्केट कैप के आधार पर) में निवेश करेगी. हर सेक्टर की टॉप 3 कंपनियां पिछले 6 महीनों की औसत फ्री-फ्लोट मार्केट कैपिटलाइजेशन के आधार पर चुनी जाएंगी (BSE 500 इंडेक्स से).
निवेश की रणनीति क्या है?
HDFC बीएसई इंडिया सेक्टर लीडर्स फंड को पैसिव तरीके से मैनेज किया जाएगा. यानी यह फंड उसी इंडेक्स की कंपनियों में निवेश करेगा, जिस इंडेक्स को यह फॉलो करता है. लक्ष्य रहेगा कि इंडेक्स और फंड के रिटर्न में अंतर (ट्रैकिंग एरर) बहुत कम रहे. इसके लिए समय-समय पर पोर्टफोलियो रीबैलेंस किया जाएगा, ताकि इंडेक्स में शेयरों के वेटेज में होने वाले बदलाव को फॉलो किया जा सके. फंड का कुछ पैसा लिक्विडिटी जरूरतों के लिए डेट और मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट्स में भी लगाया जा सकता है. (Source : HDFC MF SID)
SIP strategy : 15 साल में बनेगा 1 करोड़ का कॉर्पस? कितना और किस तरह की स्कीम में करना होगा निवेश
एचडीएफसी म्यूचुअल फंड की स्कीम इन्फॉर्मेशन डॉक्यूमेंट के अनुसार यह एक इंडेक्स फंड है, इसलिए यह केवल उन शेयरों में निवेश करेगा जो इंडेक्स का हिस्सा हैं. लेकिन अगर किसी कंपनी में कॉर्पोरेट एक्शन (जैसे बोनस, डिमर्जर आदि) होता है और फंड को कोई ऐसा शेयर मिल जाता है, जो इंडेक्स में नहीं है, तो ऐसे शेयरों को 7 दिनों के अंदर बेचकर सही पोर्टफोलियो बना दिया जाएगा. फंड मैनेजमेंट के तहत, यह स्कीम इंडेक्स फ्यूचर्स और ऑप्शंस जैसे डेरिवेटिव का भी उपयोग कर सकती है, लेकिन केवल उन्हीं सीमित उद्देश्यों के लिए जिनकी अनुमति SEBI नियमों में दी गई है.
स्कीम अपनी परफॉर्मेंस कैसे ट्रैक करेगी?
स्कीम की परफॉर्मेंस को BSE India Sector Leaders Index (TRI) के मुकाबले देखा जाएगा. इस इंडेक्स को इसलिए चुना गया है क्योंकि यह फंड उन्हीं शेयरों में निवेश करेगा जो BSE India Sector Leaders Index (TRI) का हिस्सा हैं. इसलिए स्कीम की परफॉर्मेंस की तुलना करने के लिए यही बेंचमार्क सबसे सही है.
ट्रस्टी को अधिकार है कि अगर जरूरत पड़े तो SEBI के नियमों के अनुसार और निवेशकों को सूचना देकर बेंचमार्क बदला जा सकता है. स्कीम का प्रदर्शन BSE India Sector Leaders Index (TRI) के कुल रिटर्न के मुकाबले देखा जाएगा.
क्यों निवेश करना चाहिए?
अलग-अलग सेक्टर में निवेश करके अच्छा डाइवर्सिफिकेशन मिलता है.
हर सेक्टर की लीडर कंपनियों में निवेश, जिससे ग्रोथ का फायदा मिल सकता है.
मजबूत कंपनियों में निवेश करके लंबी अवधि में दौलत (wealth) बढ़ाने का लक्ष्य.
BSE 500 की तुलना में सेक्टर जोखिम कम.
NFO के दौरान SIP सुविधा
एचडीएफसी म्यूचुअल फंड की स्कीम इन्फॉर्मेशन डॉक्यूमेंट के अनुसार निवेशक NFO अवधि में भी SIP शुरू कर सकते हैं. इसके लिए उन्हें SIP एनरोलमेंट फॉर्म भरकर फंड के ऑफिसियल स्वीकार केंद्र पर जमा करना होगा. अगर आप NFO में SIP रजिस्टर करते हैं, तो NFO बंद होने के 15 दिन बाद आपकी पहली SIP किस्त NACH / डायरेक्ट डेबिट / स्टैंडिंग इंस्ट्रक्शन के जरिए काटी जाएगी.
अगर आपने SIP फॉर्म के साथ पहला चेक / पेमेंट भी दिया है, तो वह पहले NFO यूनिट्स के रूप में अलॉट होगा और अगली SIP किस्त NFO बंद होने के 25 दिन बाद शुरू होगी. ध्यान रहे कि SIP तभी शुरू होगी जब आपकी SIP रजिस्ट्रेशन सफलतापूर्वक हो जाएगी. रजिस्ट्रेशन के बाद आपको एक पुष्टि संदेश मिलेगा, जिसमें SIP की जानकारी (जैसे शुरुआत की तारीख, खत्म होने की तारीख, राशि आदि) होगी.
किसके लिए बेहतर है ये स्कीम?
जो लंबी अवधि में BSE India Sector Leaders Index (TRI) के समान रिटर्न पाना चाहते हैं (फीस और खर्चे से पहले), ट्रैकिंग एरर के साथ.
उन इक्विटी शेयरों में निवेश करना चाहते हैं, जो BSE India Sector Leaders Index (TRI) में शामिल हैं.
कौन मैनेज करेगा फंड
नंदिता मेनेजेस, अरुण अग्रवाल
रिस्क फैक्टर (Risk Factors)
इस स्कीम में ऐसे कुछ जोखिम हैं जो इसके NAV, रिटर्न और निवेश लक्ष्य को प्रभावित कर सकते हैं.
क्योंकि यह स्कीम सेक्टर आधारित है, इसलिए इसमें जोखिम डायवर्सिफाइड इक्विटी फंड्स (जहां कई सेक्टर में निवेश होता है) की तुलना में ज्यादा है. एक ही सेक्टर की कंपनियों में ज्यादा निवेश होने की वजह से सेक्टर से जुड़े जोखिम बढ़ जाते हैं.
(सुझाव : हमने यह आर्टिकल जानकारी के लिए दिया है. अगर आपको यह समझ नहीं आ रहा कि यह प्रोडक्ट आपके लिए सही है या नहीं, तो अपने वित्तीय सलाहकार से सलाह लें. NFO के समय दिए गए लेबल और जानकारी स्कीम की शुरुआती आंतरिक समझ पर आधारित है. वास्तविक निवेश के बाद इसमें बदलाव हो सकता है.)
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