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How to Reduce Home Loan EMI: यहां बताए गए उपायों पर अमल करके आप अपनी होम लोन की EMI घटा सकते हैं. (Image : Freepik)
How to Reduce Home Loan EMI: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने अपनी लेटेस्ट मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की बैठकके बाद पॉलिसी इंटरेस्ट रेट में कोई कटौती नहीं की. इसका मतलब ये है कि आपको अपने होम लोन की ब्याज दरों में भी फिलहाल कोई राहत नहीं मिलेगी. लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि आप अपनी मासिक किस्त यानी EMI घटाने के लिए कुछ नहीं कर सकते. अगर आप थोड़ी सी प्लानिंग करें और समझदारी से कदम उठाएं, तो ब्याज दर में कटौती के बिना भी अपनी EMI को कम कर सकते हैं. आइए जानते हैं वो 5 तरीके जिनसे आप अपनी होम लोन की EMI में राहत पा सकते हैं.
1. प्रीपेमेंट से कम होगा ब्याज का बोझ
होम लोन की शुरुआती किस्तों में आपके EMI का बड़ा हिस्सा ब्याज भुगतान में चला जाता है, जबकि मूलधन यानी प्रिंसिपल अमाउंट धीरे-धीरे घटता है. ऐसे में अगर आप समय-समय पर लोन का प्रीपेमेंट करते हैं, तो इससे आपका आउटस्टैंडिंग प्रिंसिपल घटता है. जैसे ही प्रिंसिपल अमाउंट घटता है, उस पर लगने वाला ब्याज भी घटने लगता है. इससे न केवल आपकी EMI कम हो सकती है, बल्कि आपका लोन पीरियड भी छोटा हो सकता है. इसलिए अगर आपको सालाना बोनस के रूप में यहां कहीं और से भी कोई एक्सट्रा फंड मिले, तो उसका इस्तेमाल प्रीपेमेंट में करके अपने होम लोन का बोझ कम कर सकते हैं.
2. कम ब्याज दर के लिए बैंक से बात करें
अक्सर ऐसा होता है कि बैंक नए ग्राहकों को आकर्षक ब्याज दर पर होम लोन ऑफर करते हैं, लेकिन पुराने ग्राहकों का स्प्रेड रेट ज्यादा होता है. ऐसे में अगर आप कई साल से समय पर EMI चुका रहे हैं और आपकी क्रेडिट स्कोर भी अच्छा है, तो अपने बैंक से ब्याज दर को लेकर फिर से बात करें. हो सकता है कि बैंक आपको कम ब्याज दर पर होम लोन देने को तैयार हो जाए.
अगर दूसरे बैंक कम ब्याज दर पर लोन ऑफर कर रहे हैं, तो उसका हवाला देकर अपने मौजूदा बैंक से बेहतर डील की मांग करें. बैंक अच्छे ग्राहकों को बनाए रखने के लिए अक्सर दरें कम करने को तैयार हो जाते हैं.
3. हर साल बढ़ाएं EMI की रकम, जल्दी होगा लोन खत्म
अगर आपकी सैलरी हर साल बढ़ रही है या आपको बोनस मिल रहा है, तो उसका एक हिस्सा EMI बढ़ाने में लगाएं. इससे आप अपने लोन के प्रिंसिपल अमाउंट को जल्दी चुका पाएंगे. जब आप EMI की रकम बढ़ाते हैं, तो लोन की अवधि भी घटती है और ब्याज में बड़ी बचत होती है. EMI को हर 1-2 साल में स्टेप अप करने की आदत डालें, इससे लोन का बोझ जल्दी हल्का होगा.
4. बैलेंस ट्रांसफर से घटेगी EMI
अगर कोई दूसरा बैंक आपके मौजूदा ब्याज दर से कम रेट पर लोन ऑफर कर रहा है, तो आप अपने लोन का बैलेंस ट्रांसफर कर सकते हैं. इससे न केवल आपकी EMI कम होगी, बल्कि कुल ब्याज में भी बचत होगी. बैलेंस ट्रांसफर के समय बैंक कुछ चार्ज लगा सकते हैं, लेकिन अगर ब्याज दरों में अंतर ज्यादा है, तो यह खर्च देने के बाद भी आपको फायदा हो सकता है. आज कई बैंक 8% से कम ब्याज दर पर लोन दे रहे हैं, जो पुराने लोन की तुलना में काफी बेहतर है.
5. फिक्स्ड रेट से फ्लोटिंग रेट पर स्विच करें
फिक्स्ड रेट लोन आमतौर पर ज्यादा महंगे होते हैं, जबकि फ्लोटिंग रेट में बाजार की मौजूदा स्थिति के अनुसार बदलाव होता है. अगर ब्याज दरों में कटौती की संभावना हो, तो फ्लोटिंग रेट वाला लोन ज्यादा फायदेमंद हो सकता है. अगर आपका लोन अभी फिक्स्ड रेट पर है और फ्लोटिंग रेट उससे कम है, तो आप फ्लोटिंग रेट पर स्विच करने का ऑप्शन चुन सकते हैं. हो सकता है कि इसके लिए बैंक एक छोटा-सा चार्ज ले, लेकिन लंबी अवधि में इससे आपकी EMI पर बड़ा असर पड़ेगा.
RBI भले ही ब्याज दर में कोई बदलाव न करे, लेकिन समझदारी से उठाए गए कदमों से आप अपनी EMI को घटा सकते हैं. समय-समय पर प्रीपेमेंट करें, EMI बढ़ाएं, बेहतर डील के लिए बैंक से बात करें और जरूरत हो तो बैलेंस ट्रांसफर या फ्लोटिंग रेट पर स्विच करने से भी न हिचकिचाएं. EMI घटाना पूरी तरह आपके हाथ में है – बस थोड़ी सूझ-बूझ की जरूरत है.