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India Housing Supply Report 2025: टियर-2 शहरों में घट गई हाउसिंग सप्लाई, सिर्फ 3 महीने में 35% की गिरावट. (Image : Freepik)
India Housing Supply Report 2025: साल 2025 की पहली तिमाही यानी जनवरी से मार्च के बीच भारत के टॉप 15 टियर-2 शहरों में नए घरों की सप्लाई में 35% की भारी गिरावट दर्ज की गई. प्रॉपइक्विटी की रिपोर्ट के अनुसार, इस दौरान केवल 30,155 यूनिट्स ही लॉन्च हो सकीं, जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह आंकड़ा 45,901 यूनिट्स था. इन नई यूनिट्स में से सबसे ज्यादा यानी 48% फ्लैट्स की कीमत 50 लाख रुपये से 1 करोड़ रुपये के बीच रही. जबकि पिछले साल इस प्राइस ब्रैकेट में 36% यूनिट्स लॉन्च हुई थीं.
भुवनेश्वर में सबसे ज्यादा, नासिक में सबसे कम गिरावट
रियल एस्टेट सेक्टर से जुड़ी इस रिपोर्ट के मुताबिक, भुवनेश्वर में सप्लाई में सबसे ज्यादा 72% की गिरावट देखी गई. यहां Q1 2025 में सिर्फ 772 यूनिट्स ही बाजार में आईं. इसके उलट, नासिक में सप्लाई लगभग स्थिर रही और सिर्फ 2% की गिरावट के साथ 2,466 यूनिट्स लॉन्च हुईं.
पूर्व और मध्य भारत में सबसे ज्यादा असर
पूर्वी और मध्य भारत में नई हाउसिंग लॉन्च में 68% की गिरावट आई, जो देश में सबसे ज्यादा है. इसके बाद उत्तरी भारत में 55%, पश्चिमी भारत में 28% और दक्षिण भारत में 26% की कमी दर्ज की गई.
राज्य की राजधानियों में 43% तक घटी सप्लाई
टॉप 15 टियर-2 शहरों में आने वाली 7 राज्य राजधानियों में हाउसिंग सप्लाई में औसतन 43% की गिरावट आई है. इससे साफ है कि बड़े शहरों के बाहर के बाजारों में डेवलपर्स की सक्रियता घट रही है.
अफॉर्डेबल हाउसिंग में कटौती
प्रॉपइक्विटी के फाउंडर और सीईओ समीर जासूजा ने कहा, "डेवलपर्स अब प्रीमियम घरों की ओर बढ़ रहे हैं, जिससे 50 लाख रुपये से कम कीमत के घरों की सप्लाई लगातार घट रही है. ऐसे घर अब फायदे का सौदा नहीं रहे. हालांकि 1-2 करोड़ रुपये की कीमत वाले घरों की सप्लाई में साल दर साल 17% की कमी आई है, लेकिन इनकी हिस्सेदारी 18% से बढ़कर 23% हो गई है."
ब्याज दरों में कटौती से जगी उम्मीदें
समीर जासूजा ने आगे कहा कि "रेपो रेट में आरबीआई की 50 बेसिस पॉइंट्स की कटौती से होम लोन दरों में राहत मिलने की संभावना है, जो 8-8.5% के आसपास है. इससे 50 लाख से 2 करोड़ रुपये वाले घरों की मांग को टियर-2 शहरों में बल मिल सकता है."
टियर-2 शहरों में संभावनाएं
जासूजा के अनुसार, "सरकार की इंफ्रास्ट्रक्चर पर फोकस और टियर-2 शहरों को ग्रोथ इंजन के रूप में विकसित करने की रणनीति से इन शहरों में रहने वालों की मांग को मजबूती मिलेगी. इससे डेवलपर्स और कॉर्पोरेट्स के लिए यहां जबरदस्त अवसर हैं."
प्राइस के हिसाब से सप्लाई का ट्रेंड
साल 2025 की पहली तिमाही में 2 करोड़ रुपये से कम कीमत वाले फ्लैट्स की हिस्सेदारी कुल सप्लाई में 95% रही, जो पिछले साल इसी समय 87% थी. 50 लाख रुपये से कम कीमत वाले फ्लैट्स की संख्या घटकर 7,124 रह गई, जबकि पिछले साल यह 15,420 यूनिट्स थी. इनकी हिस्सेदारी भी 33% से गिरकर 24% हो गई.
50 लाख से 1 करोड़ के बीच वाले फ्लैट्स की सप्लाई में 12% की गिरावट हुई, लेकिन उनकी हिस्सेदारी 36% से बढ़कर 48% हो गई. वहीं, 1 करोड़ से 2 करोड़ के बीच वाले घरों की सप्लाई 17% कम हुई, लेकिन उनका हिस्सा 18% से बढ़कर 23% हो गया.
2 करोड़ रुपये से ज्यादा कीमत वाले फ्लैट्स की सप्लाई में 73% की गिरावट आई और इनकी हिस्सेदारी 13% से घटकर सिर्फ 5% रह गई.
राज्यों की राजधानियों में असर
राज्य राजधानियों में 50 लाख रुपये से कम कीमत वाले घरों की सप्लाई में 90% की गिरावट आई. वहीं 50 लाख से 1 करोड़ वाले फ्लैट्स में 13% की कमी देखी गई. लेकिन 1 करोड़ से 2 करोड़ के बीच वाले घरों की सप्लाई में 31% की बढ़ोतरी हुई.
यह रिपोर्ट दर्शाती है कि टियर-2 शहरों में अफॉर्डेबल हाउसिंग घट रही है और डेवलपर्स अब मिड से प्रीमियम सेगमेंट पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं. आने वाले समय में ब्याज दरों में संभावित कटौती और सरकारी योजनाओं से इस सेक्टर को फिर से मजबूती मिल सकती है.