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आयकर के नियमों का पालन करते हुए इनकम टैक्स बचाना है, तो अपनी बचत को सही ढंग से निवेश करना जरूरी है. (Image : Financial Express)
Investment Planning : 5 Zero Income Tax investment options under EEE: अपनी मेहनत की कमाई को इनवेस्ट करते समय हर निवेशक यही चाहता है कि उसे ज्यादा से ज्यादा रिटर्न मिले. लेकिन कई बार आपकी कमाई का बड़ा हिस्सा इनकम टैक्स भरने में चला जाता है. लेकिन कुछ ऐसे विकल्प भी हैं, जिनसे होने वाली कमाई पर आपको कोई टैक्स नहीं भरना पड़ता. हम आपको आज ऐसे ही कुछ विकल्पों के बारे में बताएंगे. जिनमें आपको निवेश करते समय भी टैक्स में छूट मिलेगी और रिटर्न भी टैक्स-फ्री होगा. इसके लिए आपको टैक्स सेविंग इनवेस्टमेंट के लिहाज से सबसे बेहतर EEE कैटेगरी की स्कीमों में निवेश करना चाहिए.
क्या है EEE का मतलब
ट्रिपल ई (EEE) का मतलब है एग्जम्प्ट- एग्जम्प्ट - एग्जम्प्ट (Exempt - Exempt - Exempt). उन इनवेस्टमेंट स्कीम को ट्रिपल ई स्कीम कहा जाता है, जिनमें न सिर्फ निवेश करने पर इनवेस्टमेंट के समय टैक्स छूट मिलती है, बल्कि रिटर्न और मैच्योरिटी अमाउंट भी नियमों के तहत टैक्स फ्री होता है. यही वो कैटेगरी है, जिसमें निवेश करके आप सबसे ज्यादा टैक्स सेविंग कर सकते हैं. इस कैटेगरी की प्रमुख योजनाएं हैं - पब्लिक प्रॉविडेंट फंड (PPF), सुकन्या समृद्धि योजना (SSY) और एंप्लाईज प्रॉविडेंट फंड (EPF). इनके अलावा ELSS और यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान (ULIP) भी कुछ शर्तों के साथ टैक्स-फ्री रिटर्न दे सकते हैं.
पब्लिक प्रॉविडेंट फंड (PPF)
पब्लिक प्रॉविडेंट फंड (PPF) में हर साल 1.5 लाख रुपये तक के निवेश पर 80सी के तहत टैक्स छूट मिलती है. इसमें शुरुआती लॉक-इन 15 साल का है, जिसके बाद खाते को 5-5 साल के लिए बढ़ाया जा सकता है. इस पर अभी 7.10 फीसदी सालाना ब्याज दिया जा रहा है,. जो खाते में जमा होता है और उसका भुगतान मैच्योरिटी पर होता है. EEE स्कीम होने के कारण इसमें मैच्योरिटी अमाउंट पूरी तरह टैक्स फ्री है.
एंप्लॉई प्रॉविडेंट फंड (EPF)
एंप्लॉई प्रॉविडेंट फंड (EPF) सरकारी स्कीम है, जिसमें नौकरीपेशा कर्मचारी और उनके एंप्लॉयर - दोनों की तरफ से कंट्रीब्यूशन दिया जाता है. EPF खाते में कर्मचारी के साल में 1.5 लाख रुपये तक के योगदान पर 80सी के तहत टैक्स छूट मिलती है. EPF पर फिलहाल सबसे ज्यादा 8.25 फीसदी ब्याज मिल रहा है, जो खाते में जमा होता है. इस ब्याज पर कोई टैक्स नहीं लगता. कर्मचारी अगर चाहे तो अपनी मर्जी से साल में भी ईपीएफ अकाउंट में कंट्रीब्यूशन कर सकता है, जिसे वॉलंट्री प्रॉविडेंट फंड (VPF) कहते हैं. ऐसा करने पर साल में 2.50 लाख रुपये तक निवेश पर मिलने वाले ब्याज पर कोई टैक्स नहीं देना होगा. लेकिन टैक्स छूट के लिए अधिकतम निवेश की सीमा 1.5 लाख रुपये सालाना ही रहेगी. ईपीएफ का मैच्योरिटी अमाउंट भी पूरी तरह टैक्स फ्री है. वीपीएफ के तहत जमा रकम भी 5 साल बाद निकालने पर टैक्स फ्री है.
सुकन्या समृद्धि योजना (SSY)
सुकन्या समृद्धि योजना (SSY) बेटियों के लिए लाई गई है, जिसमें 10 साल तक की बेटी के माता-पिता उसके नाम से खाता खोलकर साल में 1.5 लाख रुपये तक की रकम जमा कर सकते हैं. इस पर फिलहाल 8.2 फीसदी का सालाना ब्याज मिल रहा है. इस स्कीम में मिलने वाला ब्याज और मैच्योरिटी अमाउंट दोनों टैक्स फ्री हैं.
इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम (ELSS)
इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम (ELSS) में भी सालाना 1.50 लाख रुपये तक के निवेश पर 80सी के तहत टैक्स छूट मिलती है. अगर आप अपने निवेश को कम से कम 3 साल तक बनाए रखते हैं, तो उसके बाद सालाना 1 लाख रुपये तक का कैपिटल गेन भी टैक्स फ्री है. साल में 1 लाख से ज्यादा कैपिटल गेन होने पर 10 फीसदी लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स देना पड़ता है. यानी अगर आपका सालाना कैपिटल गेन 1 लाख रुपये या उससे कम है, तो आपके लिए ELSS भी ट्रिपल ई स्कीम की तरह काम करता है. खास बात ये है कि इसका 3 साल का लॉक-इन पीरियड बाकी सभी EEE स्कीम की तुलना में कम है.
यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान (ULIPs)
यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान (ULIPs) में किए गए निवेश पर भी 80सी के तहत टैक्स छूट मिलती है, बशर्ते इंश्योरेंस की रकम सालाना प्रीमियम के कम से कम 10 गुने के बराबर हो. 5 साल बाद पैसे निकालने पर यूलिप का पूरा मेच्योरिटी अमाउंट टैक्स फ्री होता है. अगर इस दौरान आप अपनी यूलिप स्कीम में उपलब्ध दो विकल्पों में स्विच करते हैं, तो उस पर कोई टैक्स लागू नहीं होता. यूलिप में किए गए निवेश पर बाजार के प्रदर्शन के हिसाब से रिटर्न मिलता है.