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Tax Saving : इनकम टैक्स देने वाले ज्यादातर लोगों की टैक्स देनदारी पहले से कम होने की उम्मीद है. (Image : Freepik)
Income Tax Saving Under New Tax Regime : केंद्र सरकार द्वारा नई टैक्स रिजीम में किए गए बदलावों की वजह से इनकम टैक्स देने वाले ज्यादातर लोगों की टैक्स देनदारी पहले से काफी कम होने की उम्मीद है. खासकर सेक्शन 87A के तहत बढ़ी हुई टैक्स छूट और नए टैक्स स्लैब्स के चलते अब मिडिल क्लास को ज्यादा फायदा मिलने वाला है. आइए जानते हैं कि वित्त वर्ष 2025-26 में इनकम टैक्स भरने वालों को नई टैक्स रिजीम में कितना फायदा मिल सकता है और आपकी टैक्स देनदारी कितनी घट सकती है.
नए टैक्स स्लैब्स से होगा बड़ा फायदा
1 फरवरी 2025 को पेश बजट में पुरानी टैक्स रिजीम में कोई बदलाव नहीं किया गया, लेकिन नई टैक्स रिजीम को ज्यादा आकर्षक बनाया गया है. पहले जहां 15 लाख रुपये से अधिक इनकम पर 30% टैक्स लगता था, अब यह सीमा बढ़ाकर 24 लाख रुपये कर दी गई है. इससे ज्यादातर टैक्सपेयर्स की टैक्स देनदारी में अच्छी-खासी कमी आएगी.
अब 12 लाख तक सालाना आय टैक्स फ्री
पहले न्यू टैक्स रिजीम में सेक्शन 87A के तहत केवल 7 लाख रुपये तक की इनकम पर टैक्स रिबेट मिलती थी. लेकिन अब यह सीमा बढ़ाकर 12 लाख रुपये कर दी गई है. यानी अगर आपकी कुल सालाना इनकम 12 लाख रुपये तक है, तो आपको न्यू टैक्स रिजीम में कोई टैक्स नहीं देना होगा. इससे लोगों को टैक्स देनदारी में भारी बचत हो सकती है.
टैक्स स्लैब के हिसाब से कितनी होगी बचत?
नीचे दी गई टेबल के मुताबिक 1 अप्रैल 2025 से लागू होने वाले नई टैक्स रिजीम में आपकी टैक्स देनदारी कितनी घटेगी, यह आपकी इनकम पर निर्भर करेगा. मिसाल के तौर पर:
8 लाख रुपये तक की इनकम पर अब कोई टैक्स नहीं देना है, पहले इतनी आमदनी पर 50,000 रुपये तक टैक्स भरना पड़ता था.
15 लाख रुपये तक की इनकम पर अब टैक्स 1.40 लाख रुपये से घटकर 1.05 लाख रुपये रह गया है, यानी 35,000 रुपये की बचत हो रही है.
20 लाख रुपये की इनकम पर अब 4.10 लाख रुपये के बदले सिर्फ 3 लाख रुपये टैक्स देना होगा, जिससे 1.10 लाख रुपये की बचत होगी.
टैक्स स्लैब | टैक्स देनदारी (एजुकेशन सेस, सरचार्ज के बिना) | टैक्स की बचत (रुपये में) | |
31 मार्च 2025 तक (रु) | 1 अप्रैल 2025 से (रु) | ||
7,00,000 रुपये तक | 0 | 0 | 0 |
7,00,000 से 8,00,000 रु. तक | 30,000 | 0 | 30,000 |
8,00,000 से 10,00,000 रु. तक | 50,000 | 0 | 50,000 |
10,00,000 से 12,00,000 रु. तक | 80,000 | 0 | 80,000 |
12,00,000 से 15,00,000 रु. तक | 1,40,000 | 1,05,000 | 35,000 |
15,00,000 से 16,00,000 रु. तक | 1,70,000 | 1,20,000 | 50,000 |
16,00,000 से 20,00,000 रु. तक | 2,90,000 | 2,00,000 | 90,000 |
20,00,000 से 24,00,000 रु. तक | 4,10,000 | 3,00,000 | 1,10,000 |
24,00,000 रुपये से ज्यादा | 1,10,000 |
पुरानी टैक्स रिजीम की तुलना में कितना फायदा?
अगर आप पहले ओल्ड टैक्स रिजीम में थे और कोई डिडक्शन क्लेम नहीं करते थे, तो न्यू टैक्स रिजीम अपनाने पर आपकी टैक्स देनदारी काफी घट सकती है. मिसाल के तौर पर :
16 लाख रुपये इनकम पर पहले 2.92 लाख रुपये टैक्स देना होता था, अब यह घटकर 1.20 लाख रह गया है. यानी 1.72 लाख रुपये की बचत.
20 लाख रुपये इनकम पर 2.12 लाख रुपये की टैक्स बचत होगी.
25 लाख रुपये इनकम पर टैक्स बचत 2.32 लाख रुपये तक जा सकती है, यानी हर महीने लगभग 19,000 रुपये की अतिरिक्त बचत हो सकती है.
ध्यान रहे कि यह कैलकुलेशन कोई टैक्स डिडक्शन क्लेम नहीं करने पर आधारित है. जो लोग डिडक्शन क्लेम करते हैं, उनका कैलकुलेशन इससे काफी अलग हो सकता है.
सालाना आय | ओल्ड टैक्स रिजीम में टैक्स देनदारी (डिडक्शन क्लेम किए बिना) | न्यू टैक्स रिजीम में टैक्स देनदारी | टैक्स की बचत |
16,00,000 रुपये | 2,92,500 रुपये | 1,20,000 रुपये | 1,72,500 रुपये |
20,00,000 रुपये | 4,12,500 रुपये | 2,00,000 रुपये | 2,12,500 रुपये |
25,00,000 रुपये | 5,62,500 रुपये | 3,30,000 रुपये | 2,32,500 रुपये |
क्या अब पुरानी टैक्स रिजीम का विकल्प फायदेमंद है?
ओल्ड टैक्स रिजीम में वे लोग ज्यादा फायदा उठाते थे जो 80C, HRA, 80D जैसे कई डिडक्शन क्लेम करते थे. लेकिन अगर आपकी कुल डिडक्शन 8 लाख रुपये से कम है, तो अब नई टैक्स रिजीम में जाना ज्यादा फायदेमंद साबित हो सकता है. यही वजह है कि इस साल से ज्यादा लोग नई टैक्स रिजीम को अपनाने जा रहे हैं.
सरकार ने नई टैक्स रिजीम को ज्यादा सरल और फायदेमंद बनाकर टैक्सपेयर्स को राहत दी है. अब कम इनकम वालों से लेकर हाई इनकम ग्रुप तक, सभी को टैक्स में बड़ी बचत का मौका मिल रहा है. अगर आप सही प्लानिंग करें, तो हर महीने हजारों रुपये की टैक्स बचत करके उसका इस्तेमाल निवेश, लोन रिपेमेंट या गोल बनाने में कर सकते हैं. लेकिन नई टैक्स रिजीम को अपनाने से पहले अपनी इनकम और टैक्स डिडक्शंस का कैलकुलेशन जरूर कर लें, ताकि सही फैसला किया जा सके.