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Income Tax : 12 लाख से कुछ ज्यादा है इनकम तो कितना लगेगा टैक्स, लागू होगा स्लैब रेट या मिलेगी कोई और राहत? (Image : Pixabay)
Income Tax Marginal Relief for Salary Above 12 Lakh : 12 लाख रुपये की सालाना आय टैक्स फ्री होने के साफ-साफ एलान के बावजूद बहुत सारे लोगों को यह कनफ्यूजन है कि क्या वाकई 12 लाख रुपये तक की आय टैक्स-फ्री हो गई है? दरअसल, यह कफ्यूजन इसलिए है, क्योंकि सरकार ने 12 लाख रुपये तक की सालाना इनकम को नई टैक्स रिजीम में टैक्स रिबेट देकर कर-मुक्त कर दिया है. लेकिन बेसिक एग्जम्प्शन की लिमिट 4 लाख रुपये ही रखी गई है. इसलिए 4 लाख से ऊपर की इनकम के लिए स्लैब रेट घोषित किए गए हैं. इससे भी ज्यादा कनफ्यूजन इस बात पर है कि जिन लोगों की आमदनी 12 लाख रुपये से थोड़ी ज्यादा है, तो उन्हें कितना इनकम टैक्स भरना होगा?
रिबेट : टैक्स कैलकुलेट होगा, लेकिन भरना नहीं पड़ेगा
सबसे पहले यह जानते हैं कि 12 लाख रुपये तक आय टैक्स-फ्री होने के बावजूद 4 लाख से ऊपर की आमदनी का टैक्स स्लैब घोषित होने का मतलब क्या है. दरअसल, इसका मतलब यह है कि जिन लोगों की सालाना आय 12 लाख रुपये तक है, उनकी 4 लाख से ऊपर की आय पर स्लैब रेट के हिसाब से टैक्स कैलकुलेट तो किया जाएगा, लेकिन टैक्स रिटर्न भरने पर उन्हें 60 हजार रुपये तक टैक्स रिबेट का लाभ मिलेगा, जिससे उनकी वास्तविक टैक्स देनदारी जीरो यानी शून्य हो जाएगी. लेकिन अगर किसी की सालाना टैक्सेबल इनकम 12 लाख रुपये से ज्यादा है, तो उन्हें टैक्स रिबेट का लाभ नहीं मिलेगा. यानी उन्हें स्लैब के हिसाब से टैक्स देना पड़ेगा.
12.10 लाख रुपये सालाना आय पर टैक्स देनदारी
अब जानते हैं, दूसरे सवाल का जवाब. यानी, अगर किसी की सालाना टैक्सेबल इनकम 12 लाख 10 हजार रुपये है, तो उसे कितना टैक्स भरना होगा? दरअसल, ऐसे लोगों के लिए 4 लाख से ऊपर की आमदनी पर, यानी 8 लाख 10 हजार रुपये की सालाना आय पर, स्लैब के हिसाब से टैक्स देनदारी कैलकुलेट की जाएगी. स्लैब रेट के हिसाब से इस टैक्स का कैलकुलेशन इस तरह होगा :
- 4,00,001 रुपये से लेकर 8 लाख रुपये तक की आय (यानी 4 लाख रुपये) पर 5% टैक्स = 20 हजार रुपये
- 8,00,001 रुपये से लेकर 12 लाख रुपये तक की आय (4 लाख रुपये) पर 10% टैक्स = 40 हजार रुपये
- 12,00,001 रुपये से लेकर 12 लाख 10 हजार रुपये की आय (यानी 10 हजार रुपये) पर 15% टैक्स = 1500 रुपये
इन तीनों टैक्स स्लैब की टैक्स देनदारी को जोड़ दें, तो 12.10 लाख रुपये की आय पर कुल टैक्स होगा = 61,500 रुपये (20,000+40,000+1500 रुपये).
स्लैब रेट से टैक्स भरा तो 12 लाख से कम हो जाएगी आय
ऊपर दिए कैलकुलेशन में अगर स्लैब के हिसाब से जोड़ा गया पूरा टैक्स भरना पड़ा, तो 12 लाख 10 हजार रुपये की आय पर कुल 61,500 रुपये टैक्स लगेगा. इतना टैक्स भरने के बाद 12.10 लाख रुपये की आय पर टेक-होम सैलरी घटकर 11,48,500 रुपये रह जाएगी. यानी 12 लाख 10 हजार रुपये कमाने वाले का टेक-होम वेतन 12 लाख रुपये कमाने वाले से भी कम रह जाएगा. जबकि 12 लाख तक की आय तो टैक्स-फ्री है. लेकिन क्या वाकई ऐसा होगा? बिलकुल नहीं. यह एक कनफ्यूजन है, जिसकी वजह है इनकम टैक्स के नियमों की अधूरी जानकारी. दरअसल, ऐसे हालात के लिए ही इनकम टैक्स विभाग ने मार्जिनल रिलीफ का इंतजाम किया है. आइए समझते हैं कि यह रिलीफ कैसे काम करती है.
मार्जिनल रिलीफ से दूर होगी दिक्कत
ऊपर दिए उदाहरण में टैक्सपेयर को मार्जिनल रिलीफ का फायदा दिया जाएगा, ताकि 12.10 लाख रुपये कमाने वाले की आमदनी टैक्स कटने के बाद 12 लाख रुपये, यानी टैक्स-फ्री इनकम की लिमिट से कम न हो जाए. इसके लिए ऊपर बताए गए उदाहरण में टैक्सपेयर को 12.10 लाख की आमदनी पर 61,500 रुपये नहीं, बल्कि सिर्फ 10 हजार रुपये टैक्स भरना होगा. बाकी 51,500 रुपये (61,500-10,000 रुपये) की देनदारी मार्जिनल रिलीफ के तौर पर माफ हो जाएगी. इस तरह टैक्स भरने के बाद उसकी आय 12 लाख रुपये ही रहेगी. उससे कम नहीं होगी.
क्या है मार्जिनल रिलीफ की अधिकतम सीमा?
दरअसल, मार्जिनल रिलीफ का लाभ, टैक्स-फ्री इनकम से थोड़ी ज्यादा आय वालों को ही मिलता है. इसका अमाउंट कितना होगा, यह टैक्सपेयर की स्लैब के हिसाब से बनने वाली टैक्स लायबिलिटी और टैक्स-फ्री इनकम के बीच अंतर से तय होता है. इस रिलीफ का बुनियादी सिद्धांत यह है कि किसी की भी टैक्स के बाद की आय, टैक्स-फ्री घोषित की गई आय से कम नहीं होनी चाहिए. 12 लाख रुपये से लेकर 12.75 लाख रुपये तक की आमदनी पर मार्जिनल रिलीफ कितनी मिलेगी, इसका डिटेल आप नीचे दिए टेबल में देख सकते हैं. इनकम टैक्स विभाग द्वारा उदाहरण के तौर पर जारी इस टेबल से साफ है कि मार्जिनल रिलीफ उन्हीं लोगों को मिलेगी, जिनकी सालाना टैक्सेबल इनकम 12 लाख 75 हजार रुपये से कम है.
(Source : Income Tax Department Document)
टैक्स रिबेट और मार्जिनल रिलीफ में क्या फर्क है?
टैक्स रिबेट (Income Tax Rebate) का मतलब है, टैक्स देनदारी पर मिलने वाली वह छूट, जो 12 लाख रुपये तक की सालाना आय पर कैलकुलेट की जाने वाली टैक्स देनदारी को खत्म कर देती है. यह रिबेट नई टैक्स रिजीम के तहत दी जा रही है. वहीं मार्जिनल रिलीफ (Marginal Relief), वह राहत है, जो उन टैक्सपेयर्स को दी जाती है, जिनकी सालाना आय 12 लाख रुपये से थोड़ी ही अधिक है. इस रिलीफ का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि ऐसे टैक्सपेयर्स की टैक्स के चुकाने के बाद की आय (Income or Salary After Tax) 12 लाख रुपये से कम न हो.