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Budget Expectation 2024: क्या केंद्र सरकार 1 फरवरी को पेश होने वाले बजट में इनकम टैक्स घटाने का एलान कर सकती है? (Image : Pixabay)
Income Tax Rate Cut Likely : क्या केंद्र सरकार 1 फरवरी को पेश होने वाले बजट में इनकम टैक्स घटाने का एलान कर सकती है? कुछ दिनों पहले आई एक रिपोर्ट में ऐसी उम्मीद जाहिर की जा चुकी है. पिछले महीने आई रॉयटर्स की इस रिपोर्ट के मुताबिक केंद्र सरकार आगामी बजट में इनकम टैक्स घटाने पर विचार कर रही है. रिपोर्ट में दावा किया गया कि आयकर में इस संभावित कटौती का लाभ उन लोगों को मिलने की उम्मीद है, जिनकी सालाना आमदनी 15 लाख रुपये तक है. कहा जा रहा है कि यह कदम मुख्य रूप से मध्यम वर्ग और शहरी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को राहत देने के लिए उठाया जा सकता है. अगर ऐसा हुआ तो आम टैक्सपेयर्स को इससे बड़ी राहत मिल सकती है. लेकिन सवाल ये है कि क्या सरकार वाकई ऐसा करेगी?
पर्सनल इनकम टैक्स से आ रहे सबसे ज्यादा पैसे
पिछले बजट के आंकड़े बताते हैं कि सरकार की आमदनी में आम टैक्स पेयर्स द्वारा भरे जाने वाले पर्सनल इनकम टैक्स की हिस्सेदारी पिछले 11-12 साल में काफी बढ़ गई है, जबकि कंपनियों से वसूले जाने वाले कॉरपोरेट टैक्स का योगदान कम हुआ है. सवाल ये है कि इन हालात में इनकम टैक्स घटाने का फैसला करना सरकार के लिए कितना आसान होगा.
क्या कहते हैं पिछले बजट के आंकड़े
वित्त वर्ष 2024-25 के लिए 23 जुलाई को पेश बजट के मुताबिक सरकारी खजाने में आने वाले हर एक रुपये में 19 पैसे का योगदान इनकम टैक्स से आना है. इसके मुकाबले कंपनियों से वसूले जाने वाले कॉरपोरेट टैक्स का योगदान 17 पैसे और जीएसटी का कंट्रीब्यूशन 18 पैसे है. हालांकि सरकारी खजाने में आने वाले हर एक रुपये में 27 पैसे का सबसे बड़ा योगदान कर्ज का है, लेकिन यह कोई आय नहीं, बल्कि आमदनी और खर्च के बीच अंतर की भरपाई का तरीका है.
11 साल में कितना बदल गया समीकरण
वित्त वर्ष 2024-25 के बजट के आंकड़ों की तुलना वित्त वर्ष 2013-14 के आंकड़ों से करें तो पता चलेगा कि इन 11 सालों में पर्सनल इनकम टैक्स पर सरकार की निर्भरता कितनी बढ़ गई है. 2013-14 के बजट में पेश आंकड़ों के मुताबिक हर एक रुपये की कमाई में 21 पैसे कॉरपोरेट टैक्स से आ रहे थे, जो तब सरकार की आमदनी का सबसे बड़ा जरिया था. इसकी तुलना में इनकम टैक्स का योगदान महज 12 पैसे का था. यानी एक रुपये में 12 पैसे का योगदान अब बढ़कर 19 पैसे पर पहुंच चुका है. जबरि कॉरपोरेट टैक्स का योगदान 21 पैसे से घटकर 17 पैसे पर आ गया है. जाहिर है कि पर्सनल इनकम टैक्स में कटौती का मतलब अगर सरकार के लिए अपनी कमाई के सबसे बड़े स्रोत में कमी करना है, तो यह आसान नहीं होगा. लेकिन इस कदम के कुछ फायदे भी हैं, जिन्हें देखते हुए सरकार ऐसा कर भी सकती है.
कैसे होगी नुकसान की भरपाई?
ऐसा कोई अनुमान तो नहीं लगाया जा सकता कि अगर इनकम टैक्स में कटौती हुई तो कितनी होगी. लेकिन अगर सरकार ने ऐसा किया तो उसकी कमाई पर असर पड़ना तो स्वाभाविक है. लेकिन लंबी अवधि में यह फैसला टैक्स कंप्लायंस और टैक्सपेयर्स की संख्या बढ़ाने में कारगर साबित हो सकता है, जिससे आगे चलकर टैक्स कलेक्शन में मजबूती आ सकती है. लेकिन सरकार ऐसा कोई कदम वाकई उठा पाएगी या नहीं, यह इस बात से भी तय होगा कि इनकम टैक्स में कटौती से होने वाले नुकसान की भरपाई सरकार कैसे करेगी.
इकॉनमी को मिलेगा बूस्ट
इनकम टैक्स में कटौती के समर्थन में सबसे बड़ी दलील यह है कि शहरी इलाकों में रहने वाले लोग अक्सर हाई कॉस्ट ऑफ लिविंग और वेतन में मामूली बढ़ोतरी के कारण आर्थिक दबाव का सामना कर रहे हैं. इनकम टैक्स घटाने से उनके हाथों में अधिक पैसे आएंगे, जिससे उनकी खर्च करने की क्षमता बढ़ेगी. इससे पर्सनल एक्सपेंडीचर में सुधार होगा, जिससे कंज्यूमर डिमांड बढ़ेगी और इकॉनमी की सेविंग रेट भी बढ़ सकती है. ऐसा होने पर देश की अर्थव्यवस्था को बूस्ट मिलेगा और ग्रोथ रेट में मजबूती आएगी. अगर सरकार इन बातों को महत्व देती है, तो हो सकता है इस बजट में देश के आम टैक्सपेयर्स को राहत देने वाली खबर आ ही जाए.