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Income Tax Refund: इनकम टैक्स रिफंड की रकम किन हालात में हो सकती है कम? आपके साथ ऐसा हो तो क्या करें

Income Tax Refund: इनकम टैक्स रिटर्न भरने के बाद रिफंड मिलने की उम्मीद हो, तो बड़ी राहत महसूस होती है. लेकिन कई बार कम रिफंड मिलने या रिफंड रोके जाने की स्थिति भी आ सकती है. ऐसी हालत में टैक्सपेयर को क्या करना चाहिए?

Income Tax Refund: इनकम टैक्स रिटर्न भरने के बाद रिफंड मिलने की उम्मीद हो, तो बड़ी राहत महसूस होती है. लेकिन कई बार कम रिफंड मिलने या रिफंड रोके जाने की स्थिति भी आ सकती है. ऐसी हालत में टैक्सपेयर को क्या करना चाहिए?

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Viplav Rahi
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 ITR due date extension AY 2025-26, Income tax return last date 2025

Income Tax Refund : इनकम टैक्स रिफंड में कटौती या एडजस्टमेंट की क्या हो सकती है वजह? (Image : Financial Express)

Income Tax Refund: इनकम टैक्स रिटर्न भरने के बाद अगर टैक्सपेयर को रिफंड मिलने की उम्मीद हो, तो बड़ी राहत महसूस होती है. लेकिन कई बार कम रिफंड मिलने या रिफंड रोक लिए जाने की स्थिति भी सामने आ जाती है. अगर आपके साथ भी ऐसा हो, तो परेशान होने की जगह पूरे मामले को समझने पर ध्यान दें. इसके लिए यह जानना जरूरी है कि किसी टैक्सपेयर का रिफंड किन हालात में रोका या कम किया जा सकता है और ऐसा होने पर उन्हें क्या करना चाहिए.

क्यों रोका जा सकता है इनकम टैक्स रिफंड?

हाल ही में कई टैक्सपेयर्स को आयकर विभाग की ओर से ईमेल मिला है जिसमें बताया गया है कि उनका आईटीआर असेसमेंट या री-असेसमेंट के प्रोसेस में है. ऐसे मामलों में टैक्स रिफंड रोकने या रिलीज करने का फैसला सेक्शन 245(2) के तहत ज्यूरीडिक्शनल असेसिंग ऑफिसर (JAO) की राय पर निर्भर करेगा. सेक्शन 245 इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को यह अधिकार देता है कि वह मौजूदा साल के रिफंड को किसी भी पुराने साल के टैक्स डिमांड से एडजस्ट कर सकता है. इसका कोई लिमिटेशन पीरियड नहीं होता.

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ITR प्रोसेसिंग की प्रॉसेस को समझें

ITR फाइल होने के बाद उसे सेंट्रल प्रोसेसिंग सेंटर (CPC) बेंगलुरु द्वारा प्रोसेस किया जाता है. अगर CPC को लगता है कि रिफंड देने से पहले कुछ मामलों में टैक्स डिमांड निकल सकती है, तो वह असेसिंग ऑफिसर को आगे की जांच के लिए केस भेज देता है. इस प्रोसेस के तहत JAO को 50 दिनों के अंदर फाइनल फैसला लेना होता है कि रिफंड रिलीज किया जाए या रोका जाए. इस दौरान टैक्सपेयर्स को भी जवाब देने का मौका दिया जाता है.

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ऐसे नोटिस क्यों आते हैं?

ऐसा नोटिस तब आता है जब किसी पुराने साल की टैक्स डिमांड पेंडिंग हो और विभाग उसे मौजूदा रिफंड से एडजस्ट करना चाहता हो. जवाब देने के लिए टैक्सपेयर्स को आमतौर पर 21 दिनों का समय दिया जाता है. अगर आपने जवाब नहीं दिया या पुरानी डिमांड को मंजूर कर लिया, तो उसी आधार पर JAO और CPC रिफंड को एडजस्ट करने का फैसला ले सकते हैं.

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अगर टैक्स डिमांड गलत हो तो क्या करें?

अगर आपको लगता है कि टैक्स डिमांड गलत है, तो आप ITR पोर्टल पर जाकर " disagree" का ऑप्शन चुनकर कारण सहित जवाब दाखिल कर सकते हैं. ये जवाब कुछ इस तरह के हो सकते हैं:

  • डिमांड का भुगतान पहले किया जा चुका है.

  • अपील या स्टे फाइल किया गया है.

  • AO के पास रेक्टिफिकेशन अप्लाई किया गया है.

अपने जवाब को सपोर्ट करने के लिए सभी जरूरी दस्तावेज अपलोड करें. इसके अलावा JAO को एक अलग एप्लिकेशन और रिप्रजेंटेशन भी भेजा जा सकता है ताकि आपका पक्ष मजबूती से रखा जा सके.

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फिर भी समाधान न हो तो क्या करें?

अगर इनकम टैक्स रिफंड एडजस्टमेंट आपको गलत लगता है, तो आप हायर अथॉरिटीज को लिख सकते हैं. अंतिम उपाय के तौर पर संविधान के आर्टिकल 226 के तहत हाईकोर्ट में रिट पिटीशन फाइल कर सकते हैं.

टैक्स नोटिस में क्या लिखा होता है?

इनकम टैक्स विभाग के नोटिस में यह जानकारी दी जाती है कि आपके आईटीआर की प्रोसेसिंग सेक्शन 143(1)(a) के तहत की गई है. लेकिन चूंकि असेसमेंट या री-असेसमेंट पेंडिंग है, इसलिए रिफंड रिलीज या होल्ड का फैसला सेक्शन 245(2) के तहत JAO के जवाब पर आधारित होगा. JAO को पोर्टल पर लॉग इन करके "Refund Management" के अंतर्गत "245(2) Proceeding Approval" पर जाकर अपनी प्रतिक्रिया देनी होती है. इनकम टैक्स रिफंड के कम या रोके जाने की वजह से घबराने की जरूरत नहीं है. अगर आपकी ओर से कोई टैक्स ड्यू पेंडिंग है, तो विभाग उसे नए रिफंड से एडजस्ट कर सकता है. लेकिन अगर आप इस डिमांड से सहमत नहीं हैं, तो ऑनलाइन अपनी रिप्लाई फाइल करके और जरूरी दस्तावेज सबमिट करके अपनी बात रख सकते हैं.

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