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Income Tax Return Filing : आयकर रिटर्न ठीक से भरने के लिए सही ITR फॉर्म का चुनाव करना जरूरी है. (Image : Pixabay)
Income Tax Return Filing : इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने का वक्त आ चुका है. ज्यादातर सैलरीड लोग अभी अपने एंप्लॉयर से फॉर्म 16 मिलने का इंतजार कर रहे होंगे, जो उन्हें जल्द ही मिलने लगेंगे. अधिकांश एंप्लॉयर 15 जून के बाद फॉर्म-16 जारी करना शुरू कर देते हैं. इसके साथ ही टैक्स भरने वाले सैलरीड कर्मचारियों के लिए आयकर रिटर्न (Income Tax Returns) दाखिल करने की प्रक्रिया शुरू करने का रास्ता साफ हो जाएगा. आयकर रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तारीख 31 जुलाई होती है. लेकिन आखिरी वक्त में इनकम टैक्स विभाग के पोर्टल पर भारी ट्रैफिक के कारण कई बार दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. लिहाजा, ऐसी परेशानियों से बचने के लिए बेहतर यही है कि आईटीआर फाइल करने के लिए अंतिम समय का इंतजार न किया जाए.
सबसे पहले जुटा लें जरूरी दस्तावेज
एंप्लॉयर से फॉर्म 16 मिलने के साथ ही साथ आपको इनकम टैक्स रिटर्न भरने के लिए जरूरी अपने सभी दस्तावेजों को जुटाकर व्यवस्थित कर लेना चाहिए. इसके अलावा अपने फॉर्म 26AS और एनुअल इनफॉर्मेशन स्टेटमेंट (AIS) के विवरण का आपस में मिलान भी कर लेना चाहिए. ये सभी काम पूरे हो जाने के बाद आप अपना रिटर्न दाखिल करने की प्रक्रिया (ITR Filing) शुरू कर सकते हैं.
कैसे करें सही ITR फॉर्म का चुनाव
आयकर रिटर्न भरने के लिए जरूरी सभी दस्तावेज जुटाने के बाद अगला कदम सही ITR फॉर्म का चुनाव करना है. सैलरीड टैक्सपेयर्स यानी वेतनभोगी करदाताओं को ITR-1 और ITR-2 फॉर्म में से किसी एक को चुनना होगा. पहला फॉर्म एक सरल फॉर्म है जिसका इस्तेमाल सिर्फ वैसे निवासी भारतीय (Resident Indians) और सामान्य रूप से निवासी भारतीय (ordinarily resident Indians) ही कर सकते हैं जिनकी सालाना आय 50 लाख रुपये से कम है. इसमें वेतन या पेंशन से होने वाली आय, एक घर की संपत्ति, 5,000 रुपये तक की कृषि आय और सेविंग्स या फिक्स्ड डिपॉजिट पर मिले ब्याज, डिविडेंड और फेमिली पेंशन से होने वाली आमदनी शामिल है.
अन्य सैलरीड कर्मचारियों को, ऐसे लोग जिनके पास दिखाने के लिए बिजनेस या प्रोफेशन से आय नहीं है - को ITR-2 का उपयोग करना होगा. उदाहरण के लिए, यदि आप निवासी हैं, लेकिन सामान्य रूप से निवासी नहीं हैं (RNOR) या अनिवासी व्यक्ति हैं या आपको कैपिटल गेन या कैपिटल लॉस दिखाना है, किसी कंपनी में डायरेक्टर हैं या आपके पास गैर-लिस्टेड शेयर या एंप्लाईज स्टॉक ऑप्शन (ESOP) है, या आप भारत के बाहर विदेशी बैंक खाता या कोई अन्य संपत्ति रखते हैं, तो आपको ITR-1 की जगह ITR-2 का इस्तेमाल करना होगा.
क्यों जरूरी है सही फॉर्म का इस्तेमाल
अगर आपने सही फॉर्म का इस्तेमाल नहीं किया तो आपसे जरूरी जानकारी देने में चूक हो सकती है. उदाहरण के लिए, अगर आपने पूंजीगत लाभ (Capital Gain) कमाया है, लेकिन ITR-2 के बजाय ITR-1 का इस्तेमाल करके रिटर्न दाखिल करते हैं, तो आपको आयकर विभाग से पूरी जानकारी नहीं देने या छिपाने (non-disclosure) के आरोप में नोटिस मिल सकता है. गलत फॉर्म को सेलेक्ट करने की वजह से आपका रिटर्न डिफेक्टिव यानी 'दोषपूर्ण' भी करार दिया जा सकता है.
रिटर्न भरने से पहले ध्यान में रखें
अगर आपके एंप्लॉयर ने न्यू टैक्स रिजीम के तहत आपके टैक्स का कैलकुलेशन किया है और आप ओल्ड टैक्स रिजीम में स्विच करके टैक्स डिडक्शन क्लेम करना चाहते हैं, तो आपको फॉर्म 16 और आईटीआर रिटर्न में मिस-मैच की वजह से इनकम टैक्स डिपार्टमेंट से पूछताछ का सामना करना पड़ सकता है. लेकिन अगर आपके पास पूरे दस्तावेजी सबूत हैं, तो आप उनका जवाब देकर टैक्स बचा सकते हैं. लेकिन अगर आपके पास अपने टैक्स डिडक्शन के क्लेम को सपोर्ट करने के लिए पर्याप्त दस्तावेजी सबूत मौजूद नहीं हैं, तो आपको अपना रिटर्न दाखिल करते समय डिडक्शन क्लेम नहीं करना चाहिए.