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Income Tax Rule Changes in 2024: इनकम टैक्स से जुड़े नियमों में 2024 में हुए बदलावों को जानना जरूरी है. (Image : Pixabay)
Income Tax Rule Changes in 2024: इनकम टैक्स से जुड़े कई नियमों में 2024 के दौरान बड़े बदलाव किए गए हैं, जो 2025 में आईटीआर फाइलिंग यानी इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते समय आपकी टैक्स देनदारी को प्रभावित कर सकते हैं. इन बदलावों में टैक्स स्लैब, स्टैंडर्ड डिडक्शन, कैपिटल गेन्स टैक्स और टीडीएस से जुड़े नियमों में किए गए परिवर्तन शामिल हैं. 2024 का साल खत्म होने से पहले आइए इन महत्वपूर्ण बदलावों और उनके प्रभावों पर एक नज़र डाल लेते हैं.
1. नए टैक्स स्लैब लागू
सरकार ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए नए टैक्स स्लैब की घोषणा की है, जिनसे नई टैक्स रिजीम के तहत ज्यादा टैक्स बचाया जा सकेगा. ये नए टैक्स स्लैब हैं:
0-3,00,000 रुपये: 0%
3,00,001-7,00,000 रुपये: 5%
7,00,001-10,00,000 रुपये: 10%
10,00,001-12,00,000 रुपये: 15%
12,00,001-15,00,000 रुपये: 20%
15,00,001 रुपये से अधिक: 30%
नए टैक्स स्लैब के तहत, एक टैक्सपेयर 17,500 रुपये तक की अतिरिक्त बचत कर सकता है.
2. स्टैंडर्ड डिडक्शन की लिमिट में बढ़ोतरी
नए टैक्स स्लैब के साथ स्टैंडर्ड डिडक्शन की लिमिट भी बढ़ाई गई है.
सामान्य कर्मचारियों के लिए: 50,000 रुपये से 75,000 रुपये
पारिवारिक पेंशन पाने वालों के लिए: 15,000 रुपये से 25,000 रुपये
स्टैंडर्ड डिडक्शन में वृद्धि के कारण वेतनभोगी और पेंशनभोगी टैक्सपेयर्स को नई टैक्स रिजीम के तहत अधिक लाभ हो सकता है.
3. NPS में एंप्लॉयर कंट्रीब्यूशन पर ज्यादा कटौती
नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) में एंप्लॉयर के योगदान पर कटौती की सीमा 10% से बढ़ाकर 14% कर दी गई है. यह लाभ केवल नई टैक्स रिजीम के तहत उपलब्ध है. इससे नई टैक्स रिजीम के तहत टैक्स सेविंग बढ़ जाएगी. हालांकि, अगर ईपीएफ, एनपीएस और सुप्राएन्यूएशन फंड में कुल योगदान 7.5 लाख रुपये से अधिक है, तो यह अतिरिक्त रकम टैक्सेबल होगी.
4. कैपिटल गेन्स टैक्स के नियमों में बदलाव
कैपिटल गेन्स पर टैक्सेशन को सरल बनाने के लिए नए नियम लागू किए गए हैं:
शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन्स (STCG) पर टैक्स 20%
लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG) पर टैक्स 12.5%
इक्विटी से जुड़े LTCG पर एक वित्त वर्ष में 1.25 लाख रुपये के मुनाफे पर कोई टैक्स नहीं.
नए नियमों की वजह से कैपिटल गेन्स पर टैक्स कैलकुलेशन आसान हो जाएगा. हालांकि कुछ निवेशकों के लिए टैक्स देनदारी बढ़ सकती है.
5. होल्डिंग अवधि में बदलाव
कैपिटल गेन्स के प्रकार को तय करने के लिए होल्डिंग अवधि को दो कैटेगरी में बांटा गया है. लिस्टेड एसेट्स के लिए यह अवधि 12 महीने और नॉन-लिस्टेड एसेट्स यानी गैर-सूचीबद्ध परिसंपत्तियों के लिए 24 महीने रखी गई है. इन परिवर्तनों के बाद टैक्सपेयर्स को एसेट्स को बेचने का फैसला करते समय टैक्स सेविंग को भी ध्यान में रखना होगा.
6. टीडीएस रेट को आसान बनाना
आय के कुछ खास सोर्स यानी स्रोतों के लिए टीडीएस दरों को आसान बनाया गया है. इससे कटौती कम होगी और टैक्सपेयर्स को लाभ होगा. हालांकि, वेतन, वर्चुअल डिजिटल एसेट्स, लॉटरी, रेसिंग, अचल संपत्ति के ट्रांसफर, कॉन्ट्रैक्ट्स और नॉन-रेजिडेंट्स को किए गए भुगतानों पर टीडीएस में कोई बदलाव नहीं हुआ है.
7. अन्य आय पर टीडीएस/टीसीएस क्रेडिट का दावा
सैलरीड कर्मचारी अब अन्य आय पर काटे गए टीडीएस/टीसीएस का क्रेडिट अपनी सैलरी पर काटे गए टीडीएस से एडजस्ट कर सकते हैं. इससे सैलरीड लोगों को अपना कैश फ्लो मैनेज करने में मदद मिलेगी.
8. शेयर बायबैक पर नया टैक्स नियम
शेयर बायबैक पर मिलने वाली रकम अब पर्सनल टैक्सपेयर्स के हाथों में उनके आयकर स्लैब के हिसाब से टैक्सेबल होगी. इसकी वजह से ऊंचे टैक्स स्लैब में आने वाले टैक्सपेयर्स की टैक्स देनदारी बढ़ सकती है, जबकि कम स्लैब वालों को फायदा होगा.
9. नोटिफाइड लग्जरी गुड्स पर टीसीएस
10 लाख रुपये से अधिक कीमत के नोटिफाइड लग्जरी गुड्स की खरीद पर टीसीएस (TCS - Tax collected at source) लागू होगा. इससे इन चीजों की लागत बढ़ सकती है. यह नया नियम 1 जनवरी 2025 से लागू होने जा रहा है. हालांकि सरकार ने अब तक लग्जरी गुड्स की लिस्ट जारी नहीं की है और न ही यह साफ किया गया है कि टीसीएस कलेक्शन किस तरीके से किया जाएगा.
10. विवाद से विश्वास योजना 2.0
सरकार ने विवाद से विश्वास योजना 2.0 की शुरुआत की है, जो टैक्सपेयर्स और आयकर विभाग के बीच के विवादों को हल करने में मदद करेगी. यह योजना पेंडिंग मामलों को सुलझाने का मौका देगी.
2024 में हुए ये तमाम बदलाव 2025 में आपकी आईटीआर फाइलिंग पर असर डाल सकते हैं. इन बदलावों को ध्यान में रखते हुए समय पर योजना बनाना बेहद जरूरी है, ताकि आप अपनी इनकम टैक्स देनदारी को सही तरीके से मैनेज कर सकें.