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RBI MPC Meeting : क्या रिजर्व बैंक इस बार घटाएगा ब्याज दर, क्या है अर्थशास्त्रियों की राय

RBI MPC Meeting : रिजर्व बैंक की आज से शुरू बैठक 1 अक्टूबर तक चलेगी. सबके मन में बड़ा सवाल यही है कि आरबीआई इस बार ब्याज दरों में कटौती करेगा या नहीं.

RBI MPC Meeting : रिजर्व बैंक की आज से शुरू बैठक 1 अक्टूबर तक चलेगी. सबके मन में बड़ा सवाल यही है कि आरबीआई इस बार ब्याज दरों में कटौती करेगा या नहीं.

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Viplav Rahi
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RBI MPC News : आरबीआई मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की सोमवार को शुरू हुई बैठक 1 अक्टूबर तक चलेगी. (File Photo : PTI)

RBI MPC Meeting : भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (Monetary Policy Committee - MPC) की बैठक आज से शुरू चुकी है और 1 अक्टूबर तक चलेगी. बाजार और आम निवेशकों की नजरें इस बात पर टिकी हैं कि क्या RBI इस बार ब्याज दरों में कटौती करेगा या फिर लगातार दूसरी बार कोई बदलाव नहीं किया जाएगा. पिछले कुछ महीनों में महंगाई में नरमी और जीडीपी ग्रोथ में मजबूती देखने को मिली है. लेकिन अमेरिका के साथ ट्रेड टेंशन से उपजे अंतरराष्ट्रीय हालात ने स्थिति को थोड़ा उलझा दिया है.

क्या रहेगा इस बार का एजेंडा

RBI MPC की बैठक में सबसे बड़ी चर्चा इस बात पर रहेगी कि नीतिगत ब्याज दर यानी रेपो रेट को घटाया जाए या नहीं. मौजूदा रेपो रेट 5.5 फीसदी है, जिसमें इस साल अब तक 100 बेसिस प्वाइंट यानी 1 फीसदी की कटौती की जा चुकी है. ज्यादातर अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि रिजर्व बैंक इस बार रेट को जस का तस रख सकता है. हालांकि, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, सिटी, बार्कलेज और कैपिटल इकोनॉमिक्स जैसे बड़े संस्थानों का अनुमान है कि इस बार रेट में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती की जा सकती है.

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महंगाई और जीडीपी के आंकड़ों का संकेत

अप्रैल-जून 2025 तिमाही में जीडीपी ग्रोथ 7.8 फीसदी रही, जो पिछले पांच तिमाहियों का सबसे ऊंचा स्तर है. यह आंकड़ा पिछले साल की समान तिमाही के 6.5 फीसदी और जनवरी-मार्च 2025 के 7.4 फीसदी से ज्यादा है. दूसरी तरफ, जीएसटी ढांचे में सुधार और टैक्स स्लैब को घटाकर 5 और 18 फीसदी करने से महंगाई दर के और नीचे आने की उम्मीद बनी है.

इक्रा (ICRA) लिमिटेड की चीफ इकॉनॉमिस्ट अदिति नायर का कहना है, “मौद्रिक नीति समिति इस बार भी रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं करेगी. जीएसटी सुधारों का सकारात्मक असर मांग पर दिख रहा है और पहली तिमाही की जीडीपी ग्रोथ उम्मीद से बेहतर रही है. महंगाई का स्तर अभी नीचे है, लेकिन आगे चलकर इसमें थोड़ी तेजी देखने को मिल सकती है.”

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आईडीएफसी फर्स्ट बैंक की चीफ इकॉनॉमिस्ट गौरा सेनगुप्ता का कहना है, “RBI इस बार पॉलिसी रेट में कोई बदलाव नहीं करेगा और जीएसटी तथा टैरिफ के असर को देखने के लिए इंतजार करेगा. फिलहाल ग्रामीण मांग और सरकारी निवेश से इकोनॉमी को सपोर्ट मिल रहा है, लेकिन शहरी खपत और प्राइवेट कैपेक्स अभी भी सुस्त हैं.”

जियोजित इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड के चीफ इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटजिस्ट डॉ. वी.के. विजयकुमार का कहना है, “इस बार की पॉलिसी में कोई बड़ा सरप्राइज नहीं होगा. मौजूदा ग्रोथ और महंगाई का संतुलन दर घटाने की जरूरत नहीं दिखाता. RBI संभवतः रेट को होल्ड करेगा लेकिन ग्रोथ को सपोर्ट करने का भरोसा जरूर दिलाएगा.”

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रेट कट के पक्ष में भी हैं कई अनुमान

रॉयटर्स के एक पोल में करीब तीन-चौथाई अर्थशास्त्रियों ने पॉज यानी रेट में कोई बदलाव नहीं होने का अनुमान जाहिर किया है, लेकिन सिटी (Citi), बार्कलेज (Barclays) और एसबीआई जैसे प्रमुख बैंकों ने इंफ्लेशन निचले स्तर और ग्रोथ में कमी आने के रिस्क का जिक्र करते हुए रेट कट की संभावना जाहिर की है. 

एसबीआई के ग्रुप चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर सौम्य कांति घोष का मानना है कि इस बार 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती सबसे बेहतर विकल्प होगा. SBI रिसर्च की एक रिपोर्ट में उन्होंने कहा है, “सितंबर में भी अगर रेट कट नहीं होती और न्यूट्रल स्टांस रहता है, तो यह सही कदम नहीं होगा. RBI को इस बार 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती करनी चाहिए, इससे यह संदेश जाएगा कि रिजर्व बैंक आगे की चुनौतियों के लिए तैयार है.”

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यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट में भी यही बात कही गई है. रिपोर्ट में कहा गया, “हमारा बेसलाइन व्यू यही है कि इस बार 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती होगी. महंगाई का रुझान नीचे है और इसी वजह से RBI के पास ब्याज दर घटाने की गुंजाइश बन रही है. यह कटौती अर्थव्यवस्था के लिए बूस्टर साबित हो सकती है.”

वहीं, सिटी बैंक के इकनॉमिस्ट्स का अनुमान है कि आरबीआई अंतरराष्ट्रीय झटकों से अर्थव्यवस्था को बचाने के इरादे से एक " इंश्योरेंस रेट कट" का विकल्प चुन सकता है या फिर पॉज करते हुए जल्द ही कदम उठाने का संकेत दे सकता है. सिटी के अर्थशास्त्रियों के मुताबिक उनका "मार्जिनल बायस ये है कि आरबीआई का झुकाव इंश्योरेंस रेट कट की तरफ हो सकता है."

नोमुरा का भी अनुमान है कि RBI अक्टूबर और दिसंबर दोनों बैठकों में दर घटा सकता है. 

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अमेरिकी टैरिफ पर भी गौर करेगा RBI

अमेरिका के साथ व्यापार तनाव और वहां लगाए गए 50 फीसदी टैरिफ भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए चिंता का विषय हैं. इसके अलावा, अमेरिका की फेडरल रिजर्व ने भी हाल ही में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती की है. कैपिटल इकॉनॉमिक्स का मानना है कि अमेरिका की टैरिफ नीति से जीडीपी ग्रोथ को झटका लग सकता है और इस स्थिति में RBI को पहले कदम उठाना चाहिए.

कैपिटल इकनॉमिक्स (Capital Economics) का मानना है कि मौजूदा माहौल में आरबीआई और इंतजार करने की जगह एक्शन लेना पसंद कर सकता है. उनका मानना है कि अमेरिकी टैरिफ के संभावित निगेटिव असर और इंफ्लेशन के निचले स्तर को ध्यान में रखते हुए मौजूदा स्थिति रेट कट की दिशा में आगे बढ़ने के लिए बिलकुल सही दिख रही है.

1 अक्टूबर को होगा पॉलिसी का एलान

RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा बुधवार 1 अक्टूबर को सुबह 10 बजे आरबीआई एमपीसी की बैठक में लिए गए फैसलों का एलान करेंगे. अगर रेपो रेट जस का तस रहा, तो लोन की ईबीएलआर दरें भी नहीं बदलेंगी. हालांकि, बैंकों के पास एमसीएलआर आधारित लोन पर ब्याज दरें एडजस्ट करने का ऑप्शन रहेगा.

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