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India 2025 Macro Outlook Report: एक ताजा रिपोर्ट में नए साल के दौरान भारत की आर्थिक स्थिति और संभावनाओं से जुड़ी कई अहम बातों पर पूर्वानुमान दिए गए हैं. Photograph: (Image : Pixabay)
India 2025 Macro Outlook Report by JM Financial : अगले महीने यानी फरवरी 2025 में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ब्याज दरों में कटौती का सिलसिला (Rate Cut Cycle) शुरू कर सकता है. यह अनुमान जेएम फाइनेंशियल की एक ताजा रिपोर्ट में जाहिर किया गया है. रिपोर्ट में नए साल यानी 2025 के दौरान भारत की आर्थिक स्थिति और संभावनाओं से जुड़ी कई अहम बातों पर पूर्वानुमान दिए गए हैं, जिनमें ब्याज दरों में कटौती के अलावा डॉलर के मुकाबले रुपये की संभावित स्थिति और कैपिटल एक्सपेंडीचर (Capex) जैसे महत्वपूर्ण पहलू शामिल हैं. इसके साथ ही रिपोर्ट में व्यापार संतुलन (Balance of Trade) और फिस्कल कन्सॉलिडेशन (Fiscal Consolidation) से जुड़े कई मुद्दों पर भी फोकस किया गया है.
फरवरी 2025 में शुरू होगा ब्याज दरें घटाने का सिलसिला
जेएम फाइनेंशियल की रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) फरवरी 2025 में ब्याज दरों में कटौती का सिलसिला शुरू कर सकता है. शुरुआत में यह कटौती मामूली होगी और कुल मिलाकर 50 से 75 बेसिस प्वाइंट्स (bps) के दायरे में सीमित रहेगी. रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि महंगाई के ऊंचे स्तर और ग्लोबल परिस्थितियों में अनिश्चय के कारण यह कटौती ज्यादा नहीं होगी और दरों में कटौती की शुरुआत करते समय आरबीआई को कोर इंफ्लेशन (core inflation) को काबू में रखने पर भी ध्यान देना होगा. अमेरिका में भी फेडरल रिजर्व इसी तरह की सतर्कता बरतते हुए दरों में मामूली कटौती करेगा.
डॉलर के मुकाबले 85.5 से 87.5 तक रह सकता है रुपया
अमेरिकी डॉलर की मजबूती और भारत के व्यापार घाटे (Trade Deficit) में बढ़ोतरी के चलते रुपये पर दबाव बने रहने की संभावना है. भारत की तरफ से विदेशी मुद्रा बाजार में दखल दिए जाने की सीमित संभावना को देखते हुए, रुपये में और गिरावट की आशंका भी जाहिर की गई है. रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि 2025 में रुपया 85.5 से 87.5 प्रति डॉलर के बीच रहेगा. डॉलर ने हाल के महीनों में मजबूती दर्ज की है. इसका असर उभरते बाजारों (Emerging Markets) की मुद्राओं पर पड़ा है. अमेरिका में अगले राष्ट्रपति ट्रंप की अगुवाई में नई सरकार के की नीतियों का असर भी सारी दुनिया के साथ ही साथ भारत पर भी पड़ने के आसार हैं.
व्यापार घाटे में बढ़ोतरी के आसार
रिपोर्ट में बताया गया है कि 2025 में भारत के निर्यात (Exports) में सुस्ती और आयात (Imports) में बढ़ोतरी के कारण व्यापार घाटा बढ़ेगा. नवंबर 2024 में यह घाटा 37 अरब डॉलर था, जो 23.5 बिलियन डॉलर के मंथली एवरेज से काफी अधिक है. वित्त वर्ष 2024-25 में चालू खाते का घाटा (Current Account Deficit -CAD) सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के 1.5% से 1.6% तक रह सकता है. इस घाटे का असर भारत के विदेशी मुद्रा भंडार और रुपये की स्थिरता पर पड़ेगा.
कैपिटल एक्सपेंडिचर में कमी के आसार
2025 में कैपिटल एक्सपेंडिचर (Capex) बजट लक्ष्य से 10% कम रहने की संभावना है. रिपोर्ट में कहा गया है कि चुनावी वर्ष और राजकोषीय घाटे (Fiscal Deficit) को नियंत्रित रखने की कोशिशों के कारण यह कमी हो सकती है. इसके साथ ही, सरकार वित्त वर्ष 2025-26 के लिए बजट में अधिक आकर्षक आवंटन पेश कर सकती है. लेकिन इसका पूरा असर आगे चलकर ही देखने को मिलेगा.
फिस्कल कन्सॉलिडेशन और बॉन्ड यील्ड्स पर असर
रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि केंद्र सरकार फिस्कल कन्सॉलिडेशन के अपने निर्धारित लक्ष्य की दिशा में आगे बढ़ती रहेगी. वित्त वर्ष 2025-26 में राजकोषीय घाटा (Fiscal Deficit) 4.5% के लक्ष्य को आसानी से हासिल कर लेगा. इससे बॉन्ड यील्ड्स को 6.2% से 6.8% के बीच स्थिर रहने में मदद मिलेगी. रिपोर्ट के मुताबिक सरकार अपने कर्ज-जीडीपी अनुपात (Debt as % of GDP) को भी कम करने की कोशिश करेगी.
अमेरिकी नीतियों का भारत पर असर
रिपोर्ट ने अमेरिका के निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की संभावित टैरिफ नीतियों को भारतीय व्यापार और बाजार के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती बताया है. ट्रंप की नीतियां मुख्य रूप से चीन पर फोकस कर सकती हैं, लेकिन इनका असर भारत के निर्यात बाजार पर भी पड़ सकता है. रिपोर्ट में यह भी सुझाव दिया गया है कि भारत को डोमेस्टिक डिमांड को बढ़ाने और एक्सपोर्ट मार्केट को सुरक्षित रखने के लिए निर्णायक कदम उठाने पड़ सकते हैं.
2025 के लिए क्या हैं अहम अनुमान
जेएम फाइनेंशियल की इस रिपोर्ट में कई महत्वपूर्ण बातें सामने आई हैं:
ब्याज दरों में मामूली कटौती की शुरुआत फरवरी 2025 से हो सकती है.
रुपये की वैल्यू 85.5 से 87.5 प्रति डॉलर के बीच रह सकता है.
चालू खाते का घाटा (CAD) 1.5% से 1.6% के बीच रहने की संभावना है.
कैपिटल एक्सपेंडिचर में कमी और फिस्कल कन्सॉलिडेशन का असर दिखेगा.
बॉन्ड यील्ड्स भी 6.2% से 6.8% के बीच स्थिर रहेंगी.
रिपोर्ट में उम्मीद जाहिर की गई है कि 2025 का साल भारत के लिए आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण साबित होगा. इस दौरान घरेलू हालात के अलावा अंतरराष्ट्रीय परिस्थितियों का भी भारतीय अर्थव्यवस्था पर गहरा असर पड़ेगा. रुपये की स्थिरता, चालू खाते का घाटा (Current Account Deficit) और ब्याज दरों में कटौती जैसे पहलू 2025 के आर्थिक परिदृश्य को आकार देंगे.