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Gold ETF vs Physical Gold: क्या गोल्ड ईटीएफ ने फिजिकल गोल्ड से बेहतर रिटर्न दिया, आंकड़ों से समझिए कहां ज्यादा फायदा?

Physical Gold vs Gold ETF: गोल्ड ईटीएफ म्यूचुअल फंड होते हैं जो सोने की कीमतों से जुड़े होते हैं. निवेशक इन्हें शेयर बाजार की तरह खरीद और बेच सकते हैं, बिना सोने को घर में रखने या उसकी शुद्धता को लेकर चिंता किए.

Physical Gold vs Gold ETF: गोल्ड ईटीएफ म्यूचुअल फंड होते हैं जो सोने की कीमतों से जुड़े होते हैं. निवेशक इन्हें शेयर बाजार की तरह खरीद और बेच सकते हैं, बिना सोने को घर में रखने या उसकी शुद्धता को लेकर चिंता किए.

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FE Hindi Desk
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Gold ETF: फिजिकल गोल्ड के मुकाबले क्या गोल्ड ईटीएफ ने बेहतर रिटर्न दिया है? आइए समझते हैं. (Image: Reuters)

Gold ETF vs Physical Gold: भारत में शुक्रवार 18 अप्रैल को सोने का भाव 96,000 रुपये के आसपास रहा. अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी सोना 3,300 अमेरिकी डॉलर प्रति औंस के पार पहुंच गया है. कीमती धातुओं की कीमतों में यह बढ़ोतरी कई घरेलू और वैश्विक कारणों से हुई है. दुनिया भर में बढ़ती राजनीतिक अस्थिरता, सेंट्रल बैंकों द्वारा तेजी से सोने की खरीद और आर्थिक हालातों की अनिश्चितता ने सोने की चमक और बढ़ा दी है.

भारत में सोना सिर्फ एक धातु नहीं, बल्कि भावनाओं और सुरक्षा का प्रतीक है. लगभग हर भारतीय परिवार अपनी तिजोरी में थोड़ा बहुत सोना जरूर रखना चाहता है. हालांकि अब निवेशकों की सोच बदल रही है. पहले लोग सिर्फ सोने के गहने या सिक्के खरीदते थे, लेकिन अब लोग ऐसे विकल्प भी खोज रहे हैं जहां निवेश करना आसान हो, जोखिम कम हो और रिटर्न स्थिर मिलें. ऐसे में डिजिटल गोल्ड और गोल्ड म्यूचुअल फंड्स की अहमियत बढ़ गई है.

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GOLD ETF में पैसा लगाना कितना सही?

गोल्ड ईटीएफ दरअसल ऐसे म्यूचुअल फंड होते हैं जो सोने की कीमत के साथ चलते हैं. इन्हें शेयर बाजार की तरह खरीदा और बेचा जा सकता है. इससे घर में सोना रखने, लॉकर की चिंता करने या सोने की शुद्धता को लेकर सोचने की जरूरत नहीं होती. लेकिन सवाल यह है कि – क्या गोल्ड ईटीएफ ने वाकई में उतना या उससे बेहतर मुनाफा दिया है, जितना असली सोना देता है?

इस सवाल का जवाब जानने के लिए हमने भारत के पांच सबसे पुराने गोल्ड ईटीएफ की परफॉर्मेंस का 15 से 18 साल तक का रिकॉर्ड देखा. इन फंड्स ने बीते 16 से 18 सालों में हर साल औसतन 11% से 13% तक का रिटर्न दिया है. इनमें से कुछ गोल्ड ईटीएफ ने तो असली सोने से भी ज़्यादा मुनाफा कमाया है, जब इनके रिटर्न की तुलना उनके लॉन्च के समय से अब तक के सोने के दामों से की गई.

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फिजिकल गोल्ड या गोल्ड ईटीएफ? निवेशकों को कहां मिला ज्यादा फायदा?

यहां हम गोल्ड ईटीएफ के पिछले 16 से 18 साल के रिटर्न की तुलना फिजिकल गोल्ड से की है ताकि यह समझ सकें कि इन ईटीएफ ने कितना अच्छा प्रदर्शन किया है. आइए एक नजर डालते हैं.

Nippon India ETF Gold BeES

फंड की शुरुआत: 8 मार्च 2007 (अब तक की उम्र – 18 साल 1 महीना)

शुरू होने के बाद से अब तक का औसतन रिटर्न: सालाना 12.44%

अगर हम देखें कि 8 मार्च 2007 से अब तक सोने की कीमत कितनी बढ़ी है, तो वह 10,800 रुपये प्रति 10 ग्राम से बढ़कर 96,000 रुपये प्रति 10 ग्राम से भी ज्यादा हो गई है.
8 मार्च 2007 से अब तक असली सोने में निवेश पर रिटर्न: 12.91% प्रति साल

UTI Gold Exchange Traded Fund

शुरुआत की तारीख: 12 मार्च 2007 (उम्र – 18 साल 1 महीना)
शुरू होने के बाद से अब तक का औसतन रिटर्न: सालाना 12.62%

पिछले करीब 18 सालों में सोने की कीमत 9,400 रुपये प्रति 10 ग्राम से बढ़कर 96,000 रुपये हो गई है.

18 मई 2009 से अब तक असली सोने में निवेश का औसत रिटर्न: सालाना 13.78% प्रति साल

Kotak Gold ETF

शुरुआत की तारीख: 27 जुलाई 2007 (उम्र – 17 साल 8 महीने)
शुरू होने के बाद से अब तक का औसतन रिटर्न: सालाना 13.24% प्रति साल

इस दौरान सोने की कीमत 10,800 रुपये प्रति 10 ग्राम से बढ़कर 96,000 रुपये तक पहुंच गई.

27 जुलाई 2007 से अब तक असली सोने में निवेश का औसत रिटर्न: सालाना 12.91%

Quantum Gold Fund

शुरुआत की तारीख: 22 फरवरी 2008 (उम्र – 17 साल 2 महीने)
शुरू होने के बाद से अब तक का औसतन रिटर्न: सालाना 11.69%

अगर पिछले 17 सालों में सोने की कीमत देखें, तो यह 12,500 रुपये प्रति 10 ग्राम से बढ़कर अब 96,000 रुपये तक पहुंच चुकी है.

8 मार्च 2007 से अब तक असली सोने में निवेश का रिटर्न: सालाना 11.99%

SBI Gold ETF

शुरुआत की तारीख: 18 मई 2009 (उम्र – करीब 16 साल)
शुरू होने के बाद से अब तक का औसतन रिटर्न: सालाना 11.30% प्रति साल

इस दौरान असली सोने की कीमत 14,500 रुपये प्रति 10 ग्राम से बढ़कर 96,000 रुपये तक पहुंच गई.

18 मई 2009 से अब तक असली सोने में निवेश का रिटर्न: सालाना 11.07%

(डेटा स्रोत –  Value Research)

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फिजिकल गोल्ड बनाम गोल्ड ईटीएफ: कौन है बेहतर?
अगर पिछले 16–18 सालों में फिजिकल गोल्ड के रिटर्न देखें, तो वो भी हर साल करीब 11% से 14% तक रहा है. यानी गोल्ड ईटीएफ ने ना सिर्फ बराबरी की, बल्कि कुछ मामलों में ज्यादा रिटर्न भी दिया. साथ ही, ईटीएफ को रखना और बेचना भी बहुत आसान होता है. जहां फिजिकल गोल्ड में मेकिंग चार्ज, सेफ लोकेशन और चोरी की चिंता होती है, वहीं गोल्ड ईटीएफ में ऐसी कोई दिक्कत नहीं होती.

गोल्ड ईटीएफ में निवेश के फायदे

सोने की शुद्धता या चोरी की कोई चिंता नहीं

पूरा लेन-देन डिजिटल और पारदर्शी

SEBI द्वारा रेगुलेटेड यानी सुरक्षित

जब चाहे खरीदें या बेचें – बिल्कुल शेयर बाजार की तरह

कम खर्च में पोर्टफोलियो में विविधता (डाइवर्सिफिकेशन) का मौका

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 गोल्ड ईटीएफ में निवेश करने से पहले जानें इसके जोखिम

हालांकि गोल्ड ईटीएफ में निवेश करना आसान और फायदेमंद हो सकता है, लेकिन इसमें कुछ जोखिम भी होते हैं. तो वो कौन-कौन से हैं?

सबसे बड़ा जोखिम यह है कि सोने की कीमतों में उतार-चढ़ाव सीधे फंड के रिटर्न को प्रभावित करता है. साथ ही, लंबे समय में यह इक्विटी (शेयर बाजार) के मुकाबले कम रिटर्न दे सकता है.

गोल्ड ईटीएफ के लिए सही निवेशक कौन?

जो लोग सोने में निवेश तो करना चाहते हैं, लेकिन असली सोना खरीदने और संभालने की झंझट से बचना चाहते हैं

जिनका निवेश करने का समय 5 साल या उससे ज्यादा का है

जिनके पोर्टफोलियो में अभी तक सोना शामिल नहीं है

जो अपने निवेश को महंगाई और वैश्विक अनिश्चितताओं से बचाना चाहते हैं.

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भारत में गोल्ड ईटीएफ ने अब तक काफी अच्छा सफर तय किया है – और उनका प्रदर्शन यह दिखाता है कि अगर आप लंबी अवधि के लिए सोचते हैं, तो यह एक स्थिर, सुविधाजनक और सुरक्षित विकल्प बन सकता है. जब असली सोना महंगा हो गया है और दुनियाभर में अस्थिरता बढ़ रही है, ऐसे समय में गोल्ड ईटीएफ निवेशकों के लिए एक समझदारी भरा फैसला हो सकता है.

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