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Investment Decision : निवेश करना कभी भी आसान नहीं होता है, खासकर अनिश्चितता के समय में. (Pixabay)
How to Navigate Volatility : पिछले महीने आलटाइम हाई पर पहुंचने के बाद इक्विटी मार्केट अभी कुछ मुश्किल दौर में (uncertain share market) पहुंच गया है. अस्थिरता (एनएसई वोलेटिलिटी इंडेक्स) 2 साल के हाई लेवल पर पहुंच गई है, क्योंकि लोकसभा चुनाव के नतीजों से पहले निवेशक सतर्क मोड में चले हैं. वहीं मिडिल ईस्ट में इजरायल और हमास के बीच संघर्ष के चलते जियोपॉलिटिकल टेंशन बढ़ गया है और यूएस फेड द्वारा हाल फिलहाल में और तेजी से दरों में कटौती को लेकर बाजार की उम्मीदें खत्म हो गई हैं. निवेश करना कभी भी आसान नहीं होता है, खासकर अनिश्चितता के समय में क्योंकि आपके फैसले आसानी से निगेटिव सेंटीमेंट या नुकसान के डर से प्रभावित हो सकते हैं. तो एक निवेशक को आगे के बदलते और अस्थिर माहौल (stock market volatility) से कैसे निपटना चाहिए? इस बारे में विनय जोसेफ, डायरेक्टर, हेड - इन्वेस्टमेंट प्रोडक्ट्स एंड स्ट्रैटेजी, स्टैंडर्ड चार्टेड वेल्थ, इंडिया ने विस्तार से जानकारी (how to navigate volatile market) दी है.
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शांत रहें, धैर्य रखें और घबराहट में बिकवाली न करें
निवेशकों को यह समझना जरूरी है कि इक्विटी बाजारों में अस्थिरता का अनुभव समय समय पर होता रहता है, यानी यह सामान्य घटना की तरह है. बाजार की हिस्ट्री देखें तो पता चलता है कि बाजार में बिकवाली की भविष्यवाणी करना बहुत मुश्किल है और इस तरह आपके अपने निवेश से बाहर निकलने और फिर एंट्री के लिए समय निर्धारित करना चुनौतीपूर्ण है. अनिश्चित समय में, निवेशकों को अपना निवेश बनाए रखने के चलते महत्वपूर्ण COMO (कॉस्ट ऑफ मिसिंग आउट) का सामना करना पड़ता है. पिछले 24 साल में निफ्टी इंडेक्स का एक आसान एनालिसिस दर्शाता है कि इक्विटी में निवेश बनाए रहने पर, एक निवेशक को 12 फीसदी एनुअल रिटर्न हासिल हुआ होगा. सबसे अच्छे ट्रेडिंग दिनों में से 10 मिस हो जाने पर, एक निवेशक का रिटर्न 8 फीसदी तक गिर जाता है और सबसे अच्छे ट्रेडिंग दिनों में से 30 के मिस होने पर, निवेशक का रिटर्न सिर्फ 4 फीसदी सालाना होगा. इसके अलावा, इक्विटी बाजारों में सबसे खराब दिनों के बाद सबसे अच्छे दिन आते हैं - एनालिसिस में यह दिखता है कि सबसे खराब 10 दिनों के सिर्फ 2 हफ्ते के अंदर सबसे अच्छे 10 दिनों में से 9 ट्रेडिंग डे रहे हैं.
डाइवर्सिफाइड पोर्टफोलियो में निवेश
एक अच्छी तरह से डाइवर्सिफाइड पोर्टफोलियो में निवेश करना सही स्ट्रैटेजी है, जो अलग अलग एसेट क्लास में आवंटित होता है. हर एसेट क्लास की अलग-अलग विशेषताएं होती हैं और अलग अलग बाजार पस्थितियों के तहत उनका अलग-अलग प्रदर्शन होता है. इसलिए डाइवर्सिफाइड पोर्टफोलियो अनिश्चित वातावरण से निपटने के लिए महत्वपूर्ण है. अलग अलग ग्रोथ-इनफ्लेशन व्यवस्थाओं के एनालिसिस से पता चलता है कि एक डाइवर्सिफाइड पोर्टफोलियो का रिस्क-एडजस्टेड रिटर्न (यानी इक्विटी, बॉन्ड, सोना और कैश में आवंटन) एक सिंपल 60/40 स्टॉक-बॉन्ड पोर्टफोलियो से अधिक हो गया है. एक डाइवर्सिफाइड पोर्टफोलियो यह सुनिश्चित करता है कि एक निवेशक ऐसा कर सकता है.
Ø इक्विटी के साथ अपसाइड प्ले करें : आर्थिक स्थिति लचीली बनी रहने पर निवेशकों को तेजी से लाभ पाने के लिए इक्विटी में आवंटन बनाए रखने की जरूरत है.
Ø बांड के जरिए आय का स्थिर सोर्स : बांड घरेलू मंदी के जोखिम के खिलाफ बचाव यानी हेज के रूप में काम कर सकते हैं और पोर्टफोलियो में आय का एक स्थिर सोर्स दे सकते हैं.
Ø सोने हर मौसम के लिए बेहतर एसेट : सोने ने अलग अलग ग्रोथ-इनफ्लेशन में पॉजिटिव रिटर्न दिया है. जब ग्रोथ सुस्त पड़ती हो और महंगाई बढ़ रही होती है, तो सोने का बेहतर प्रदर्शन सामने आता है. इसके अलावा, महंगाई के लगातार बने रहने के जोखिम के खिलाफ पोर्टफोलियो में सोने का आवंटन एक अच्छा हेज यानी बचाव होगा.
Ø अपने पास कैश रिजर्व रखें : अगर आपके पास कैश है तो आप किसी भी सेक्टर या एसेट क्लास में मौका या अवसर मिलने पर निवेश कर उसका पूरा फायदा उठा सकते हैं. वहीं बाजार में शॉर्ट टर्म पुलबैक का लाभ उठाने के लिए भी कैश का इस्तेमाल कर सकते हैं.
भारत की लॉन्ग टर्म पॉजिटिव स्ट्रक्चरल इकोनॉमी के प्रति सचेत
निकट अवधि की घटनाओं के आस पास अनिश्चितता जो छोटी अवधि में उतार चढ़ाव को बढ़ाती है, उसे निवेशक को दीर्घकालिक तस्वीर से विचलित नहीं करना चाहिए, जो पॉजिटिव बनी हुई है. भारतीय अर्थव्यवस्था के आने वाले दो दशकों के भीतर अपर मिडिल-इनकम ग्रुप में सफल परिवर्तन करने की संभावना है, क्योंकि एक बड़ी और युवा आबादी प्रोडक्टिविटी बढ़ाती है, निवेश को आकर्षित करती है और अधिक स्टेबल दीर्घकालिक आर्थिक विकास सुनिश्चित करती है. इसके अलावा, भारत ग्लोबल सप्लाई चेन में बदलाव से लाभ उठाने और डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर में दशक भर के निवेश का लाभ पाने के लिए अच्छी स्थिति में है.
भारत की व्यापक आर्थिक पृष्ठभूमि भारतीय फाइनेंशियल मार्केट की एसेट्स को मल्टी-ईयर यानी लंबी अवधि में मजबूत प्रदर्शन करने के लिए तैयार करती है. इकोनॉमिक ग्रोथ की उच्च दर, अच्छी तरह से प्रबंधित महंगाई और मजबूत बाहरी मापदंडों को देखते हुए इक्विटी एक स्थायी कॉर्पोरेट प्रॉफिट साइकिल से लाभ उठाने के लिए सबसे अच्छी स्थिति में हैं. निवेश आधारित ग्रोथ और नियंत्रित महंगाई को देखते हुए फिक्स्ड इनकम स्टेबल यील्ड प्रदान करती रहेगी. स्थिर महंगाई और करंसी आउटलुक समर्थन के अतिरिक्त फैक्टर हैं.
रिस्क एडज्स्टेड रिटर्न को बढ़ावा देने के लिए क्या करें
ओवरआल पोर्टफोलियो के प्रदर्शन में सुधार के लिए निवेशक अपने लॉन्ग टर्म इक्विटी और बांड अलोकेशन को सामरिक आवंटन के साथ बफर कर सकते हैं. इक्विटी के भीतर, हम मैन्युफैक्चरिंग और इंफ्रास्ट्रक्चर में वैल्यू दिख रहा है, इन सेक्टर के लिए मल्टी-ईयर स्ट्रक्चरल ड्राइवर मौजूद हैं. हमारा फोकस इंडस्ट्रियल और कंज्यूमर डिस्क्रिशनरी जैसे डोमेस्टिक साइक्लिक पर ओवरवेट, हेल्थकेयर पर ओवरवेट के माध्यम से डिफेंसिव ओवरले के माध्यम से रिस्क और रिवार्ड के बीच संतुलन बनाने पर है. बांड के भीतर, हम कॉर्पोरेट बांड में आकर्षक रिस्क-रिवार्ड देख रहे हैं, खासतौर से हाई क्वालिटी (AAA रेटिंग) में, क्योंकि साइक्लिक रूप से हाई यील्ड (सरकारी बांड पर) और ब्याज दरों में बदलाव के प्रति उनकी संवेदनशीलता कम होती है.