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Do not mix Insurance and investment : बीमा और निवेश में घालमेल करने की यह मानसिकता लंबी अवधि में आर्थिक तौर पर भारी नुकसान करा सकती है. (Image : Pixabay)
Do not mix Insurance and investment : इंश्योरेंस कवरेज यानी बीमा पॉलिसी खरीदते समय की जाने वाली सबसे बड़ी भूल क्या है? सबसे बड़ी गलती है इंश्योरेंस प्लान खरीदते समय उसकी मेच्योरिटी वैल्यू या निवेश पर रिटर्न की तलाश करना. दरअसल ऐसी सोच एक बड़ी गलतफहमी का नतीजा है, जो बड़ी संख्या में लोगों को रहती है. ये गलतफहमी है बीमा पॉलिसी को निवेश की तरह देखने की. बीमा खरीदने वाले मैच्योरिटी बेनिफिट और रिटर्न को एक्स्ट्रा बेनिफिट की तरह देखते हैं तो निवेश करने वाले इंश्योरेंस को अतिरिक्त लाभ मान लेते हैं. लेकिन सच ये है कि बीमा और निवेश में घालमेल करने की यह मानसिकता लंबी अवधि में आर्थिक तौर पर भारी नुकसान करा सकती है.
क्यों गलत है इंश्योरेंस को इनवेस्टमेंट समझना
सबसे पहले यह समझना जरूरी है कि बीमा पॉलिसी को निवेश की तरह देखना गलत है. ऐसा इसलिए क्योंकि जब आप अपने पैसे कहीं निवेश करते हैं, तो आप वहां से रिटर्न हासिल करने की उम्मीद करते हैं. इसी उम्मीद की वजह से लोग बीमा कंपनी को दिए गए प्रीमियम के बदले में रिटर्न या मेच्योरिटी बेनिफिट खोजने लगते हैं. इसी चक्कर में वे कम कीमत में ज्यादा कवरेज देने वाले टर्म प्लान को रिजेक्ट करके ऐसे एंडोमेंट प्लान को चुन लेते हैं, जिनमें उन्हें जीवित रहने पर सर्वाइवल बेनिफिट के तौर पर कुछ पैसे मिल जाते हैं. उन्हें लगता है कि टर्म प्लान खरीदने में कोई फायदा नहीं है, क्योंकि उसमें कोई सर्वाइवल बेनिफिट नहीं मिलता है. ऐसा सोचने वाले निवेशकों को यह ध्यान नहीं रहता कि एंडोमेंट पॉलिसी में उन्हें काफी ऊंचा प्रीमियम देने के बावजूद कम कवरेज से काम चलाना पड़ता है. जबकि प्योर टर्म इंश्योरेंस पॉलिसी उन्हें बेहद कम प्रीमियम में अच्छा-खासा कवरेज देती है. जानकारों की राय में टर्म इंश्योरेंस जीवन बीमा का सबसे सस्ता और सबसे अच्छा रूप है. क्योंकि जीवन बीमा का मकसद रिटर्न पाना नहीं, आर्थिक सुरक्षा हासिल करना है.
बीमा और निवेश से कैसे लें पूरा लाभ
अगर बीमा और निवेश को अलग-अलग रखना है, तो दोनों का पूरा लाभ लेने का सही तरीका क्या होगा? आखिर अगर आप एंडोमेंट प्लान के लिए ऊंचा प्रीमियन भरने को तैयार हैं, तो बेहतर होगा अगर आप उसी रकम को दो हिस्सों में बांट लें. एक हिस्सा टर्म प्लान के जरिए बड़ा इंश्योरेंस कवरेज खरीदने पर खर्च करें और बाकी रकम को किसी इक्विटी म्यूचुअल फंड में एसआईपी के जरिए निवेश करें. इस तरह आप उतनी ही रकम खर्च करके ज्यादा कवरेज हासिल कर लेंगे और निवेश की सही रणनीति (Investment Strategy) अपना कर ऊंचा रिटर्न भी ले पाएंगे. इस बात को आप इस कैलकुलेशन की मदद से और भी अच्छी तरह समझ पाएंगे:
चौंका देगा ये कैलकुलेशन !
30 साल का व्यक्ति अगर 65 साल की उम्र तक कवरेज देने वाले 1 करोड़ रुपये का टर्म प्लान खरीदना चाहे तो उसका सालाना प्रीमियम महज 12 हजार रुपये से शुरू होता है. जबकि एंडोमेंट प्लान में इतना ही कवरेज खरीदने के लिए उसे सालाना करीब 2.80 लाख रुपये का प्रीमियम देना पड़ेगा. इस प्लान में उसे 65 साल की उम्र में यानी 35 साल बाद 1 करोड़ रुपये का सम एश्योर्ड, 1.68 करोड़ रुपये का बोनस और 2.30 करोड़ रुपये का फाइनल बोनस एडिशन मिलाकर मैच्योरिटी बेनिफिट के तौर पर कुल 4.98 करोड़ रुपये मिलेंगे. जबकि 35 साल में उसने करीब 98 लाख रुपये प्रीमियम के तौर पर चुकाए होंगे. यानी अपने निवेश पर करीब 4 करोड़ रुपये का लाभ होगा. ये कैलकुलेशन एक प्रमुख बीमा कंपनी के एंडोमेंट प्लान कैलकुलेटर पर आधारित हैं.
टर्म प्लान + म्यूचुअल फंड का कंबिनेशन
अब जानते हैं कि 30 साल का वही निवेशक अगर सालाना 2.80 लाख रुपये की उसी रकम को टर्म प्लान और इक्विटी म्यूचुअल फंड में बांटकर निवेश करे, तो क्या होगा? क्या वो एंडोमेंट प्लान के मुकाबले ज्यादा कवरेज और रिटर्न दोनों हासिल कर सकता है? 30 साल का व्यक्ति चाहे तो करीब 20 हजार रुपये के सालाना प्रीमियम में ऑनलाइन पोर्टल्स के जरिए 2 करोड़ रुपये का टर्म प्लान खरीद सकता है. बाकी बचे 2.60 लाख रुपये अगर 21,666 रुपये के मंथली SIP के जरिए हर साल ELSS में निवेश किए जाएं, तो 12 फीसदी के कंजर्वेटिव सालाना रिटर्न के आधार पर भी 35 साल में उसके निवेश की कुल वैल्यू 14.07 करोड़ रुपये से अधिक हो जाएगी! जबकि इन 35 वर्षों के दौरान उसकी तरफ से निवेश की गई कुल रकम करीब 91 लाख रुपये होगी. यानी उसे अपने निवेश पर करीब 13 करोड़ रुपये से ज्यादा का मुनाफा होगा. वो भी एंडोमेंट प्लान के मुकाबले दोगुना इंश्योरेंस कवरेज खरीदने के बाद!
बेहतर कवरेज के साथ हाई रिटर्न
यह कैलकुलेशन किसी खास स्कीम के आधार पर नहीं, बल्कि ऑनलाइन इंश्योरेंस पॉलिसी बेचने वाले पोर्टल पर दिए शुरुआती प्रीमियम के मोटे अनुमान पर आधारित है. इसलिए पॉलिसी खरीदते समय वास्तविक रकम इससे थोड़ी-बहुत अलग हो सकती है. फिर भी टर्म प्लान और एंडोमेंट प्लान के प्रीमियम के बीच भारी अंतर तो बना ही रहेगा. एंडोमेंट प्लान का एक बड़ा नुकसान यह भी है कि भारी प्रीमियम की वजह से कई बार लोग जितना इंश्योरेंस लेना चाहिए, उतना नहीं खरीद पाते हैं. जिसका खामियाजा किसी अनहोनी की हालत में उनके परिवार को उठाना पड़ सकता है. इसीलिए सही रणनीति यही है कि बीमा और निवेश को अलग-अलग रखें, ताकि इंश्योरेंस में सबसे बेहतर कवरेज और इनवेस्टमेंट में हाई रिटर्न, दोनों का पूरा-पूरा फायदा ले सकें. निवेश का अंतिम फैसला करते समय इक्विटी फंड में इनवेस्टमेंट से जुड़े मार्केट रिस्क को भी जरूर ध्यान में रखें.