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सोने पर भरोसा करना है सुरक्षित? जानें हकीकत

सोने और चांदी में निवेश सुरक्षित माना जाता है, लेकिन इसका लाभ सीमित होता है. इतिहास में इनकी कीमतें तेजी से ऊपर-नीचे होती रही हैं, इसलिए निवेशकों को हर साल पिछले लाभ की उम्मीद नहीं रखनी चाहिए.

सोने और चांदी में निवेश सुरक्षित माना जाता है, लेकिन इसका लाभ सीमित होता है. इतिहास में इनकी कीमतें तेजी से ऊपर-नीचे होती रही हैं, इसलिए निवेशकों को हर साल पिछले लाभ की उम्मीद नहीं रखनी चाहिए.

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FE Hindi Desk
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सुरक्षा के लिए सोने पर भरोसा कितना सही है?

जब दुनिया में अनिश्चितता का माहौल हो और लोगों का भरोसा कागज़ी संपत्ति (जैसे शेयर या करेंसी) से हिल जाए, तब सोने (Gold) की ओर रुझान बढ़ना स्वाभाविक है — यह एक ऐसी समझदारी भरी सलाह है जो हर दौर में सही साबित होती है. शेक्सपियर ने कहा था कि "जो चमकता है, वह सोना नहीं होता", लेकिन भारतीय महिलाओं ने हमेशा सोने की असली कीमत समझी. अब तो दुनिया भर के केंद्रीय बैंक भी उनकी इस समझ से सहमत नज़र आ रहे हैं — वे बड़ी मात्रा में सोने में निवेश (Gold Investment) कर रहे हैं. इसी वैश्विक रुझान के तहत, भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के पास अब 2025-26 की पहली छमाही में 880 मीट्रिक टन से ज़्यादा सोना हो गया है. सिर्फ़ सितंबर के आख़िरी हफ़्ते में ही RBI ने 0.2 मीट्रिक टन नया सोना जोड़ा है.

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लेकिन जब अनिश्चितता बढ़ जाती है और सोने की ऊँची कीमतें लोगों की जेब पर भारी पड़ने लगती हैं, तब क्या विकल्प बचते हैं?

अर्थशास्त्री, लेखक और भारतीय रिज़र्व बैंक के पूर्व गवर्नर डॉ. दुव्वुरी सुब्बाराव कहते हैं — “अनिश्चितता के दौर में सोना एक भरोसेमंद सहारा होता है. ऐसे समय में लोग सुरक्षा के लिए सोने की ओर भागते हैं. लेकिन इसकी भी एक सीमा होती है. एक समय के बाद बाज़ार में सुधार (correction) आना तय है बस यह कहना मुश्किल है कि वह तेज़ और अचानक होगा या धीरे-धीरे.” असल में, सोने की कीमतों में हाल ही में यही हुआ तेज़ी के बाद अब उनमें ठहराव आया है और कीमतें उलटी दिशा में चलने लगी हैं.

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डॉ. सुब्बाराव बताते हैं कि आम तौर पर जब डॉलर का मूल्य गिरता है, तो सोने की कीमत बढ़ जाती है. लेकिन हैरानी की बात यह है कि अभी डॉलर की कीमत भी मजबूत बनी हुई है और सोने की कीमत भी उच्च स्तर पर है.

एक पूर्व ब्यूरोक्रेट, जो पहले नीति-निर्माण से जुड़े रहे हैं लेकिन अपना नाम उजागर नहीं करना चाहते, कहते हैं, “असल में लोग सोचते हैं कि अभी किसी और निवेश से सोने जितना फायदा या सुरक्षा नहीं मिल पाएगी. उदाहरण के लिए, शेयरों की कीमतें बहुत ऊँची हैं और उनका असली मुनाफा सही से दिखता भी नहीं हैं. कुछ बड़े देशों में शेयरों की कीमतें नीचे आएंगी, और भारत में भी ऐसा हो सकता है. ऐसे समय में लोग सोने में निवेश करना पसंद करते हैं.”

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सोने में निवेश को लेकर उनके विचार 

सोने में निवेश को लेकर वो सलाह देते हुए कहते हैं, “हालांकि बहुत सारे विशेषज्ञ हैं जिनसे लोग सलाह ले सकते हैं, लेकिन मैं व्यक्तिगत तौर पर फिलहाल किसी को भी सोना खरीदने की सलाह नहीं दूँगा क्योंकि सोने की कीमतें अभी बहुत बढ़ गई हैं.” जहाँ तक सोने की हाल की चाल और दिवाली के दौरान लगातार मांग का सवाल है, इस पूर्व अधिकारी का कहना है, “लोग अब अन्य वित्तीय संपत्तियों से दूर हो रहे हैं. जब बिटकॉइन जैसी चीज़ों में भी अचानक बढ़ोतरी (speculative boom) हो रही है, तो यह आश्चर्य की बात नहीं कि सोना भी उसके साथ बढ़ता है. खास बात यह है कि सोना सीमित मात्रा में उपलब्ध है, इसलिए इसकी कीमत बढ़नी तय है.”

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एचडीएफसी एसेट मैनेजमेंट कंपनी के सीईओ नवनीत मुनोट ने शायद निवेशकों के लिए इसे सबसे सरल तरीके से समझाया है. वे कहते हैं, “निवेशकों को सोने और चांदी से पिछले साल जैसी कमाई की उम्मीद नहीं रखनी चाहिए. इतिहास से पता चलता है कि लंबे समय तक ये पर्याप्त लाभ नहीं देते और इनकी कीमतें जल्दी-जल्दी ऊपर-नीचे होती रहती हैं.”

Note: This content has been translated using AI. It has also been reviewed by FE Editors for accuracy.

To read this article in English, click here.

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