scorecardresearch

कम ब्याज दरों के दौर में कहां लगाएं पैसे? म्यूचुअल फंड में निवेश के क्या हैं स्मार्ट ऑप्शन

Investing in Low Interest Rate Environment: कम ब्याज दरों के माहौल में म्यूचुअल फंड में निवेश करने की सही रणनीति क्या है? कहां पैसे लगाने पर मिलेगा बेहतर रिटर्न?

Investing in Low Interest Rate Environment: कम ब्याज दरों के माहौल में म्यूचुअल फंड में निवेश करने की सही रणनीति क्या है? कहां पैसे लगाने पर मिलेगा बेहतर रिटर्न?

author-image
Viplav Rahi
New Update
investing in low interest rate environment, mutual fund investment strategy, best mutual funds in low interest period, equity funds, debt funds, SIP investing, कम ब्याज दर में निवेश, म्यूचुअल फंड में निवेश, एसआईपी इन्वेस्टमेंट, इक्विटी फंड रिटर्न, डेट फंड्स में निवेश

Investment Planning : घटती ब्याज दरों के दौर में कैसे करें निवेश की प्लानिंग, कहां मिल सकता है बेहतर रिटर्न (AI Generated Image)

Mutual Funds Investment Strategy : Investing in Low Interest Rate Environment : ब्याज दरें कम हों, तो निवेश के फिक्स्ड डिपॉजिट जैसे पारंपरिक तरीके अपना आकर्षण खोने लगते हैं. ऐसे माहौल में बेहतर रिटर्न हासिल करने के लिए निवेशक जिन दूसरे विकल्पों की तरफ देखते हैं, उनमें म्यूचुअल फंड भी शामिल हैं. म्यूचुअल फंड्स के बाजार से जुड़े होने की वजह से बेहतर रिटर्न मिलने की संभावना रहती है. लेकिन म्यूचुअल फंड्स का दायरा काफी बड़ा है, जिसमें अलग-अलग कैटेगरी और निवेश रणनीति वाली स्कीम मौजूद हैं. ऐसे में यह जानना जरूरी है कि कम ब्याज दरों के मौजूदा दौर में किन म्यूचुअल फंड कैटेगरीज में निवेश करने पर बेहतर रिटर्न मिल सकता है.

ब्याज दरें कम होने का असर

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया जब ब्याज दरों में कटौती करता है, तो बैंकों की एफडी और सेविंग डिपॉजिट पर मिलने वाला रिटर्न भी घट जाता है. इससे उन निवेशकों की आमदनी पर असर पड़ता है, जो गारंटीड रिटर्न वाले एफडी जैसे इनवेस्टमेंट ऑप्शन्स में पैसे लगाते हैं. लेकिन अच्छी बात यह है कि कम ब्याज दरें अर्थव्यवस्था के लिए पॉजिटिव सिग्नल होती हैं. इससे कंपनियों के लिए उधार लेना सस्ता हो जाता है, निवेश और खपत बढ़ती है और शेयर बाजार बेहतर प्रदर्शन करता है. यही वजह है कि ऐसे समय में म्यूचुअल फंड में निवेश का माहौल बेहतर होने की पूरी संभावना रहती है.

Advertisment

Also read : Investment Strategy : दिवाली के बाद नए संवत में कर रहे हैं इनवेस्टमेंट की शुरुआत? कैसे बनाएं निवेश की रणनीति

अपना इनवेस्टमेंट होराइजन तय करें

म्यूचुअल फंड में निवेश शुरू करने से पहले अपना इनवेस्टमेंट होराइजन यानी निवेश की अवधि को अच्छी तरह समझ कर तय कर लें. अगर आप 3 साल से कम समय के लिए निवेश करना चाहते हैं, तो शॉर्ट टर्म या लो ड्यूरेशन डेट फंड सही रहेंगे. ये फंड ट्रेजरी बिल, कॉरपोरेट बॉन्ड और कम अवधि के डेब्ट इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश करते हैं जो ब्याज दरों के उतार-चढ़ाव से कम प्रभावित होते हैं. वहीं अगर 3 से 5 साल के मीडियम टर्म गोल के लिए निवेश करना है, तो कॉरपोरेट बॉन्ड या बैंकिंग एंड पीएसयू डेट फंड अच्छे विकल्प हो सकते हैं. लंबी अवधि के लक्ष्यों, जैसे रिटायरमेंट या वेल्थ क्रिएशन के लिए इक्विटी या फ्लेक्सी कैप फंड बेहतर रहते हैं.

Also read : NFO Alert : जिरोधा म्यूचुअल फंड के BSE SENSEX इंडेक्स फंड में सब्सक्रिप्शन शुरू, किनके लिए सही है ये एनएफओ

ब्याज दर के हिसाब से सही फंड कैटेगरी चुनें

कम ब्याज दरों के माहौल में इक्विटी म्यूचुअल फंड्स को फायदा होता है क्योंकि कंपनियों के उधार लेने की लागत घट जाती है और उनका मुनाफा बढ़ता है. ऐसे में डाइवर्सिफाइड लार्ज कैप या फ्लेक्सी कैप फंड्स में निवेश करना समझदारी भरा कदम होता है. ऐसे फंड्स लंबे समय में 12 से 15 प्रतिशत तक का ऐतिहासिक रिटर्न दे चुके हैं. हालांकि इनमें डेट फंड की तुलना में रिस्क अधिक होता है. इन फंड्स में तभी निवेश करना चाहिए जब कम से कम 5 साल तक होल्ड करने की तैयारी हो. 

दूसरी ओर, डेट म्यूचुअल फंड्स भी कम ब्याज दर के दौर में अच्छा प्रदर्शन करते हैं क्योंकि पहले से जारी ऊंचे कूपन वाले बॉन्ड की वैल्यू बढ़ जाती है. मीडियम टर्म में कॉरपोरेट बॉन्ड या बैंकिंग एंड PSU डेट फंड्स 8.5 से 10.5% तक रिटर्न देते रहे हैं. जबकि शॉर्ट टर्म के लिए लो ड्यूरेशन या शॉर्ट ड्यूरेशन डेट फंड्स 7.5 से 8.5% तक रिटर्न दे चुके हैं.  

वहीं, अगर आप नए निवेशक हैं या रिस्क सेफ रहना चाहते हैं, तो हाइब्रिड फंड्स का विकल्प चुन सकते हैं. ये इक्विटी और डेट दोनों में निवेश करते हैं जिससे पोर्टफोलियो में बैलेंस बना रहता है.

Also read : NPS में निवेश से जुड़े पॉजिटिव और निगेटिव फैक्टर, क्या है इसमें निवेश का सही नजरिया?

बेस्ट रिटर्न के लिए कैसे करें इनवेस्ट

कम ब्याज दरों के माहौल में बेहतर रिटर्न के लिए आप अपने इनवेस्टमेंट होराइजन यानी निवेश की संभावित अवधि के हिसाब से किन फंड कैटेगरीज में पैसे लगा सकते हैं, इसे आप नीचे दिए टेबल को देखकर भी समझ सकते हैं:

इनवेस्टमेंट होराइजन

सही फंड कैटेगरी

पिछला औसत रिटर्न 

शॉर्ट टर्म (3 साल से कम)

लो ड्यूरेशन/शॉर्ट ड्यूरेशन डेट फंड्स

7.5–8.5% 

मीडियम टर्म (3–5 साल)

कॉरपोरेट बॉन्ड/बैंकिंग एंड PSU डेट फंड

8.5–10.5% 

लॉन्ग टर्म (5+ साल)

इक्विटी/फ्लेक्सी कैप फंड्स

12–15% 

SIP से करें स्मार्ट शुरुआत

कम ब्याज दरों के समय में एकमुश्त बड़ी रकम निवेश करने की बजाय एसआईपी (SIP) यानी सिस्टमेटिक इनवेस्टमेंट प्लान के जरिये शुरुआत करना बेहतर होता है. इसमें आपको हर महीने छोटी रकम निवेश करने पर एवरेजिंग का फायदा मिलता है और मार्केट के उतार-चढ़ाव का असर कम होता है. एसआईपी आपको लंबे समय तक निवेश में अनुशासन बनाए रखने में मदद करती है और कंपाउंडिंग के जरिए बेहतर रिटर्न देती है.

Also read : Investment Strategy : स्टॉक मार्केट में बड़े नुकसान से बचने का आसान तरीका, समझें क्या है 7% का नियम

डायवर्सिफिकेशन का रखें ध्यान

म्यूचुअल फंड्स में निवेश करते समय आम तौर पर पूरा पैसा इक्विटी में लगाने से बचना चाहिए. रिस्क को बैलेंस करने के लिए पोर्टफोलियो में इक्विटी फंड्स (Equity Funds), डेट फंड्स (Debt Funds) और हाइब्रिड फंड्स (Hybrid Mutual Funds) का सही मिक्स होना जरूरी है. युवा निवेशक इक्विटी में थोड़ा अधिक निवेश कर सकते हैं, जबकि सीनियर सिटिजन्स या कंजरवेटिव निवेशकों के लिए शॉर्ट ड्यूरेशन डेट फंड्स या हाइब्रिड फंड्स बेहतर हो सकते हैं.

कम ब्याज दरों का माहौल निवेशकों के लिए चुनौती और अवसर दोनों लेकर आता है. ऐसे समय में म्यूचुअल फंड्स में निवेश आपकी बचत पर बेहतर रिटर्न पाने का जरिया बन सकता है. सही फंड कैटेगरी का चुनाव, एसआईपी के जरिये नियमित निवेश और बैलेंस्ड पोर्टफोलियो रणनीति अपनाकर आप अपने पैसों को मार्केट से जुड़ी संभावनाओं के साथ जोड़ सकते हैं और लंबे समय में मजबूत आर्थिक आधार तैयार कर सकते हैं. लेकिन ऐसा करते समय अपने निवेश की अवधि और रिस्क लेने की क्षमता को जरूर ध्यान में रखना चाहिए.

Debt Funds hybrid mutual funds Equity Funds Interest Rate Investment Strategy Mutual Funds Investment Strategy