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Smart Investing Tips : कई निवेशकों को लगता है कि कम कीमत वाले शेयर हमेशा 'सस्ते' होते हैं. क्या ऐसा सोचना सही है? (Image : Pixabay)
Are Low Price Stocks Really Cheap: शेयर बाजार की अस्थिरता के माहौल में, कई निवेशकों को लगता है कि कम कीमत वाले शेयर हमेशा 'सस्ते' होते हैं. लेकिन सच्चाई इससे बिलकुल अलग है. सिर्फ किसी शेयर का मूल्य गिरना यह संकेत नहीं देता कि वह बेहतर निवेश है. इसी तरह, कीमत बढ़ने का यह मतलब नहीं होता कि वह शेयर महंगा हो गया है. जब शेयर बाजार अस्थिर होता है, तो हर दिन कीमतों में बदलाव देखने को मिलता है. इस स्थिति में निवेशक अकसर यह भूल जाते हैं कि कीमतें केवल तभी मायने रखती हैं जब उन्हें किसी कंपनी के फंडामेंटल्स और संभावनाओं के साथ जोड़कर हर पहलू को ध्यान में रखते हुए देखा जाए.
शेयर की कीमत नहीं वैल्यूएशन देखें
कई निवेशक यह सोचते हैं कि अगर किसी शेयर की कीमत कम है, तो वह खरीदने के लिए सस्ता है. लेकिन ऐसा सोचना हमेशा सही नहीं होता. मिसाल के तौर पर किसी शेयर की कीमत 15 रुपये हो सकती है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वह शेयर सस्ता है. दूसरी ओर, 500 रुपये के शेयर को महंगा मानना भी एक गलती हो सकती है. शेयर की कीमत को उसके वैल्यूएशन के आधार पर देखना चाहिए. किसी शेयर का मौजूदा वैल्यूएशन सही है या नहीं, ये समझने के लिए कंपनी के फंडामेंटल्स, उसकी रेवेन्यू और भविष्य की संभावनाओं जैसी कई बातों को ध्यान में रखना जरूरी है.
'सस्ते' शेयरों का आकर्षण
कम कीमत वाले शेयरों की लोकप्रियता इतनी अधिक है कि इसके लिए खास रिसर्च टूल्स और वेबसाइट्स मौजूद हैं. इन्हें 'पेनी स्टॉक्स' भी कहा जाता है. लेकिन सिर्फ कीमत के आधार पर शेयर चुनना एक बड़ी गलती हो सकती है. यहां यह समझना जरूरी है कि असल में सस्ता और अच्छा शेयर वह होता है जो कंपनी की आर्थिक स्थिति, विकास की संभावनाओं और उद्योग के प्रदर्शन को ध्यान में रखते हुए वाजिब कीमत पर मिल रहा हो.
कैसे करें सही फैसला
शेयर की कीमतों को समझने के लिए सही पैरामीटर्स का इस्तेमाल करना जरूरी है. इसके लिए ये रेशियो काफी कारगर हो सकते हैं:
प्राइस-टू-अर्निंग्स (P/E) रेशियो: यह कंपनी के मुनाफे के मुकाबले शेयर की कीमत दिखाता है.
प्राइस-टू-बुक वैल्यू (P/B) रेशियो: यह कंपनी की नेट एसेट वैल्यू के मुकाबले कीमत को दर्शाता है.
ये रेशियो निवेशकों को शेयर की कीमतों का सही संदर्भ में मूल्यांकन करने में मदद करते हैं.
उथल-पुथल वाले बाजार में क्या सावधानी बरतें
अस्थिर या उथल-पुथल वाले बाजार में कीमतों के उतार-चढ़ाव से निवेशक भ्रम का शिकार हो सकते हैं. हर दिन कीमतों में 5% की गिरावट या बढ़ोतरी से यह संकेत नहीं मिलता कि कोई शेयर सस्ता या महंगा हो गया है.
ऐसे में निवेशकों को निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए:
लॉन्ग टर्म नजरिया अपनाएं: बाजार के शॉर्ट टर्म उतार-चढ़ाव को नजरअंदाज करें और लंबी अवधि के टारगेट्स पर फोकस करें.
फंडामेंटल एनालिसिस पर गौर करें: कंपनी के फंडामेंटल्स जैसे रेवेन्यू, एक्सपेंडीचर और मैनेजमेंट स्ट्रैटजी को समझें.
रेशियो का इस्तेमाल करें: निवेश से जुड़े फैसले करते समय स्टॉक्स के आकलन के लिए सही पैरामीटर्स का इस्तेमाल करें.
कीमतों को सही संदर्भ में समझना जरूरी
निवेश के दौरान कीमत को हमेशा संदर्भ में देखना जरूरी है. कीमतें तभी मायने रखती हैं जब वे कंपनी की आर्थिक स्थिति और बाजार की स्थितियों से मेल खाती हों. बाजार में अस्थिरता के समय यह समझना जरूरी है कि हर कीमत का एक संदर्भ होता है. केवल कीमत को देखकर निवेश करना गलत दिशा में ले जा सकता है.
शेयर बाजार में निवेश करते समय केवल कीमत के आधार पर निर्णय लेना सही नहीं है. कम कीमत वाला शेयर हमेशा सस्ता नहीं होता और ज्यादा कीमत वाले शेयर को हमेशा महंगा ही मान लेना भी गलत है. निवेशकों को कंपनी के फंडामेंटल्स, वैल्यूशन से जुड़े रेशियो और बाजार की स्थितियों का ध्यान रखते हुए फैसला करना चाहिए. स्मार्ट निवेश के लिए जरूरी है कि कीमतों की बजाय वैल्यूएशन को प्राथमिकता दी जाए. इससे न केवल बेहतर रिटर्न मिलेगा बल्कि निवेश से जुड़े रिस्क भी कम होंगे.