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ITR : ये टैक्स रिटर्न फॉर्म छोटे और मध्यम टैक्सपेयर्स के लिए बनाया गया है. ये उन लोगों के लिए है, जिनका सालाना इनकम 50 लाख रुपये तक है. Photograph: (AI Generated)
ITR-4 Form (Sugam) Guidelines : अगर आप छोटे कारोबारी हैं, फ्रीलांसर हैं या कोई प्रोफेशनल सर्विस देते हैं, तो ITR-4 (सुगम) आपके लिए टैक्स फाइलिंग (ITR Filing) को आसान बना सकता है. आईटीआर 4 फॉर्म को सुगम फॉर्म के नाम से भी जाना जाता है. ये फॉर्म खास तौर पर उन लोगों के लिए है, जिनका इनकम ज्यादा जटिल नहीं है. समझते हैं कि ITR-4 क्या है, कौन इसे भर सकता है, और असेसमेंट ईयर (AY) 2025-26 में इसमें क्या नए बदलाव आए हैं.
ITR-4 फॉर्म को ऑनलाइन भरने (Income Tax Return) और सबमिट करने से पहले इसमें 6 हिस्से भरने होते हैं. इसके बाद एक प्रीव्यू पेज होता है, जहां आप अपनी भरी हुई जानकारी को जांच सकते हैं. ये हिस्से इस प्रकार हैं:
व्यक्तिगत जानकारी (Personal Information)
सकल कुल आय (Gross Total Income)
डिस्क्लोजर और एग्जेम्प्ट इनकम (Disclosures and Exempt Income)
टोटल डिडक्शन (Total Deductions)
पेड टैक्स (Taxes Paid)
कुल टैक्स देनदारी (Total Tax Liability)
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किसके लिए है ITR-4 (सुगम) फॉर्म?
ये टैक्स रिटर्न फॉर्म (ITR-4 Sugam) छोटे और मध्यम टैक्सपेयर्स के लिए बनाया गया है. ये उन लोगों के लिए है, जिनका सालाना इनकम 50 लाख रुपये तक है और वो अपने बिजनेस या प्रोफेशन से होने वाली कमाई को प्रीजेम्प्टिव टैक्सेशन स्कीम के तहत दिखाते हैं, जिसका मतलब है कि आपको अपने बिजनेस का हिसाब-किताब रखने की जरूरत नहीं. बस सरकार ने कुछ नियम बनाए हैं, जिनके आधार पर आपकी इनकम मान ली जाती है, और उसी पर टैक्स लगता है. ये स्कीम छोटे बिजनेस वालों, जैसे दुकानदारों, ट्रांसपोर्टरों, या प्रोफेशनल्स, जैसे डॉक्टर, वकील, या आर्किटेक्ट के लिए बहुत सुविधाजनक है.
ITR-4 (सुगम) उन रेजिडेंट इनडिविजुअल्स, हिंदू अविभापित (एचयूएफ) और साझेदार फर्मों (एलएलपी को छोड़कर), के लिए है, जो इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 44एडी, 44एडीए और 44 एई के तहत टैक्स भरते हैं.
यह उन लोगों के लिए हैं, जिनकी आय 50 लाख रुपये से ज्यादा न हो, जिनमें व्यवसाय या पेशे से आय शामिल हो, जैसे छोटे व्यापारी, डॉक्टर, वकील या ट्रांसपोर्टर.
ITR-4 उन लोगों के लिए भी है, जिनकी इनकम में सैलरी, एक घर की प्रॉपर्टी से किराया, ब्याज (जैसे बैंक FD से) या फैमिली पेंशन शामिल है. लेकिन याद रखें, आपकी कुल इनकम 50 लाख रुपये से ज्यादा नहीं होनी चाहिए.
ITR-4 : कौन नहीं भर सकता है फॉर्म
- जिनकी कुल आय 50 लाख रुपये सालाना से अधिक है.
- अगर आप कंपनी के डायरेक्टर हैं.
- अगर आप अनलिस्टेड शेयर रखते हैं.
- विदेश में प्रॉपर्टी या इनकम है.
- 5000 रुपये से ज्यादा की खेती की कमाई है.
- प्रोफेशनल्स, जिनकी ग्रॉस रिसीट्स सेक्शन सेक्शन 44एडीए की लिमिट से ज्यादा है.
- NRIs (अनिवासी भारतीय)
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AY 2025-26 में ITR-4 में क्या है नया?
अगर आपकी लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG) 1.25 लाख रुपये तक हैं, तो भी आप ITR-4 भर सकते हैं. यानी छोटे रिटेल निवेशकों को आसानी होगी. पहले, अगर आपके पास कुछ भी कैपिटल गेन्स था, तो आपको ITR-2 जैसे जटिल फॉर्म का सहारा लेना पड़ता था.
अब, आपने लिस्टेड शेयर या इक्विटी म्यूचुअल फंड बेचकर 1.25 लाख तक का लाभ कमाया है, तो आप उसे ITR-4 में ही दिखा सकते हैं. यह लाभ सेक्शन 112A के तहत आता है, और इसे अब ITR-4 में एक अलग सेक्शन में रिपोर्ट किया जा सकता है.
ITR-4 में अब उन लोगों के लिए भी जगह बनाई गई है, जो न्यू टैक्स रिजीम से बाहर निकलना चाहते हैं. अगर आपने पिछले साल न्यू टैक्स रिजीम चुनी थी, लेकिन अब ओल्ड टैक्स रिजीम में जाना चाहते हैं, तो आपको फॉर्म 10-IEA भरना होगा.
ITR-4 में अब इसके लिए एक अलग सेक्शन है, जहां आपको फॉर्म 10-IEA का डिटेल देना होगा. ये उन लोगों के लिए जरूरी है, जो डिडक्शन (जैसे 80C, 80D) का फायदा लेना चाहते हैं.
ITR-4 में अब कुछ नए डिडक्शन के लिए भी जगह दी गई है, जैसे सेक्शन 80CCH. फॉर्म में नए डिडक्शन और टैक्स रिजीम से जुड़े अपडेट्स की वजह से टैक्सपेयर्स को राहत मिलेगी.