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आयकर विभाग ने टैक्स रिटर्न फाइल करने की डेडलाइन आगे बढ़ाने को लेकर अभी तक कोई घोषणा नहीं की है. (Image: Pixabay)
ITR Alert : इनकम टैक्स रिटर्न बिना पेनल्टी फाइल करने का आखिरी दिन निकल चुका है. आयकर विभाग की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक वित्त वर्ष 2023-24 यानी असेसमेंट ईयर 2024-25 के लिए अबतक 7 करोड़ से अधिक टैक्स रिटर्न फाइल किए जा चुके हैं. ज्यादातर करदाताओं के लिए आईटीआर फाइल करने की डेडलाइन 31 जुलाई थी. अगर आपने डेडलाइन तक अपना रिटर्न फाइल नहीं किया है, तो अब कई तरह के बेनेफिट खाने के लिए तैयार रहें. आज से आईटीआर फाइलिंग के लिए आपको एक्स्ट्रा चार्ज और पेनाल्टी देने होंगे. वहीं 80सी समेत कई बेनेफिट नहीं मिलेंगे.
डेडलाइन खत्म होने के बाद देरी से आईटीआर फाइल करने पर एक्स्ट्रा चार्ज देना पड़ते हैं, इस बारे में ज्यादातर लोगों को पता रहता है. लेकिन 31 जुलाई के बाद टैक्स रिटर्न फाइल (belated ITR filing) करने में देरी के लिए करदाताओं को भारी नुकसान भी उठाना पड़ सकता है इस बारे में बहुत कम लोगों को खबर है. आखिरी वक्त में इस बारे में जानकर आप खुद को बड़े नुकसान से बचा सकते हैं. आइए जानते हैं.
आज ITR भरने से चूके तो खत्म हो जाएंगे डिडक्शन और एग्जम्पशन बेनेफिट
नई टैक्स रिजीम (New Tax Regime) को वित्त वर्ष 2023-24 से डिफॉल्ट टैक्स रिजीम बना दिया गया है. फिर भी टैक्सपेयर्स के पास ओल्ड टैक्स रिजीम (Old Tax Regime) को सेलेक्ट करने का विकल्प मौजूद है. लेकिन अगर आप आज आईटीआर फाइल नहीं कर पाते हैं, तो आपको ओल्ड टैक्स रिजीम के तहत मिलने वाली टैक्स बेनिफिट से वंचित हो जाएंगे.
आपको मजबूरन न्यू टैक्स रिजीम के हिसाब से ही टैक्स भरना पड़ेगा. यह आईटीआर फाइल करने की डेडलाइन मिस करने का एक बड़ा नुकसान है. ऐसा इसलिए क्योंकि न्यू टैक्स रिजीम में टैक्स बचाने वाले ज्यादातर डिडक्शन और एग्जम्पशन (deductions and exemptions) का फायदा नहीं मिलता. जबकि ओल्ड टैक्स रिजीम में टैक्स सेविंग इनवेस्टमेंट समेत ऐसे कई लाभ मिलते हैं, जिनसे टैक्स लायबिलिटी कम हो जाती है. इसलिए अगर आपने ओल्ड टैक्स रिजीम के हिसाब से अपनी फाइनेंशियल प्लानिंग की थी और अब आईटीआर भरने की डेडलाइन मिस कर जाते हैं, तो आपको देर से रिटर्न फाइल करते समय ज्यादा टैक्स भरना पड़ सकता है.
कल से ITR भरने पर लगेगा जुर्माना
कल से टैक्स रिटर्न फाइल करने पर ज्यादातर करदाताओं को पेनल्टी देना पड़ेगा. इनकम टैक्स एक्ट 1961 के सेक्शन 234F के तहत डेडलाइन खत्म होने के बाद इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने पर 5000 रुपये तक की पेनाल्टी देनी पड़ सकती है. हालांकि जिन टैक्सपेयर्स की टैक्सेबल इनकम 5 लाख रुपये तक है, उनके लिए लेट फाइलिंग की पेनल्टी अधिकतम 1000 रुपये ही तय की गई है. लेकिन यह बात भी ध्यान में रखनी चाहिए कि जिन लोगों के लिए टैक्स लायबिलिटी जीरो होने के बावजूद रिटर्न भरना जरूरी है, उन्हें भी रिटर्न देर से भरने पर पेनाल्टी देनी पड़ सकती है.
बकाया टैक्स देनदारी पर लगता है ब्याज
देर से इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने पर पेनाल्टी के अलावा बकाया टैक्स देनदारी पर जुर्माने के रूप में लगाया गया दंडात्मक ब्याज (penal interest) भी भरना पड़ता है. रिटर्न भरते समय अगर कोई टैक्स बकाया है, तो उस पर इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 234A के तहत 1 फीसदी प्रति माह की दर से ब्याज देना पड़ता है. अगर कोई एडवांस टैक्स बाकी है, तो उस पर भी सेक्शन 234B और 234C के तहत 1 फीसदी प्रति माह की दर से ब्याज दर लगता है. यह दंडात्मक ब्याज 1 अप्रैल से लेकर आईटीआर फाइल करने की तारीख तक के लिए देना पड़ता है.
इनकम टैक्स रिफंड भी देर से मिलेगा
जिन टैक्सपेयर्स को पता है कि उन्हें इस साल इनकम टैक्स रिफंड मिल सकता है, उनके लिए तो जल्द से जल्द रिटर्न फाइल करना ही बेहतर है. क्योंकि वो जितनी जल्दी रिटर्न फाइल करेंगे, उतनी ही जल्दी उन्हें अपने रिफंड के पैसे मिलेंगे. वहीं, देर से रिटर्न फाइल करने का मतलब है रिफंड के लिए लंबा इंतजार, क्योंकि आईटीआर फाइल करने के बाद ही उसे प्रोसेस हो पाएगा. और तभी उस पर रिफंड मिलेगा.
अगर रिफंड पर कोई ब्याज मिलना होगा, तो वो भी देर से रिटर्न फाइल करने पर कम मिलेगा. ऐसा इसलिए क्योंकि इनकम टैक्स रिफंड पर ब्याज का कैलकुलेशन ITR के वेरिफिकेशन की तारीख से लेकर आयकर विभाग द्वारा ITR प्रोसेस करने की तारीख तक किया जाएगा. वहीं, अगर ITR समय पर दाखिल किया जाता है, तो रिफंड पर ब्याज का कैलकुलेशन 1 अप्रैल से लेकर ITR प्रोसेस होने की तारीख तक किया जाता है.
घाटे को कैरी-फॉरवर्ड नहीं कर सकते
इनकम टैक्स से जुड़े नियमों के तहत टैक्सपेयर किसी एक साल में होने वाले पूंजीगत घाटे (Capital Loss) को 8 वित्त वर्ष तक कैरी-फॉरवर्ड कर सकते हैं. इससे भविष्य में होने वाले पूंजीगत लाभ (Capital Gains) पर लागू टैक्स देनदारी कम करने में काफी मदद मिलती है. लेकिन देर से ITR दाखिल करने वाले टैक्सपेयर, कैपिटल लॉस यानी घाटे को कैरी-फॉरवर्ड करने का फायदा नहीं ले सकते. यानी अगर उन्हें कोई घाटा हुआ है, तो वे उसे भविष्य में होने वाले मुनाफे से एडजस्ट करके अपनी टैक्स देनदारी को घटा नहीं पाएंगे. हालांकि हाउस प्रॉपर्टी से होने वाले नुकसान को इसमें अपवाद माना गया है.