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ITR Filing After Deadline : डेडलाइन बीतने के बाद कैसे फाइल करें इनकम टैक्स रिटर्न? क्या कहते हैं नियम

ITR Filing After Deadline : कई टैक्सपेयर्स को अब भी रिटर्न फाइल करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. अगर वे डेडलाइन के भीतर रिटर्न फाइल नहीं कर पाए, तो क्या होगा?

ITR Filing After Deadline : कई टैक्सपेयर्स को अब भी रिटर्न फाइल करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. अगर वे डेडलाइन के भीतर रिटर्न फाइल नहीं कर पाए, तो क्या होगा?

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Viplav Rahi
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ITR filing after deadline : अगर आप डेडलाइन के भीतर रिटर्न फाइल नहीं कर पाए तो अगला कदम क्या होना चाहिए? (AI Generated Image)

Income Tax Return Filing After Deadline : इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करने की डेडलाइन कई लोगों के लिए तनाव भरा समय होता है. इस साल आयकर विभाग ने डेडलाइन को 15 सितंबर से बढ़ाकर 16 सितंबर 2025 तक कर दिया है. लेकिन कई टैक्सपेयर हैं, जिन्हें अब भी रिटर्न फाइल करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. अगर ऐसे टैक्सपेयर किसी वजह से डेडलाइन के भीतर रिटर्न फाइल नहीं कर पाए, तो क्या होगा? उनके सामने सबसे पहला सवाल यही होगा कि क्या वे डेडलाइन निकल जाने के बाद भी रिटर्न फाइल कर सकते हैं? इस सवाल का जवाब है हां. नियम आपको एक और मौका देते हैं, लेकिन कुछ शर्तों के साथ.

डेडलाइन चूक जाने पर क्या होता है

अगर कोई टैक्सपेयर तय समय यानी 16 सितंबर 2025 तक ITR फाइल नहीं कर पाता, तो इसका मतलब यह नहीं कि अब उसके पास कोई विकल्प नहीं बचा. इनकम टैक्स कानून के तहत ऐसे मामलों में ‘बिलेटेड रिटर्न’ (Belated Income Tax Return) फाइल किया जा सकता है. यह एक ऐसा रिटर्न होता है जिसे डेडलाइन खत्म होने के बाद दाखिल किया जाता है. हालांकि इसके साथ लेट पेनल्टी का भुगतान करना पड़ता है.

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बिलेटेड रिटर्न क्या है

आसान भाषा में कहें तो बिलेटेड रिटर्न (Belated ITR) वही इनकम टैक्स रिटर्न है जिसे कोई टैक्सपेयर तय समय सीमा के बाद फाइल करता है. आयकर विभाग की वेबसाइट के मुताबिक अगर कोई व्यक्ति डेडलाइन तक रिटर्न दाखिल नहीं करता है, तो वह असेसमेंट ईयर के खत्म होने से तीन महीने पहले तक बिलेटेड रिटर्न फाइल कर सकता है.

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बिलेटेड रिटर्न की आखिरी तारीख

ऊपर बताए गए नियम के मुताबिक वित्त वर्ष 2024-25 (असेसमेंट ईयर 2025-26) के लिए बिलेटेड रिटर्न भरने की आखिरी तारीख असेसमेंट इयर खत्म होने से 3 महीने पहले तक यानी 31 दिसंबर 2025 है. यानी आपके पास मूल डेडलाइन के बाद भी तीन महीने का समय होता है. लेकिन अगर यह समय भी निकल जाता है, तो फिर आपको अपडेटेड रिटर्न (ITR-U) भरना होगा, जिसमें और ज्यादा खर्च और लिमिटेशन्स लागू होते हैं.

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लेट फीस और पेनल्टी का नियम

बिलेटेड रिटर्न भरते समय सबसे बड़ा फर्क लेट फीस का होता है. आयकर कानून की धारा 234F के तहत डेडलाइन खत्म होने के बाद फाइल किए गए रिटर्न पर लेट फीस लगेगी. यह फीस 5,000 रुपये तक हो सकती है. हालांकि अगर आपकी सालाना आय 5 लाख रुपये से कम है, तो आपके लिए जुर्माना 1,000 रुपये ही होगा.

डेडलाइन चूकने के नतीजे

समय पर ITR फाइल न करने से सिर्फ लेट फीस ही नहीं, और भी कई असर देखने को मिलते हैं. सबसे पहले तो देरी से रिटर्न फाइल करने पर आपको टैक्स पर ब्याज भी देना पड़ सकता है. यह ब्याज धारा 234A, 234B और 234C के तहत लगता है, जिसमें एडवांस टैक्स की कमी या देरी से जुड़े प्रावधान शामिल हैं. इसके अलावा, अगर आपने समय पर ITR फाइल नहीं किया, तो आप अपने सभी लॉस कैरी फॉरवर्ड नहीं कर पाएंगे. केवल हाउस प्रॉपर्टी लॉस और अनयूज्ड डेप्रिसिएशन ही आगे ले जाने की छूट रहती है. साथ ही, समय पर फाइल न करने से रिफंड की प्रॉसेसिंग भी देरी से होती है, यानी आपका पैसा देर से वापस मिलेगा.

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टैक्स रिजीम बदलने का मौका नहीं

एक और महत्वपूर्ण नियम ये है कि अगर आप डेडलाइन के बाद बिलेटेड रिटर्न भरते हैं, तो आपको पुरानी और नई टैक्स रिजीम के बीच बदलाव करने की छूट नहीं मिलेगी. यह ऑप्शन केवल उसी समय मिलता है जब आप तय समय सीमा में ITR फाइल करते हैं. यानी अगर आपने समय गंवा दिया, तो जिस टैक्स रिजीम को आपने पहले चुना है, उसी पर टिके रहना होगा. यहां ध्यान रखें कि अब न्यू टैक्स रिजीम को डिफॉल्ट बनाया जा चुका है. यानी अगर आपने पहले से पुरानी टैक्स रिजीम को नहीं चुना है, तो आपको न्यू रिजीम के तहत ही माना जाएगा..

कुल मिलाकर, अगर आप ITR फाइल करने की डेडलाइन चूक गए हैं, तो घबराने की जरूरत नहीं है. आपके पास अब भी 31 दिसंबर 2025 तक का समय है बिलेटेड रिटर्न भरने का. हां, इसके साथ आपको लेट फीस और देरी के लिए ब्याज भी देना पड़ सकता है. 

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