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ITR Filing: इनकम टैक्स रिफंड की रकम केवल उसी बैंक अकाउंट में आती है, जो इनकम टैक्स पोर्टल पर प्रि-वैलिडेटेड हो. (AI Generated Image)
ITR Filing AY 2025-26: ऑनलाइन इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की प्रक्रिया (ITR Filing) तभी पूरी मानी जाती है, जब आप अपने रिटर्न को वेरिफाई कर देते हैं. अगर आपने टैक्स ज्यादा भरा है और रिफंड बनता है, तो यह रकम केवल उसी बैंक अकाउंट में आती है, जो इनकम टैक्स पोर्टल पर प्रि-वैलिडेटेड (pre-validated) हो. इसीलिए बैंक अकाउंट को जोड़ना और उसे वेरिफाई करना बहुत जरूरी है. इसका मतलब ये है कि अगर आपने अपना इनकम टैक्स रिटर्न सही समय पर भर दिया, लेकिन अपना बैंक अकाउंट जोड़ने और वैलिडेट करने का काम पूरा नहीं किया, तो रिफंड (Income Tax Refund) आपके खाते में नहीं आ पाएगा.
टैक्सपेयर्स के लिए न सिर्फ इनकम टैक्स पोर्टल पर जाकर अपना नया बैंक अकाउंट जोड़ना जरूरी है, बल्कि जो अकाउंट बंद हो चुके हैं या डिएक्टिवेट हो चुके हैं, उन्हें पोर्टल से हटाना भी उतना ही जरूरी है. ये काम आप ई-फाइलिंग पोर्टल पर जाकर बड़ी आसानी से कर सकते हैं.
e-Filing पोर्टल पर कौन-कौन सी सर्विसेज मौजूद हैं
अगर आपके पास वैलिड पैन (PAN) और बैंक अकाउंट नंबर है, तो लॉगिन करने के बाद e-Filing पोर्टल पर आप ये सर्विसेज हासिल कर सकते हैं:
नया बैंक अकाउंट जोड़ना और प्रि-वैलिडेट करना
बंद या डिएक्टिवेट बैंक अकाउंट हटाना
किसी बैंक अकाउंट को इनकम टैक्स रिफंड पाने के लिए नॉमिनेट करना
किसी अकाउंट से नॉमिनेशन हटाना ताकि उसमें रिफंड न जाए
वैलिडेटेड बैंक अकाउंट के लिए EVC (Electronic Verification Code) को ऑन या ऑफ करना (सिर्फ इंडिविजुअल टैक्सपेयर्स के लिए)
अगर कभी प्रि-वैलिडेशन फेल हो जाए तो दोबारा री-वैलिडेट करने का ऑप्शन भी मौजूद है.
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ITR रिफंड के लिए बैंक अकाउंट को कैसे जोड़ें और वेरिफाई करें?
ITR फाइलिंग और रिफंड के लिए बैंक अकाउंट जोड़ने और ऑथेंटिकेट करने के लिए इन स्टेप्स को फॉलो करें:
स्टेप 1: e-Filing पोर्टल पर अपने यूजर आईडी और पासवर्ड से लॉगिन करें.
स्टेप 2: डैशबोर्ड से My Profile पेज पर जाएं.
स्टेप 3: My Bank Account पर क्लिक करें.
स्टेप 4: My Bank Accounts पेज पर Add Bank Account पर क्लिक करें.
स्टेप 5: अब Add Bank Account पेज पर बैंक अकाउंट नंबर डालें, अकाउंट टाइप और होल्डर टाइप चुनें और बैंक का IFSC कोड भरें. IFSC कोड डालने पर बैंक और ब्रांच का नाम ऑटो-फिल हो जाएगा. अगर आपका बैंक e-Filing पोर्टल से इंटीग्रेटेड है, तो आपके मोबाइल नंबर और ईमेल आईडी खुद-ब-खुद भर जाएंगे और उन्हें एडिट नहीं किया जा सकेगा.
स्टेप 6: Validate पर क्लिक करें.
अगर वैलिडेशन सफल होता है, तो स्क्रीन पर इसकी जानकारी देने वाला मैसेज आएगा और साथ ही आपके पोर्टल पर रजिस्टर्ड मोबाइल और ईमेल पर भी कन्फर्मेशन मैसेज मिलेगा.
बैंक अकाउंट प्रि-वैलिडेट करना क्यों जरूरी है?
इनकम टैक्स रिफंड पाने के लिए केवल वही बैंक अकाउंट इस्तेमाल हो सकता है, जो पहले से प्रि-वैलिडेटेड हो. इसके अलावा, प्रि-वैलिडेटेड अकाउंट का इस्तेमाल ईवीसी (EVC) जेनरेट करने के लिए भी किया जा सकता है. ईवीसी के जरिये आप ITR और दूसरे फॉर्म्स वेरिफाई कर सकते हैं, e-Proceedings कर सकते हैं, रिफंड री-इश्यू करा सकते हैं, पासवर्ड रीसेट कर सकते हैं और अपने अकाउंट में सिक्योर लॉगिन कर सकते हैं.
क्या एक से ज्यादा बैंक अकाउंट वैलिडेट किए जा सकते हैं?
जी हां. टैक्सपेयर्स कई बैंक अकाउंट्स को प्रि-वैलिडेट कर सकते हैं और जरूरत पड़ने पर एक से ज्यादा अकाउंट को रिफंड पाने के लिए नॉमिनेट भी कर सकते हैं.
अगर बैंक में रजिस्टर्ड मोबाइल या ईमेल बदल जाए तो क्या होगा?
अगर आपके बैंक अकाउंट में दर्ज मोबाइल नंबर या ईमेल आईडी और e-Filing पोर्टल पर मौजूद डिटेल्स में फर्क है, तो Added Bank Accounts सेक्शन में आपके कॉन्टैक्ट डिटेल्स के आगे एक वार्निंग सिम्बल (!) दिखेगा. ऐसी स्थिति में अगर आप उस अकाउंट को EVC-इनेबल करना चाहते हैं, तो आपको या तो e-Filing पोर्टल पर अपने मोबाइल/ईमेल अपडेट करने होंगे ताकि वे बैंक डिटेल्स से मैच करें, या फिर बैंक में जाकर कॉन्टैक्ट डिटेल्स अपडेट करने होंगे. उसके बाद आपको बैंक अकाउंट को दोबारा री-वैलिडेट करना होगा.