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ITR Filing : आयकर विभाग ने हाल ही में ITR फॉर्म 1 से लेकर 5 तक जारी कर दिए हैं. (Image : Freepik)
ITR forms for Income Tax Return Filing : आयकर विभाग ने हाल ही में ITR फॉर्म 1 से लेकर 5 तक जारी कर दिए हैं. टैक्सपेयर्स अब वित्त वर्ष 2024-25 (Assessment Year or AY 2025-25) के लिए इन फॉर्म्स का इस्तेमाल करके अपने आयकर रिटर्न फाइल कर सकते हैं. केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) द्वारा इन फॉर्म्स में इस बार कई बदलाव किए गए हैं, जिससे कुछ मामलों में एलिजिबिलिटी और रिक्वायरमेंट्स यानी इनसे जुड़ी जरूरी शर्तों में बड़ा अंतर आ गया है. अलग-अलग टैक्सपेयर्स की इनकम, उसके स्रोत और रेजिडेंशियल स्टेटस के आधार पर अलग-अलग ITR फॉर्म्स तय किए जाते हैं. इसलिए इनकम टैक्स रिटर्न भरने से पहले यह जानना जरूरी है कि किस टैक्सपेयर को किस फॉर्म का इस्तेमाल करना चाहिए.
ITR-1 कौन भर सकता है?
ITR-1 एक सरल फॉर्म है, जिसे वे लोग भर सकते हैं जिनकी सालाना आय 50 लाख रुपये तक है. इस बार के बदलाव के तहत, जिन लोगों को वित्त वर्ष में 1.25 लाख रुपये तक लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन हुआ है, वे भी ITR-2 की जगह ITR-1 फॉर्म भर सकते हैं. इसमें वेतन, एक मकान की संपत्ति से इनकम और अन्य स्रोतों (जैसे ब्याज) से आय वाले टैक्सपेयर्स शामिल हैं.
ITR-2 किनके लिए सही है?
ITR-2 फॉर्म उन व्यक्तियों या हिंदू अविभाजित परिवारों (Hindu Undivided Families - HUFs) के लिए है जिनकी इनकम में व्यवसाय या प्रोफेशन से कमाई शामिल नहीं है. साथ ही जिनकी सालाना इनकम 50 लाख रुपये से अधिक है, उन्हें भी यह फॉर्म भरना होगा. कैपिटल गेन, एक से अधिक प्रॉपर्टी, विदेशों से आय या रेजिडेंट नहीं होने पर यह फॉर्म जरूरी होता है.
ITR-3 कौन भर सकता है?
ITR-3 उन व्यक्तियों या HUFs के लिए है जिनकी आय व्यवसाय या पेशे (प्रोफेशन) से होती है. इस बार 'Schedule AL' यानी एसेट्स और लायबिलिटीज की रिपोर्टिंग की लिमिट 50 लाख से बढ़ाकर 1 करोड़ रुपये कर दी गई है. इससे मिडल इनकम ग्रुप पर रिपोर्टिंग का बोझ घटेगा. इसके अलावा, जिन लोगों ने 23 जुलाई 2024 से पहले घर खरीदा है, वे लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर बिना इंडेक्सेशन 12.5% टैक्स का विकल्प चुन सकते हैं या इंडेक्सेशन का लाभ लेकर 20% टैक्स का भुगतान कर सकते हैं.
ITR-4 किन्हें भरना चाहिए?
ITR-4 उन व्यक्तियों, HUFs और फर्म्स (LLP को छोड़कर) के लिए है जिनकी इनकम 50 लाख रुपये से कम है और जो आय Presumptive Basis पर सेक्शन 44AD, 44ADA या 44AE के तहत रिपोर्ट करते हैं. यह फॉर्म उन छोटे व्यापारियों, प्रोफेशनल्स और ट्रांसपोर्ट व्यवसाय से जुड़े लोगों के लिए फायदेमंद है जो अनुमानित आय के आधार पर टैक्स भरते हैं.
ITR-5 किनके लिए है?
ITR-5 फॉर्म फर्म्स, LLPs, एसोसिएशन ऑफ पर्सन्स (AOPs) और बॉडी ऑफ इंडिविजुअल्स (BOIs) के लिए है. ITR-5 में अब इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 44BBC का विशेष जिक्र भी जोड़ा गया है. साथ ही, Schedule-TDS में TDS सेक्शन कोड बताना अब अनिवार्य कर दिया गया है.
इस बार के बदलाव में सबसे अहम बात यह है कि कैपिटल गेन (Capital Gain) को दो हिस्सों में बांटा गया है – 23 जुलाई 2024 से पहले और बाद की पूंजीगत आय को अलग-अलग रिपोर्ट करना होगा. इसके अलावा, अब शेयर बायबैक में हुए कैपिटल लॉस को रिपोर्ट करना संभव है, लेकिन शर्त यह है कि उससे संबंधित डिविडेंड इनकम को "अन्य स्रोतों से आय" के रूप में दिखाया गया हो और वह लेनदेन 1 अक्टूबर 2024 के बाद हुआ हो.
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आयकर विभाग द्वारा ITR फॉर्म्स में इस बार किए गए बदलाव टैक्सपेयर्स की सुविधाओं और पारदर्शिता के लिहाज से काफी अहम हैं. सही फॉर्म को सेलेक्ट करके आप न सिर्फ अपनी टैक्स फाइलिंग को आसान बना सकते हैं, बल्कि किसी गलती या नोटिस की संभावना से भी बच सकते हैं. इसलिए टैक्स फाइलिंग से पहले अपनी इनकम प्रोफाइल के हिसाब से यह समझ लेना जरूरी है कि आपके लिए कौन सा आईटीआर फॉर्म सही है.