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Jet Airways Liquidation: जेट एयरवेज को बंद करने के फैसले का क्या होगा असर, कंपनी के 1.43 लाख रिटेल इनवेस्टर्स के सामने क्या बचा है रास्ता?

Jet Airways Liquidation: सुप्रीम कोर्ट ने जेट एयरवेज के लिक्विडेशन का आदेश दिया है. इसके चलते कभी देश की प्रमुख एयरलाइन रही यह कंपनी पूरी तरह से बंद हो जाएगी.

Jet Airways Liquidation: सुप्रीम कोर्ट ने जेट एयरवेज के लिक्विडेशन का आदेश दिया है. इसके चलते कभी देश की प्रमुख एयरलाइन रही यह कंपनी पूरी तरह से बंद हो जाएगी.

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Viplav Rahi
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SC Order on Jet Airways Liquidation : सुप्रीम कोर्ट ने जेट एयरवेज के लिक्विडेशन का आदेश दे दिया है. (File Photo : PTI)

Jet Airways Liquidation : Impact of SC Order on Retail Investors: कभी भारत की बड़ी एयरलाइन कंपनी रही, जेट एयरवेज, अब पूरी तरह से बंद हो जाएगी. सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को दिए अहम फैसले में जेट एयरवेज के लिक्विडेशन यानी कारोबार बंद करने का आदेश दिया है. इसके साथ ही जेट एयरवेज का कारोबार किसी तरह पटरी पर लौटने की सारी उम्मीदें धराशायी हो गई हैं. जालान कालकॉक कंसोर्टियम (Jalan Kalrock Consortium -JKC) के फाइनेंशियल रिक्वायरमेंट पूरी करने में नाकाम रहने के बाद आए इस फैसले का बड़ा असर कंपनी के आम निवेशकों पर भी पड़ेगा. बल्कि अगर यह कहें कि इस फैसले का सबसे बड़ा असर कंपनी के करीब 1.43 लाख रिटेल इनवेस्टर्स पर पड़ेगा, तो गलत नहीं होगा. ये तमाम निवेशक अब कंपनी में अपने इनवेस्टमेंट को लेकर अनिश्चितता का सामना कर रहे हैं.

क्या है लिक्विडेशन का मतलब?

जब किसी कंपनी का लिक्विडेशन होता है, तो इसका मतलब है कि कंपनी का संचालन बंद कर दिया जाता है, उसकी सभी संपत्तियों को बेचा जाता है, और जो भी रकम प्राप्त होती है, उसे कंपनी के देनदारों को चुकाया जाता है. इसके बाद, अगर कुछ भी बचता है, तो वह अंतिम रूप से शेयरधारकों में डिस्ट्रीब्यूट किया जाता है. 

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रिटेल इनवेस्टर्स के लिए बड़ा झटका 

जेट एयरवेज में निवेश करने वाले 1.43 लाख रिटेल इनवेस्टर्स के लिए यह खबर निराशाजनक है. एक सामान्य प्रक्रिया में, लिक्विडेशन के दौरान सबसे पहले देनदारों (बैंक, कर्जदाताओं) का पैसा चुकाया जाता है और सबसे आखिर में इक्विटी शेयरधारकों को पैसे मिलते हैं. लिक्विडेशन के अधिकांश मामलों में, शेयरधारकों के लिए कुछ भी नहीं बचता, जिससे उन्हें अपने निवेश पर पूरा नुकसान उठाना पड़ता है.

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सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद आगे की प्रक्रिया

सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि जेट एयरवेज की लिक्विडेशन प्रक्रिया जल्द से जल्द शुरू की जाए. कोर्ट ने इसके साथ ही बैंक गारंटी के रूप में जमा की गई 150 करोड़ रुपये की रकम को भी भुनाने की अनुमति दी है, जो कि JKC द्वारा दी गई थी. इस रकम का उपयोग जेट एयरवेज के कर्जदाताओं की बकाया रकम को चुकाने में किया जाएगा. 

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JKC की फंडिंग में नाकामी और अन्य बैंकर्स की स्थिति

इससे पहले, नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) ने जालान कालकॉक कंसोर्टियम (Jalan Kalrock Consortium -JKC) के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी और उन्हें कंपनी के स्वामित्व में तब्दीली के लिए 90 दिन का समय दिया था. लेकिन, जेट एयरवेज के मुख्य कर्जदाता, जैसे SBI, पंजाब नेशनल बैंक और जेसी फ्लॉवर्स (JC Flowers Asset Reconstruction Pvt Ltd) ने दावा किया कि JKC समय पर 350 करोड़ रुपये की रकम कंपनी में डालने में नाकाम रही है. 

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रिटेल इनवेस्टर्स के सामने क्या है रास्ता?

जेट एयरवेज के रिटेल इनवेस्टरों के लिए फिलहाल विकल्प सीमित हैं. इस स्थिति में, उनके पास सबसे बेहतर विकल्प यह है कि वे अपने नुकसान को समझें और भविष्य में अधिक सतर्क होकर निवेश करें. चूंकि लिक्विडेशन प्रक्रिया में रिटेल इनवेस्टर्स के लिए बहुत कम संभावनाएं होती हैं कि उन्हें कुछ रकम वापस मिलेगी, वे अब नुकसान की स्थिति को स्वीकार कर नई निवेश रणनीतियों पर विचार कर सकते हैं.

जेट एयरवेज का लिक्विडेशन उन रिटेल इनवेस्टर्स के लिए एक बड़ा झटका है, जिन्होंने कंपनी की वापसी और फिर से चालू होने की उम्मीद के आधार पर निवेश किया था. लेकिन कंपनी के संचालन को फिर से शुरू करने के लिए फाइनेंशियल अड़चनों और देनदारियों को पूरा करने में नाकामी के कारण, उन्हें अब इस निवेश से कोई लाभ मिलने की उम्मीद नहीं है. यह घटना निवेशकों के लिए एक सबक भी है कि ऐसे निवेशों में शामिल जोखिम को हमेशा ध्यान में रखना चाहिए.

Supreme Court Jet Airways