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Low Return : 1 साल में 14 म्‍यूचुअल फंड ने दिया 10 से 16% निगेटिव रिटर्न, आपकी स्‍कीम भी करा रही है घाटा तो क्‍या करें

Mutual Fund Return : म्‍यूचुअल फंड में एकमुश्‍त (Lump Sum) या सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) के जरिए निवेश करते समय बेहतर रिटर्न दिमाग में चलता रहता है. साथ ही उसमें मिलने वाला कंपाउंडिंग बेनेफिट.

Mutual Fund Return : म्‍यूचुअल फंड में एकमुश्‍त (Lump Sum) या सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) के जरिए निवेश करते समय बेहतर रिटर्न दिमाग में चलता रहता है. साथ ही उसमें मिलने वाला कंपाउंडिंग बेनेफिट.

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Sushil Tripathi
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Negative Return : बीते 1 साल में बिना ईटीएफ को शामिल किए भी 14 म्यूचुअल फंड स्‍कीम ऐसी हैं, जिनमें 10 से 16 फीसदी नुकसान हुआ है. (Freepik)

Low performing mutual funds : म्‍यूचुअल फंड में एकमुश्‍त या सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) के जरिए निवेश करते समय बेहतर रिटर्न दिमाग में चलता रहता है. साथ ही उसमें मिलने वाला कंपाउंडिंग बेनेफिट. लेकिन क्‍या म्‍यूचुअल फंड में निवेश करना हमेशा और हर फेज में फायदे का सौदा रहता है. ऐसा नहीं है, म्‍यूचुअल फंड स्‍कीम भी घाटा करा सकती हैं या लो रिटर्न दे सकती हैं. 

हालांकि ध्‍यान रखने वाली बात यह है कि शॉर्ट टर्म में निगेटिव रिटर्न मिलने के चांस ज्‍यादा होते हैं. बीते 1 साल का रिटर्न चार्ट देखें तो बिना ईटीएफ को शामिल किए भी कम से कम 14 स्‍कीम ऐसी हैं, जिनमें 10 से 16 फीसदी नुकसान हुआ है. अगर आपके साथ भी ऐसा हो रहा है तो क्‍या करना चाहिए. 

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1 साल में सबसे खराब प्रदर्शन वाली 14 स्‍कीम 

सैमको स्‍पेशल अपॉर्च्‍यूनिटीज फंड : -16%
सैमको फ्लेक्‍सी कैप फंड : -12%
टाटा इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर फंड : -11.80%
क्‍वांट इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर फंड : -11.50%
बंधन निफ्टी 200 मोमेंटम 30 इंडेक्‍स : -11.40
ICICI प्रू निफ्टी 200 मोमेंटम 30 इंडेक्‍स  : -11.30%
HDFC निफ्टी 200 मोमेंटम 30 इंडेक्‍स : -11.30%
Motilal Oswal निफ्टी 200 मोमेंटम 30 इंडेक्‍स : -11%
Tata निफ्टी रियल्‍टी इंडेक्‍स : -10.90%
HDFC निफ्टी रियल्‍टी इंडेक्‍स : -10.76%
क्‍वांट एक्टिव फंड : -10.51%
Kotak निफ्टी 200 मोमेंटम 30 इंडेक्‍स : -10.17%
क्‍वांट मिडकैप फंड : -10% 
HDFC MNC फंड : -10%

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कब स्विच करना चाहिए?

फाइनेंशियल एडवाइजर या एसेट मैनेजमेंट कंपनियां समय समय ब्‍लॉक के जरिए सलाह देती रहती हैं कि लो रिटर्न आने पर अपने म्यूचुअल फंड स्कीम की उसी कैटेगरी में और अन्य कैटेगरी में दूसरे म्यूचुअल फंड स्कीम के साथ तुलना करें. अगर आप देखते हैं कि बेस्ट रेटिंग वाले फंडों की तुलना में आपके म्यूचुअल फंड का प्रदर्शन थोड़ा ही खराब है, तो स्विच करना आवश्यक नहीं होगा. अगर प्रदर्शन में बहुत ज्यादा अंतर है तो स्विच करने के पहले एडवाइजर की सलाह लें.

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उनका कहना है कि अगर लो रिटर्न शॉर्ट टर्म में है तो बहुत टेंशन वाली बात नहीं है. म्‍यूचुअल फंड में कंपाउंडिंग का फायदा कम से कम 5 साल के निवेश पर मिलता है. नहीं तो 3 साल तो यूनिट रखनी ही चाहिए. इसलिए छोटी अवधि में लो या निगेटिव रिटर्न देखकर घबराकर यूनिट बेचने से बचें. घबराकर निर्णय लेने से आप अपने लक्ष्य से पीछे रह जाएंगे. शॉर्ट टर्म में, अस्थिरता के कारण कीमत ऊपर और नीचे जाती है. जहां शॉर्ट टर्म में अस्थिरता के चलते म्यूचुअल फंड में नुकसान होता है, वहीं अगर आप लंबी अवधि पर नजर डालें तो 3 से 4 साल की होल्डिंग के बाद पॉजिटिव रिटर्न ही देखने को मिलता है.

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उतार-चढ़ाव बाजार का सामान्य ट्रेंड

अगर इक्विटी की बात करें तो स्टॉक की कीमत में उतार-चढ़ाव बाजार के सामान्य ट्रेंड के कारण होते हैं. जब आप ट्रेंड के सही पक्ष में होते हैं, तो आपके लिए कंपाउंडिंग काम करती है, चाहे वह चढ़ रहा बाजार हो या गिर रहा बाजार. इसलिए, पहला कदम बाजार के सही ट्रेंड का आकलन करना है, आपको पहचानना होगा कि बाजार में बुल ट्रेंड में या बियर ट्रेंड में. फिर उसी ट्रेंड के साथ निवेश करें. 

(Source: Value Research)

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