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SWP vs Lumpsum Withdrawal : अपनी जमापूंजी को निकालने का क्या है सही तरीका, सिस्टमैटिक विथड्रॉल प्लान पर भरोसा करना कितना सही?

SWP vs Lumpsum Withdrawal : सालों की मेहनत से तैयार कॉर्पस को निकालने का सही तरीका क्या है? सारा पैसा एक साथ निकालना चाहिए या धीरे-धीरे निकालने की रणनीति बेहतर है?

SWP vs Lumpsum Withdrawal : सालों की मेहनत से तैयार कॉर्पस को निकालने का सही तरीका क्या है? सारा पैसा एक साथ निकालना चाहिए या धीरे-धीरे निकालने की रणनीति बेहतर है?

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Viplav Rahi
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SWP vs Lumpsum Withdrawal: निवेश की तरह ही अपनी जमापूंजी को निकालते समय भी सही रणनीति से काम लेना जरूरी है. (Image : Pixabay)

SWP vs Lumpsum Withdrawal : अगर आपने सालों तक मेहनत से म्यूचुअल फंड में निवेश करके एक अच्छा कॉर्पस तैयार कर लिया हो, तो कई बार अपने इनवेस्टमेंट गोल के करीब पहुंचकर एक नई उलझन का सामना करना पड़ता है. उलझन ये कि अब इस पैसे को निकालने का सही तरीका क्या होगा? क्या सारे पैसे एक साथ निकाल लेने चाहिए या धीरे-धीरे निकालने की रणनीति बेहतर रहेगी? इस सवाल का सही जवाब देने के लिए सिस्टमैटिक विथड्रॉल प्लान (SWP) और एकसाथ पैसे निकालने की तुलना में उसके फायदों को समझना जरूरी है. 

लम्पसम विथड्रॉल में क्या है कमी?

जब निवेशक एक ही बार में अपना पूरा पैसा निकाल लेते हैं, तो इसे लम्पसम विथड्रॉल कहा जाता है. यह तरीका सुनने में आसान लगता है, लेकिन इसमें सबसे बड़ा जोखिम है - मार्केट टाइमिंग. अगर आपने अपने लक्ष्य के आसपास उस समय पैसे निकाले जब बाजार नीचे था, तो आपकी मेहनत से बनी पूंजी का एक बड़ा हिस्सा कम हो सकता है. लम्पसम विथड्रॉल से आपका निवेश बाजार के उतार-चढ़ाव के बीच अचानक निकाला जाता है, जिससे आपको नुकसान हो सकता है.

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SWP क्या है और ये कैसे काम करता है?

SWP यानी सिस्टमैटिक विथड्रॉल प्लान एक ऐसा तरीका है जिसमें आप अपने म्यूचुअल फंड निवेश से तय समय के अंतर पर एक निश्चित रकम निकालते हैं – जैसे हर महीने, हर तिमाही या हर साल. बाकी बचा हुआ पैसा फंड में इनवेस्टेड रहता है और उस पर रिटर्न मिलता रहता है.

इस प्रक्रिया को SIP का उल्टा समझा जा सकता है. SIP के जरिये आप धीरे-धीरे निवेश करते हैं, जबकि SWP की मदद से आप धीरे-धीरे पैसे निकालते हैं. इससे दो बड़े फायदे होते हैं – पहला, आपका पूरा पैसा एक साथ बाजार की अस्थिरता के सामने नहीं आता, और दूसरा, जो पैसा फंड में बचा रहता है उस पर रिटर्न मिलता रहता है यानी वो बढ़ता रहता है.

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उदाहरण से समझें SWP की ताकत

मान लीजिए आपने 10 लाख रुपये एक म्यूचुअल फंड में निवेश किए थे और 5 साल बाद आपको वो पैसा चाहिए था. उसी समय अगर बाजार 15% या उससे ज्यादा गिर जाता है और आपने लम्पसम विथड्रॉल की, तो आपको सीधा नुकसान होगा.

लेकिन अगर आपने उसी से एक साल पहले SWP शुरू कर दिया होता और हर महीने थोड़ा-थोड़ा पैसा निकालते, तो आप बाजार के गिरने पर भी ज्यादा नुकसान से बच सकते थे. पिछले कई उदाहरणों में देखा गया है कि SWP अपनाने वाले निवेशकों को अंत में लम्पसम विथड्रॉल करने वालों से ज्यादा रिटर्न मिला.

क्योंकि SWP से आपका पैसा आहिस्ता-आहिस्ता निकलेगा और जो हिस्सा बचा रहेगा, वो बाजार के संभलने पर फायदा देगा. इस तरह, आप बाजार की टाइमिंग के जोखिम से भी बच जाते हैं.

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SWP किनके लिए है फायदेमंद?

SWP केवल रिटायर हो चुके लोगों के लिए नहीं है. यह ऐसे सभी निवेशकों के लिए काम की रणनीति है जो निवेश से जुड़े किसी आर्थिक लक्ष्य के करीब पहुंच रहे हों. मिसाल के तौर पर अगर आपको बच्चों की पढ़ाई के लिए दो साल बाद पैसे चाहिए, तो आप पहले से SWP शुरू कर सकते हैं. इससे बाजार की हलचल से आपके लक्ष्य पर असर नहीं पड़ेगा.

रिटायरमेंट के बाद भी SWP आपकी इनकम का एक अच्छा जरिया बन सकता है. कैलकुलेशन बताते हैं कि अगर आप हर साल केवल 6% तक ही विथड्रॉल करें, तो आपकी पूंजी लंबी अवधि तक चल सकती है.

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निवेश की तरह विथड्रॉल में भी चाहिए सही रणनीति

जिस तरह आपने SIP से सालों तक समझदारी से निवेश किया, वैसे ही पूंजी निकालते समय भी प्लानिंग जरूरी है. अचानक सारा पैसा निकाल लेना आपकी सालों की मेहनत को बेकार कर सकता है. इसलिए जब भी आप अपने किसी लक्ष्य के करीब हों, SWP को अपनाना बेहतर रणनीति है. यह न केवल विथड्रॉल का बेहतर तरीका है, बल्कि इसे आप वित्तीय लक्ष्य तक सुरक्षित पहुंचाने का शानदार उपाय भी कह सकते हैं.

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