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मिड कैप और स्मॉल कैप फंड्स में तेजी से बढ़ा इनवेस्टमेंट, निवेशकों के इस जोश की क्या हैं 4 बड़ी वजहें

जुलाई में मिड कैप और स्मॉल कैप इंडेक्स में गिरावट के बावजूद मिड कैप और स्मॉल कैप फंड्स में निवेश तेजी से बढ़ा. निवेशकों के इस रुझान की क्या हैं 4 बड़ी वजहें.

जुलाई में मिड कैप और स्मॉल कैप इंडेक्स में गिरावट के बावजूद मिड कैप और स्मॉल कैप फंड्स में निवेश तेजी से बढ़ा. निवेशकों के इस रुझान की क्या हैं 4 बड़ी वजहें.

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Viplav Rahi
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July Mutual Fund Inflows : AMFI के आंकड़ों के मुताबिक जुलाई में स्मॉल कैप और मिड कैप फंड्स में जमकर निवेश हुआ है. (AI Generated Image)

Mid Cap and Small Cap Mutual Fund Investment : जुलाई में शेयर बाजार के मिड कैप और स्मॉल कैप इंडेक्स भले ही गिरावट का रुझान दिखाते रहे, लेकिन इससे निवेशकों का जोश कम नहीं हुआ. एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (AMFI) के आंकड़ों के मुताबिक सिर्फ जुलाई में ही इन दोनों कैटेगरी में करीब 12,000 करोड़ रुपये का निवेश हुआ. मिड कैप फंड्स में इनफ्लो 38% बढ़ा, जबकि स्मॉल कैप फंड्स में यह उछाल 61% तक पहुंच गया. सवाल ये है कि इंडेक्स में गिरावट के बावजूद मिड कैप और स्मॉल कैप फंड्स में निवेशकों का यह भरोसा किन वजहों से बरकरार है. आइए जानते हैं इसकी 4 बड़ी वजहें.

1. मजबूत अर्निंग ग्रोथ की उम्मीद

इंडेक्स में नरमी के बावजूद निवेशकों को आने वाले दिनों में मिड कैप और स्मॉल कैप स्टॉक्स में अच्छी ग्रोथ की उम्मीद दिख रही है. इन कंपनियों की कमाई में सुधार, नए प्रोजेक्ट्स और बिजनेस विस्तार की संभावनाएं निवेशकों को आकर्षित कर रही हैं. भले ही जुलाई में Nifty Midcap 100 TRI में 3.83% और Nifty Smallcap 100 TRI में 5.61% की गिरावट आई हो, लेकिन लंबी अवधि के नजरिए से निवेशक इनको मजबूत रिटर्न का जरिया मान रहे हैं.

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2. छोटे निवेशकों की बढ़ती भागीदारी

पिछले कुछ वर्षों में शेयर बाजार में रिटेल इनवेस्टर्स निवेशकों की संख्या लगातार बढ़ी है. SIP जैसे निवेश विकल्पों ने छोटे-छोटे निवेशकों को भी इक्विटी मार्केट से जोड़ दिया है. जुलाई में स्मॉल कैप फंड्स में 6,484 करोड़ रुपये का इनफ्लो आया, जो जून के मुकाबले काफी ज्यादा है. मिड कैप फंड्स में भी 5,182 करोड़ रुपये का निवेश हुआ. यह लगातार दूसरा महीना है जब इन दोनों कैटेगरी में रिकॉर्ड इनफ्लो देखने को मिला.

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3. अर्थव्यवस्था से जुड़े पॉजिटिव संकेत

देश की अर्थव्यवस्था से जुड़े पॉजिटिव संकेत, खास तौर पर इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट पर जोर और मैन्युफैक्चरिंग व सर्विस सेक्टर की मजबूती से मिड कैप और स्मॉल कैप कंपनियों को फायदा होने की उम्मीद की जा रही है. निवेशकों को भरोसा है कि भारत की ग्रोथ स्टोरी का बड़ा हिस्सा इन कंपनियों के जरिए ही पूरा होगा. यही वजह है कि हाई वैल्यूएशन और इंडेक्स में गिरावट के बावजूद निवेशक इस कैटेगरी में पैसा लगा रहे हैं.

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4. लंबी अवधि में बेहतर रिटर्न और SIP पर भरोसा

हालांकि मिड कैप और स्मॉल कैप फंड्स में शॉर्ट टर्म में उतार-चढ़ाव ज्यादा रहता है, लेकिन लंबे समय में ये फंड्स ऊंचे रिटर्न दे सकते हैं. यही सोच निवेशकों को SIP और STP जैसे तरीकों से निवेश करने के लिए प्रेरित कर रही है. ऐसे माहौल में बहुत से निवेशक समय एकमुश्त पैसे लगाने की की बजाय एसआईपी के जरिये निवेश कर रहे हैं, ताकि मार्केट करेक्शन के जोखिम को कम कर सकें. यह बात जुलाई में एसआईपी का इंफ्लो बढ़कर 28,464 करोड़ रुपये पर पहुंच जाने में नजर आती है.

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रिस्क और सावधानी

मौजूदा समय में इन कैटेगरी के वैल्यूएशन ऊंचे हैं, जिससे तेज करेक्शन का खतरा बना रहता है. मिड कैप और स्मॉल कैप फंड्स में लिक्विडिटी रिस्क भी ज्यादा होता है. इसलिए कंजर्वेटिव निवेशकों को फिलहाल इंतजार करना चाहिए. एग्रेसिव रुख रखने वाले निवेशकों को भी पोर्टफोलियो में इनका एक्सपोजर सीमित रखना चाहिए. मॉडरेट लेवल का रिस्क बर्दाश्त करने की तैयारी रखने वाले निवेशकों के लिए फ्लेक्सी कैप, मल्टी कैप या लार्ज एंड मिड कैप जैसे फंड्स बेहतर विकल्प हो सकते हैं.

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जुलाई में मिड कैप और स्मॉल कैप फंड्स में रिकॉर्ड इनफ्लो ने यह साफ कर दिया है कि निवेशकों का भरोसा इन पर अभी बरकरार है. हालांकि बाजार की मौजूदा स्थिति में सावधानी और अनुशासन के साथ निवेश करना जरूरी है. लंबी अवधि में यह फंड्स अच्छे रिटर्न दे सकते हैं, लेकिन शॉर्ट टर्म में उतार-चढ़ाव और करेक्शन के लिए तैयार रहना होगा.

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