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Flexi Cap vs Multi Cap funds : फ्लेक्सी कैप और मल्टी कैप फंड्स में निवेश के लिए कौन बेहतर है? (AI Generated Image)
Flexi Cap vs Multi Cap Funds: इक्विटी म्यूचुअल फंड्स में डायवर्सिफाइड पोर्टफोलियो बनाने की बात हो तो फ्लेक्सी कैप और मल्टी कैप फंड्स का नाम सबसे ऊपर आता है. निवेशकों के बीच भी ये दोनों कैटगरी काफी पॉपुलर हैं. AMFI के जुलाई के आंकड़ों के मुताबिक फ्लेक्सी-कैप फंड्स में नेट-इनफ्लो 7,654.33 करोड़ रुपये और मल्टी कैप फंड्स में 3,990.84 करोड़ रुपये रहा है. इन दोनों ही कैटेगरी की स्कीम के कॉर्पस में आपको लार्ज कैप, मिड कैप और स्मॉल कैप स्टॉक्स मिल जाएंगे. इसी वजह से कई बार निवेशकों के मन में ये सवाल उठ सकता है कि इनमें से उनके लिए कौन सी कैटेगरी बेहतर है? ये कनफ्यूजन भी हो सकता है कि आखिर दोनों में फर्क क्या है?
इन सवालों के जवाब जानने के लिए दोनों कैटेगरी के फंड्स के पिछले परफॉर्मेंस के साथ-साथ उनके इनवेस्टमेंट स्ट्रक्चर और स्ट्रैटजी की तुलना करना भी जरूरी है. आपको बता दें कि टॉप 7 फ्लेक्सी कैप फंड्स की लिस्ट में एचडीएफसी म्यूचुअल फंड (HDFC Mutual Fund) की स्कीम 5 साल में 28.77% सालाना रिटर्न के साथ सबसे आगे रही है. वहीं टॉप 7 मल्टी कैप फंड्स की फेहरिस्त में निप्पॉन इंडिया की स्कीम (Nippon India Multi Cap Fund) 5 साल में 31.47% एनुअल रिटर्न के साथ नंबर वन है.
फ्लेक्सी कैप vs मल्टी कैप : किसने कितना दिया रिटर्न
फ्लेक्सी कैप और मल्टी कैप फंड्स के पिछले परफॉर्मेंस की तुलना के लिए दोनों कैटेगरी के पिछले 5 साल के रिटर्न के आंकड़ों पर एक नजर डालते हैं. शुरुआत करते हैं फ्लेक्सी कैप फंड से.
टॉप 7 फ्लेक्सी कैप फंड्स का 5 साल का रिटर्न
- HDFC Flexi Cap Fund : 28.77%
- Quant Flexi Cap Fund : 28.29%
- Bank of India Flexi Cap Fund : 26.84%
- JM Flexi Cap Fund : 26.05%
- Franklin Flexi Cap Fund : 25.16%
- Parag Parikh Flexi Cap Fund : 23.74%
- Edelweiss Flexi Cap Fund : 23.16%
(सोर्स : AMFI, सभी आंकड़े डायरेक्ट प्लान के हैं और 8 अगस्त 2025 तक अपडेटेड हैं.)
कैटेगरी के बेंचमार्क इंडेक्स का 5 साल का रिटर्न (CAGR) :
Nifty 500 TRI : 20.74%
BSE 500 TRI : 20.70%
रिस्क लेवल (Risk Level) : बहुत अधिक (Very High)
एम्फी के पोर्टल पर कुल 24 फ्लेक्सी कैप फंड्स के 5 साल के प्रदर्शन के आंकड़े मौजूद हैं. उनमें 14 का 5 साल का रिटर्न 20 फीसदी से ऊपर रहा है. जबकि सारे ही फंड्स ने 5 साल में 15 फीसदी से ज्यादा सालाना रिटर्न दिया है.
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टॉप 7 मल्टी कैप फंड्स का 5 साल का रिटर्न
- Nippon India Multi Cap Fund : 31.47%
- Mahindra Manulife Multi Cap Fund : 27.10%
- ICICI Prudential Multicap Fund : 25.45%
- Quant Multi Cap Fund : 24.80%
- Baroda BNP Paribas Multi Cap Fund : 24.77%
- Invesco India Multi Cap Fund : 24.40%
- Sundaram Multi Cap Fund : 23.83%
(सोर्स : AMFI, सभी आंकड़े डायरेक्ट प्लान के हैं और 8 अगस्त 2025 तक अपडेटेड हैं.)
कैटेगरी के बेंचमार्क इंडेक्स (Nifty 500 Multicap 50:25:25 TRI) का 5 साल का रिटर्न (CAGR) : 24.09%
रिस्क लेवल (Risk Level) : बहुत अधिक (Very High)
एम्फी के पोर्टल पर कुल 8 मल्टी कैप फंड्स के 5 साल के प्रदर्शन के आंकड़े मौजूद हैं. ऊपर हमने 7 फंड्स के रिटर्न का आंकड़ा दे दिया है. इनके अलावा 8वां फंड है - आईटीआई मल्टी कैप फंड (ITI Multi Cap Fund), जिसके डायरेक्ट प्लान ने 5 साल में 20.96% की दर से सालाना रिटर्न दिया है. यानी सारे ही मल्टीकैप फंड्स का रिटर्न करीब 21% से अधिक है.
दोनों कैटेगरी के फंड्स का शानदार प्रदर्शन
ऊपर दिए आंकड़ों से साफ है कि फ्लेक्सी कैप और मल्टी कैप, दोनों ही कैटेगरी के टॉप फंड्स ने पिछले 5 साल में शानदार रिटर्न दिया है. मल्टीकैप फंड्स की कैटेगरी में स्कीम की संख्या कम है. लिहाजा, 8 में से 7 स्कीम्स का 5 साल का रिटर्न करीब 24 फीसदी या उससे अधिक है, जबकि सबसे कम सालाना रिटर्न भी करीब 21 फीसदी है. वहीं, फ्लेक्सी कैप फंड्स में भी टॉप 7 स्कीम का 5 साल का औसत सालाना रिटर्न 23 फीसदी या उससे ऊपर रहा है. लेकिन इस कैटेगरी में स्कीम की संख्या ज्यादा है. लिहाजा, कैटेगरी की सबसे कम मुनाफा देने वाली स्कीम का 5 साल का सालाना रिटर्न 15 फीसदी तक है, जो अपने आप में कम नहीं है. रिटर्न की तुलना के बाद आइए दोनों कैटेगरी की निवेश रणनीति और इनवेस्टमेंट स्ट्रक्चर को समझते हैं.
फ्लेक्सी कैप vs मल्टी कैप : इनवेस्टमेंट स्ट्रक्चर और स्ट्रैटजी
फ्लेक्सी कैप फंड्स की सबसे बड़ी खूबी यह है कि इसमें फंड मैनेजर को बाजार के रुझान के हिसाब से पोर्टफोलियो में एडजस्टमेंट करने की पूरी छूट होती है. उसे ही तय करना होता कि फंड के पोर्टफोलियो में लार्ज कैप, मिड कैप और स्मॉल कैप स्टॉक्स को कब और कितनी जगह देनी है. बस शर्त यह है कि कुल पोर्टफोलियो का कम से कम 65% हिस्सा इक्विटी में होना चाहिए. इसका फायदा यह है कि फंड मैनेजर बाजार में उथल-पुथल के दौरान ज्यादा रिस्की शेयरों से पैसे निकालकर सुरक्षित ऑप्शन में निवेश बढ़ा सकता है. यानी उसका फैसला सही होने पर निवेशकों का नुकसान कम हो सकता है. लेकिन गलत फैसला नुकसान भी बढ़ा सकता है. यानी इन फंड्स का प्रदर्शन पूरी तरह फंड मैनेजर के स्किल पर निर्भर होता है.
मल्टी कैप में तय है हर मार्केट कैप की हिस्सेदारी
इससे अलग मल्टी कैप फंड्स के पोर्टफोलियो में हर मार्केट कैप वाले स्टॉक्स की मिनिमम हिस्सेदारी फिक्स हैं. इन फंड्स के पोर्टफोलियो में लार्ज कैप, मिड कैप और स्मॉल कैप स्टॉक्स, तीनों का हिस्सा कम से कम 25-25% होना जरूरी है. इस तरह इन फंड्स का मिनिमम इक्विटी इनवेस्टमेंट किसी भी समय कम से कम 75% रहता है. जबकि फ्लेक्सी कैप में यह लिमिट 65% है. यानी मल्टी कैप में मिनिमम इक्विटी एक्सपोजर फ्लेक्सी कैप से ज्यादा है. इसके अलावा हर मार्केट सेगमेंट की मिनिमम इनवेस्टमेंट लिमिट तय होने के कारण मल्टी कैप फंड्स के पोर्टफोलियो में डायवर्सिफिकेशन हमेशा बना रहता है, लेकिन फंड मैनेजर के पास फैसले लेने की आजादी फ्लेक्सी कैप के मुकाबले कम होती है. यही बात उथल-पुथल के दौर में इसे थोड़ा ज्यादा रिस्की बना सकती है. मिसाल के तौर पर फंड मैनेजर चाहे भी तो रिस्क कम करने के लिए स्मॉल कैप या मिड कैप में निवेश एक लिमिट के बाद कम नहीं कर सकता. इस वजह से बाजार में गिरावट के समय इसमें नुकसान होने की आशंका कुछ अधिक हो सकती है.
आपके लिए क्या है बेहतर
फ्लेक्सी कैप और मल्टी कैप, दोनों की कैटेगरी के इक्विटी म्यूचुअल फंड आपको डायवर्सिफाइड इनवेस्टमेंट का मौका देते हैं. लंबी अवधि में दोनों ने ही हाई रिटर्न जेनरेट किए हैं. इसलिए दोनों में किसी एक कैटेगरी को सीधे-सीधे बेहतर कहना मुश्किल है. इनमें से आपके लिए क्या बेहतर है, इसका फैसला अपनी प्राथमिकता और फंड मैनेजर पर भरोसे के आधार पर करना होगा. अगर आप मार्केट में ज्यादा एक्सपोजर और पोर्टफोलियो के स्ट्रक्चर्ड ढांचे को बेहतर मानते हैं तो मल्टी कैप की तरफ जा सकते हैं. अगर फंड मैनेजर की समझदारी और फ्लेक्सीबल स्ट्रैटजी पर ज्यादा भरोसा है, तो फ्लेक्सी कैप को अपना सकते हैं.
(डिस्क्लेमर : इस आर्टिकल का उद्देश्य सिर्फ जानकारी देना है, निवेश की सिफारिश करना नहीं. म्यूचुअल फंड्स में पिछले रिटर्न के भविष्य में जारी रहने की गारंटी नहीं होती. निवेश का कोई भी फैसला सेबी रजिस्टर्ड निवेश सलाहकार की राय लेने के बाद ही करें.)