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क्रेडिट कार्ड से कैश लेना क्यों है सबसे महंगी भूल? समझें ब्याज और फीस का गणित

क्रेडिट कार्ड से कैश निकालना सबसे महंगा कर्ज साबित हो सकता है। ₹10,000 की निकासी पर बैंक तुरंत ₹300–₹500 की फीस और टैक्स वसूलता है, साथ ही ब्याज अगले ही दिन से रोज़ाना कंपाउंड होकर जुड़ना शुरू हो जाता है। सुविधा के नाम पर दिया गया यह विकल्प असल में बैंक का महंगा जाल है।

क्रेडिट कार्ड से कैश निकालना सबसे महंगा कर्ज साबित हो सकता है। ₹10,000 की निकासी पर बैंक तुरंत ₹300–₹500 की फीस और टैक्स वसूलता है, साथ ही ब्याज अगले ही दिन से रोज़ाना कंपाउंड होकर जुड़ना शुरू हो जाता है। सुविधा के नाम पर दिया गया यह विकल्प असल में बैंक का महंगा जाल है।

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Parth Parikh
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क्रेडिट कार्ड से कैश निकालना बंद करें। कोई और विकल्प अपनाएँ Photograph: (pixabay)

अक्सर बैंक आपको मैसेज भेजते हैं –
“कैश चाहिए? अपने क्रेडिट कार्ड से किसी भी ATM से निकालें। तुरंत सुविधा, बिना झंझट।”

इसे बैंक एक फीचर की तरह पेश करते हैं, जैसे कोई फेवर  कर रहे हों।

कई लोग सोचते भी हैं कि मुझे ₹10,000 की जरूरत थी, तो मैंने क्रेडिट कार्ड से निकाल लिया। बैंक खुद ही इसकी सुविधा देता है, तो इसमें बुरा क्या है? मैं अगले महीने चुका दूंगा।
पहली नजर में ये आसान और नुकसानरहित लगता है। 🙂

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लेकिन हकीकत बिल्कुल अलग है। मैंने अपने एक करीबी व्यक्ति को इसका नुकसान झेलते देखा है। उस शख्स ने ₹10,000 कैश निकाला। बैंक ने पहले ही दिन ₹500 का कैश एडवांस चार्ज वसूल लिया और उस पर टैक्स भी जोड़ दिया। ब्याज अगले ही दिन से शुरू हो गया, जिसकी दर लगभग 40% सालाना थी। नतीजा यह हुआ कि जब बिल आया तो ₹10,000 की रकम बढ़कर करीब ₹11,500 हो चुकी थी। यानी बिना कोई नया सामान खरीदे, बिना कोई फिजूलखर्च किए, सिर्फ ATM से पैसे निकालने की वजह से उसकी देनदारी एक महीने में 15% बढ़ गई।

उसकी सबसे बड़ी शिकायत यह नहीं थी कि पैसा ज्यादा देना पड़ा, बल्कि उसका कहना था – “मुझे लगा बैंक मुझे सुविधा दे रहा है, ट्रैप नहीं।” मार्केटिंग ने इसे एक सर्विस जैसा दिखाया था, लेकिन हकीकत में यह उसकी जिंदगी का सबसे महंगा कर्ज साबित हुआ।

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समझे क्रेडिट कार्ड के पीछे कि कहानी

शुरुआत में जब आप क्रेडिट कार्ड से कैश निकालने के बारे में सोचते हैं, तो यह खतरनाक नहीं लगता।

आपको पैसे चाहिए, आपके पास कार्ड है, और खुद बैंक कहता है कि आप किसी भी ATM से कैश निकाल सकते हैं। ज़्यादातर लोग मान लेते हैं कि यह दुकान पर स्वाइप करने जैसा ही है, जहाँ बिल आने से पहले कुछ हफ्तों का ब्याज-मुक्त समय मिलता है।

लेकिन सच्चाई बिल्कुल अलग है।

जैसे ही आप कैश निकालते हैं, ब्याज तुरंत शुरू हो जाता है। यहाँ कोई ग्रेस पीरियड या राहत नहीं होती। इसके ऊपर बैंक कैश एडवांस फीस भी जोड़ देता है, जो आमतौर पर निकाली गई रकम का 2.5% से 3% होती है। यानी अगर आपने ₹10,000 निकाला तो सिर्फ फीस ही ₹300 से ₹500 (प्लस टैक्स) हो जाएगी। आप घर पहुंचें उससे पहले ही आपका कर्ज ₹10,500 से ज्यादा हो जाता है।

फिर शुरू होता है ब्याज।

ज़्यादातर कार्ड्स कैश निकासी पर हर महीने 3% से 3.5% तक चार्ज करते हैं, जो सालाना 40% से भी ज्यादा होता है। और यह सिंपल इंटरेस्ट नहीं बल्कि रोज़ाना कैलकुलेट होने वाला कंपाउंड इंटरेस्ट है। यानी कैश निकालने के अगले ही दिन से मीटर चलना शुरू हो जाता है और यह तब तक नहीं रुकता जब तक आप पूरी रकम चुका नहीं देते। सिर्फ एक महीने में ही आपका ₹10,000 का कर्ज ब्याज की वजह से और ₹350–₹400 बढ़ सकता है।

फीस जोड़ दीजिए, टैक्स जोड़ दीजिए, और कुछ ही हफ़्तों में आपकी कुल रकम लगभग ₹11,500 हो जाती है। और यह सब सिर्फ़ अपने ही कार्ड से पैसे निकालने के लिए। यह समझने के लिए आपको वित्तीय विशेषज्ञ होने की ज़रूरत नहीं है कि यह कितना अनुचित है। न कोई पर्सनल लोन, न ओवरड्राफ्ट और न ही कोई डिजिटल क्रेडिट लाइन इतनी छोटी रकम और इतने कम समय के लिए आपसे इतना अधिक शुल्क वसूल करेगी।

यह केवल महंगा ही नहीं, बल्कि लगभग मूर्खता है। क्योंकि पहले ही दिन से आपके सामनेआंकड़े खड़े हो जाते हैं।  क्रेडिट कार्ड के नाम पर आप एक ऐसी दौर शुरू करते है जो आप कभी जीत ही नहीं सकते।

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फिर लोग ऐसा क्यों करते हैं?

अगर गणित इतना साफ़ है, तो फिर इतने लोग इस जाल में क्यों फँस जाते हैं? इसका जवाब उस पल के फैसले की फीलिंग में छिपा है।

जब आपके पास नकदी की कमी होती है, तो एटीएम किसी जीवनरेखा जैसा लगता है। बैंक आपको बताता है कि आपकी क्रेडिट लिमिट कैश के रूप में उपलब्ध है। ऐप भी आपको रिमाइंडर भेजता है कि “आप तुरंत पैसा निकाल सकते हैं।” उस पल दिमाग में बस राहत की भावना होती है। आप न तो डेली कंपाउंडिंग के बारे में सोचते हैं, न फीस के बारे में, और न ही इस बारे में कि ब्याज पहले ही दिन से टिक-टिक करना शुरू कर चुका है।

इसमें मनोविज्ञान की बड़ी भूमिका होती है। लोग मानते हैं कि वे जल्दी ही पैसा चुका देंगे, इसलिए लागत मायने नहीं रखेगी। लेकिन ज़िंदगी शायद ही कभी योजना के अनुसार चलती है। बिल बढ़ते जाते हैं, आपात स्थितियाँ लंबी खिंच जाती हैं, या फिर हाथ में नकदी आते ही हम वास्तविकता भूल जाते हैं। जब तक क्रेडिट कार्ड का स्टेटमेंट आता है, रकम उम्मीद से कहीं ज़्यादा हो चुकी होती है और नुकसान पहले ही हो चुका होता है।

यही कारण है कि बैंक इस प्रोडक्ट से पैसा कमाते हैं। वे जानते हैं कि ज़्यादातर लोग प्रभावी ब्याज की गणना नहीं करेंगे। वे जानते हैं कि “तुरंत कैश एक्सेस” का वादा छोटे अक्षरों में लिखी चेतावनी पर भारी पड़ेगा। यही वह जाल है जिसमें फँसकर कई लोग रिवॉल्विंग क्रेडिट से बाहर नहीं निकल पाते।

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बेहतर विकल्प


विडंबना यह है कि अक्सर उसी बैंक में बेहतर विकल्प मौजूद हैं। एक छोटा पर्सनल लोन सालाना 12 से 18 प्रतिशत तक का ब्याज ले सकता है, जो क्रेडिट कार्ड कैश एडवांस की 40 प्रतिशत की प्रभावी दर से कहीं कम है। कुछ बैंक आपके खाते से जुड़ी ओवरड्राफ्ट सुविधा भी देते हैं, जो फिर से बहुत कम लागत पर उपलब्ध होती है। यहां तक कि किसी भरोसेमंद फिनटेक ऐप से लिया गया अल्पकालिक डिजिटल लोन भी सस्ता पड़ सकता है।

और सबसे अच्छा विकल्प कोई लोन नहीं है, बल्कि एक आपातकालीन फंड है। सेविंग अकाउंट में शुरुआत से ही छोटी-सी राशि अलग रखने से आप खुद को मजबूरी में लिए गए गलत फैसलों से बचा सकते हैं। यही कारण है कि वित्तीय योजनाकार निवेश से पहले एक सुरक्षा कुशन बनाने पर ज़ोर देते हैं।

बात एकदम सीधी है— आपको यह समझने के लिए मार्केट एनालिस्ट होने की ज़रूरत नहीं है कि क्रेडिट कार्ड से कैश निकालना हमेशा गलत फैसला होता है। इसकी लागत बहुत अधिक है, मनोविज्ञान भ्रामक है, और इससे कहीं बेहतर  सस्ते और सुरक्षित विकल्प मौजूद हैं।

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कृपया कैश के लिए क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल बंद करें


मैंने पहले भी लाउंज ट्रैप और क्रेडिट कार्ड के पर्क्स के लालच के बारे में लिखा है। ये हल्के-फुल्के धक्के की तरह होते हैं, जो आपको आपकी योजना से ज़्यादा खर्च करने पर मजबूर करते हैं। ये धीरे-धीरे आपकी बचत को कम कर देते हैं। लेकिन क्रेडिट कार्ड से कैश निकालना बिल्कुल अलग है। यह हल्का धक्का नहीं है, बल्कि सीधा ज़ोरदार झटका है। यह उन सबसे खतरनाक आदतों में से एक है, जिसमें आप फँस सकते हैं, क्योंकि इसकी लागत पहले ही दिन से शुरू हो जाती है और हर दिन बढ़ती जाती है तब तक, जब तक आप भुगतान नहीं कर देते।

एक लाउंज विज़िट आपको ऐसा टिकट खरीदने के लिए उकसा सकती है जिसकी आपको ज़रूरत ही नहीं थी। कोई पर्क आपको ऐसे ख़र्च पर कार्ड स्वाइप करने के लिए मजबूर कर सकता है जिसे आप आसानी से टाल सकते थे। लेकिन क्रेडिट कार्ड से कैश निकालना इससे कहीं ज़्यादा ख़तरनाक है। यह आपके पैसे लेता है, उस पर फ़ीस जोड़ता है, रोज़ाना ब्याज लगाता है और हर हफ़्ते आपके क़र्ज़ को और भारी बना देता है।

इसीलिए मेरी गुज़ारिश वही है, बस इस बार और ज़ोर से—कृपया अपने क्रेडिट कार्ड से कैश निकालना बंद करें। कोई भी दूसरा विकल्प अपनाएँ। क्योंकि यह सुविधा नहीं है, बल्कि एक ऐसा जाल है जो एटीएम स्क्रीन पर छोटा दिखता है लेकिन आपके वित्त पर गहरी चोट छोड़ जाता है।

डिसक्लेमर

नोट : इस लेख में फंड रिपोर्ट्स, इंडेक्स इतिहास और सार्वजनिक सूचनाओं का उपयोग किया गया है. विश्लेषण और उदाहरणों के लिए हमने अपनी मान्यताओं का इस्तेमाल किया है.

इस लेख का उद्देश्य निवेश के बारे में जानकारी, डेटा पॉइंट्स और विचार साझा करना है. यह निवेश सलाह नहीं है. यदि आप किसी निवेश विचार पर कदम उठाना चाहते हैं, तो किसी योग्य सलाहकार से सलाह लेना अनिवार्य है. यह लेख केवल शैक्षिक उद्देश्यों के लिए है. व्यक्त किए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत हैं और उनके वर्तमान या पूर्व नियोक्ताओं का प्रतिनिधित्व नहीं करते.

पार्थ परिख को वित्त और अनुसंधान में दस से अधिक वर्षों का अनुभव है. वर्तमान में वह फिनसायर में ग्रोथ और कंटेंट स्ट्रेटेजी के प्रमुख हैं, जहां वह निवेशक शिक्षा पहल और लोन अगेंस्ट म्यूचुअल फंड्स (LAMF) जैसे उत्पादों और बैंकों तथा फिनटेक्स के लिए वित्तीय डेटा समाधानों पर काम करते हैं.

Note: This content has been translated using AI. It has also been reviewed by FE Editors for accuracy.

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