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उर्वरक खपत को मानसून और ग्रामीण खपत से समर्थन मिल रहा है, लेकिन यह उद्योग जोखिम-मुक्त होने से अभी भी काफी दूर है Photograph: ((Image/Canva))
सुपर इन्वेस्टर्स केवल निवेश ही नहीं करते, बल्कि पूरे सेक्टर की धारणा बदल देते हैं। जब वे किसी सेक्टर में कदम रखते हैं, तो नीरस समझे जाने वाले क्षेत्र भी आकर्षक हो जाते हैं।
ऐसी ही एक निवेशक हैं चेन्नई की डॉली खन्ना, जो शुरुआती दौर में 'हिडन जैम' जैसी कंपनियों को पहचानने के लिए मशहूर हैं।
जून 2025 की तिमाही में खन्ना ने फर्टिलाइज़र सेक्टर जैसे क्षेत्र में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाई, जो सामान्यतः सुर्खियों में नहीं रहता। Q1 2025 से पहले उनके पास एक फर्टिलाइज़र कंपनी में 2.18% हिस्सेदारी थी। Q1 FY25 में उन्होंने इसमें 1.15% की हिस्सेदारी और बढ़ाई, जिससे कर्नाटक के सबसे बड़े फर्टिलाइज़र निर्माता, मैंगलोर केमिकल्स एंड फर्टिलाइजर्स (MCF) पर सबकी नज़रें टिक गईं।
यूबी ग्रुप द्वारा समर्थित, मैंगलोर केमिकल्स एंड फर्टिलाइजर्स कंपनी मुख्य रूप से उर्वरकों के उत्पादन, अधिग्रहण और बिक्री में संलग्न है। यह ज़ुआरी फर्टिलाइजर्स एंड केमिकल्स की एक सहायक कंपनी है।
MCF ने वित्तीय वर्ष 2025 में 3,300 करोड़ रुपये से अधिक की बिक्री लगभग 10% मार्जिन के साथ दर्ज की और 161 करोड़ रुपये का लाभ कमाया। उच्च दक्षता, बेहतर उत्पाद मिश्रण और कार्यशील पूंजी प्रबंधन में सुधार कंपनी की प्रगति के मुख्य कारक हैं।
खन्ना के इस कदम ने ठीक उसी समय जब अच्छे मानसून और बढ़ती ग्रामीण आय की मांग को बढ़ावा देने की मांग उठ रही है, उर्वरक उद्योग पर सबका ध्यान आकर्षित किया है। यह क्षेत्र जो पहले सब्सिडी-आधारित और नीरस लगता था, अब धीरे-धीरे वास्तविक गति पकड़ रहा है।
प्रमुख फर्टिलाइज़र स्टॉक्स की शॉर्टलिस्टिंग करते समय तिमाही राजस्व को मानक (metric) के रूप में चुना गया, क्योंकि सब्सिडी-आधारित उद्योग में आकार का सबसे अच्छा संकेतक राजस्व ही होता है। निवेशकों के लिए इसे प्रासंगिक बनाने के लिए, केवल उन्हीं कंपनियों को शामिल किया है जो उर्वरकों में विशेषज्ञ हैं और जिनका बाज़ार पूंजीकरण 5,000 करोड़ रुपये से अधिक है।
सामूहिक रूप से, ये भारत की सबसे बड़ी फर्टिलाइज़र कंपनियाँ हैं और उद्योग की रीढ़ मानी जाती हैं। इनमें से चार कंपनियाँ इस सूची में शामिल हैं:
शीर्ष उर्वरक कंपनियाँ
क्रम संख्या | नाम | Q1 FY25 बिक्री (₹ करोड़ में) |
---|---|---|
1 | कोरोमंडल इंटरनेशनल | 7,042 |
2 | चंबल फर्टिलाइजर्स | 5,698 |
3 | पारादीप फॉस्फेट्स | 3,754 |
4 | गुजरात स्टेट फर्टिलाइजर्स एंड केमिकल्स (GSFC) | 2,184 |
कोरोमंडल फर्टिलाइजर्स
कोरोमंडल इंटरनेशनल जो मुरुगप्पा समूह का हिस्सा, भारत की अग्रणी कृषि समाधान प्रदाता कंपनियों में से एक है। यह खेती से जुड़े कई प्रकार के उत्पाद और सेवाएँ प्रदान करती है। कंपनी उर्वरकों, फसल सुरक्षा, बायो-पेस्टीसाइड्स, विशेष पोषक तत्वों और ऑर्गेनिक फर्टिलाइजर्स में विशेषज्ञ है।
कोरोमंडल इंटरनेशनल ने Q1 FY26 में मजबूत प्रदर्शन करते हुए भारत के उर्वरक क्षेत्र में अपनी अग्रणी स्थिति को और मजबूत किया। इसका कंसोलिडेटेड राजस्व ₹7,042 करोड़ रहा, जिसमें मजबूत सब्सिडी प्रवाह और विभिन्न व्यवसायों में उच्च वॉल्यूम का योगदान रहा। ऑपरेटिंग प्रॉफिट 11% मार्जिन के साथ, ₹782 करोड़ तक बढ़ा जबकि शुद्ध लाभ ₹502 करोड़ रहा।
कंपनी के संयंत्रों ने 8.4 लाख टन की पूर्ण क्षमता पर काम किया और एन्नोर इकाई के फिर से उत्पादन शुरू किये जाने की वजह से फॉस्फोरिक एसिड का उत्पादन 23% बढ़ा। जहां एक ओर NPK श्रेणी में कंपनी की बाजार हिस्सेदारी बढ़कर 18% हो गई, वहीं प्राथमिक बिक्री 31% बढ़कर 11 लाख टन तक पहुँची। विशेष पोषक तत्वों और ऑर्गेनिक उत्पादों ने दो अंकों की वृद्धि दर्ज की, और किसानों के लिए नैनो DAP कार्यक्रम लगातार गति पकड़ रहा है।
भविष्य को ध्यान में रखते हुए कोरोमंडल बड़े निवेश वाले प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहा है। इसका बैकवर्ड-इंटीग्रेटेड फॉस्फोरिक और सल्फ्यूरिक एसिड प्लांट Q4 FY26 में चालू होने की संभावना है जिसका 70% पूरा हो चुका। FY27 के लिए 7.5 लाख टन का ग्रेनुलेशन विस्तार प्रोजेक्ट प्रस्तावित है। साथ ही, कंपनी रॉक फॉस्फेट की आपूर्ति की ज़रूरतें पूरी करने के लिए सेनेगल की BMCC खान में अपनी हिस्सेदारी भी बढ़ा रही है।
उत्तरी बाजारों में विस्तार, ड्रोन स्प्रे सेवाएँ और फसल संरक्षण में नए उत्पादों की लॉन्चिंग कंपनी की विकास योजनाओं को और उजागर करती हैं।
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चंबल फर्टिलाइजर्स एंड केमिकल्स
एडवेंट्ज़ समूह की कंपनी, चंबल फर्टिलाइजर्स एंड केमिकल्स, अपने स्वयं के मैन्युफैक्चरिंग प्लांट्स से यूरिया का उत्पादन करती है। यह अन्य उर्वरकों और कृषि इनपुट्स का व्यापार भी करती है। कंपनी का फॉस्फोरिक एसिड उत्पादन के लिए मोरक्को में एक संयुक्त उद्यम (Joint Venture) भी है।
Q1 में चंबल फर्टिलाइजर्स एंड केमिकल्स का प्रदर्शन लगातार मजबूत रहा। इसका कंसोलिडेटेड राजस्व ₹5,698 करोड़ रहा और PAT ₹549 करोड़ रहा, जो पिछले वर्ष की तुलना में 22.5% अधिक है। गडेपन-II इकाई में अस्थायी शटडाउन के कारण यूरिया उत्पादन घटकर 8.54 लाख टन रह गया, जबकि पिछले वर्ष यह 9.03 लाख टन था। यूरिया बिक्री 8.41 लाख टन रही और सब्सिडी बकाया ₹1,326 करोड़ पर रहा।
मुख्य आकर्षण फॉस्फेटिक और कॉम्प्लेक्स उर्वरक की बिक्री में 70% की बढ़ोतरी रही जो बढ़कर 4.21 लाख टन तक पहुँच गई। इसमें नीतिगत सहयोग और रणनीतिक सोर्सिंग का बड़ा योगदान रहा। फसल संरक्षण और विशेष पोषक तत्वों ने भी वृद्धि बनाए रखी, जिसकी आय ₹452 करोड़ रही, जो साल-दर-साल (YoY) 32% अधिक है। इसे मज़बूती13 नए उत्पादों की लॉन्चिंग से मिली। कंपनी नेबीज व्यवसाय में भी कदम रखा, जिसमें मक्का और बाजरा को जोड़ा गया, और बायोलॉजिकल इनपुट्स में 80% राजस्व वृद्धि दर्ज की।
आगे बढ़ते हुए, चंबल कैपेसिटी और डायवर्सिफिकेशन पर बड़े पैमाने पर निवेश कर रहा है। इसका ₹1,645 करोड़ का टेक्निकल अमोनियम नाइट्रेट (TAN) प्रोजेक्ट 2026 की शुरुआत तक चालू होने की संभावना है, जिसमें ₹918 करोड़ पहले ही खर्च किए जा चुके हैं। IMACID संयुक्त उद्यम (JV) फॉस्फोरिक एसिड क्षमता को 5 लाख टन से बढ़ाकर 7 लाख टन कर रहा है। वहीं, राजस्थान सरकार की RIPS योजना के तहत मिलने वाले प्रोत्साहन से रिटर्न स्थिर बने रहेंगे।
प्रबंधन ने यह भी संकेत दिया है कि कंपनी उर्वरक (कॉम्प्लेक्स फर्टिलाइज़र), बीज और फसल संरक्षण (CPC) क्षेत्रों में और साझेदारियाँ कर सकती है।
पारादीप फॉस्फेट्स
1981 में स्थापित, पारादीप फॉस्फेट्स एक नॉन-यूरिया उर्वरक निर्माता और भारत की दूसरी सबसे बड़ी निजी क्षेत्र की फॉस्फेटिक कंपनी है। यह कंपनी विभिन्न प्रकार के कॉम्प्लेक्स फर्टिलाइजर्स के उत्पादन, व्यापार, वितरण और बिक्री से जुड़ी है।
FY26 की मजबूत शुरुआत कंपनी ने अच्छे मानसून और विवेकपूर्ण निष्पादन के बल पर की। Q1 में राजस्व 58% बढ़कर ₹3,754 करोड़ रहा, जबकि EBITDA ₹493 करोड़ और शुद्ध लाभ (PAT) ₹256 करोड़ रहा—जो पिछले वर्ष की तुलना में लगभग दोगुना है।
वॉल्यूम्स भी मज़बूत रहे, जिसमें 6.6 लाख टन तैयार उर्वरकों का उत्पादन हुआ और प्राथमिक बिक्री 34% बढ़कर 7.4 लाख टन तक पहुँच गई। प्रमुख N-20 ग्रेड ने रफ्तार बनाए रखी और 2.24 लाख टन तक पहुँचा, वहीं इस तिमाही में लगभग सात लाख बोतल बायोजेनिक नैनो फर्टिलाइजर्स की बिक्री हुई।
देखा जाये तो कंपनी सही सोच के साथ अपनी सल्फ्यूरिक एसिड क्षमता को 1.39 एमटीपीए (मिलियन टन प्रति वर्ष) से बढ़ाकर Q3 FY26 तक 2 एमटीपीए कर रही है और फॉस्फोरिक एसिड क्षमता को 0.5 एमटीपीए से बढ़ाकर दो वर्षों में 0.7 एमटीपीए करने की योजना बना रही है। कंपनी को शेयरधारकों से मैंगलोर केमिकल्स एंड फर्टिलाइजर्स (MCF) के साथ विलय की मंज़ूरी भी मिल चुकी है, जो वर्तमान में NCLT की अंतिम प्रक्रियाओं में है। इसके पूरा होने से कंपनी का आकार और पहुँच दोनों बढ़ने की संभावना है।
प्रबंधन ने EBITDA को लगभग ₹5,000 प्रति टन बनाए रखने का अनुमान जताया है, जिसे NPK की मज़बूत मांग और निरंतर सब्सिडी भुगतान से सहारा मिलेगा।
गुजरात स्टेट फर्टिलाइजर्स एंड केमिकल्स (GSFC)
1962 में स्थापित, गुजरात स्टेट फर्टिलाइजर्स एंड केमिकल्स एक सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी है, जिसे गुजरात सरकार द्वारा प्रोत्साहित किया गया है। यह विभिन्न प्रकार के उर्वरकों और औद्योगिक उत्पादों जैसे प्लास्टिक, सिंथेटिक रबर और मैन-मेड फाइबर्स के निर्माण में संलग्न है।
जून 2025 तिमाही में GSFC का प्रदर्शन स्थिर रहा। कंसोलिडेटेड राजस्व ₹2,184 करोड़ रहा, ऑपरेटिंग लाभ ₹193 करोड़ और नेट लाभ ₹139 करोड़ रहा। मार्जिन 9% पर मामूली रहे, लेकिन प्रोफिटेबिलिटी पिछले तिमाही की तुलना में बेहतर रही।
कंपनी, जो पश्चिम भारत की प्रमुख उर्वरक निर्माताओं में से एक है, यूरिया, कॉम्प्लेक्स उर्वरक और औद्योगिक रसायनों के अपने एकीकृत पोर्टफोलियो का लगातार विस्तार कर रही है। इसने अपने लाभांश वितरण का सिलसिला भी जारी रखा है और FY25 के लिए प्रति इक्विटी शेयर ₹5 का लाभांश घोषित किया है, जो इसकी मज़बूत नकदी प्रवाह (cash flows) में विश्वास को दर्शाता है।
रणनीतिक रूप से, GSFC दक्षता और स्थिरता पर ध्यान केंद्रित कर रहा है—ऊर्जा-बचत प्रौद्योगिकियों पर निवेश, उर्वरक इकाइयों का डिबॉटलनेकिंग (bottlenecks) हटाना और उच्च-मूल्य वाले उत्पादों में विविधीकरण करके सब्सिडी-आधारित राजस्व पर निर्भरता को कम करना इसका मुख्य उद्देश्य है। कंपनी के प्रशासन (governance) पर भी ध्यान दिया गया है, क्योंकि नई नेतृत्व टीम दीर्घकालिक विकास की दिशा में प्रयासरत है।
रसायनों और उर्वरकों—दोनों क्षेत्रों में बड़ी उपस्थिति के साथ, GSFC एक विविधीकृत कंपनी के रूप में उभरती है। यद्यपि निकट अवधि का प्रदर्शन इनपुट लागत की अस्थिरता पर संवेदनशील है, लेकिन कंपनी की कैपेक्स (Capex) योजनाएँ और मूल्य-वर्धित उत्पादों पर जोर इसे लंबे समय में स्थिरता प्रदान करने की संभावना रखते हैं।
मूल्यांकन
अब आइए इन उर्वरक कंपनियों के मूल्यांकन पर नज़र डालते हैं, जहाँ हम एंटरप्राइज़ वैल्यू टू EBITDA (EV/EBITDA) मेट्रिक का उपयोग करेंगे।
शीर्ष उर्वरक कंपनियों का मूल्यांकन (EV/EBITDA)
क्रम संख्या | कंपनी | EV/EBITDA | ROCE | 1 वर्ष का शेयर मूल्य रिटर्न |
---|---|---|---|---|
1 | कोरोमंडल इंटरनेशनल | 19.4 | 23.2% | 35.9% |
2 | चंबल फर्टिलाइजर्स | 7.7 | 26.8% | 6.9% |
3 | पारादीप फॉस्फेट्स | 10.1 | 13.7% | 98.8% |
4 | गुजरात स्टेट फर्टिलाइजर्स एंड केमिकल्स (GSFC) | 6.1 | 6.2% | -6.4% |
उद्योग माध्य (Industry Median) | 11.4 | 13.2% | NA |
स्रोत: Screener.in
ये आँकड़े दर्शाते हैं कि मूल्यांकन में उद्योग माध्य 11.4x की तुलना में बड़ा अंतर है। कुछ कंपनियाँ अपने उत्पाद विविधीकरण और विकास की स्पष्टता (growth visibility) पर निवेशकों के भरोसे के कारण बड़े प्रीमियम पर ट्रेड कर रही हैं, जबकि कुछ अन्य पीछे रह गई हैं क्योंकि उनकी आय सब्सिडी पर अधिक निर्भर है और वे चक्रीय दबाव (cyclical stress) झेल रही हैं।
यह अंतर स्पष्ट करता है कि निवेशक एक तरफ विकास और स्थिरता को महत्व दे रहे हैं, जबकि दूसरी ओर कुछ कंपनियों को केवल कैच-अप प्ले के रूप में देखा जा रहा है। निवेशकों के लिए बड़ा सवाल यह है कि क्या जिन कंपनियों पर प्रीमियम है, उनमें अभी भी आगे बढ़ने की गुंजाइश है, या फिर बेहतर अवसर उन कंपनियों में हैं जो उद्योग माध्य से नीचे ट्रेड कर रही हैं। अंततः सबसे अच्छे निवेश वहीं होते हैं, जहाँ बुनियादी मजबूती और मूल्यांकन (fundamentals & valuations) मिलकर भविष्य में वृद्धि की गुंजाइश प्रदान करते हैं।
शेयर मूल्य रिटर्न भी उतनी ही मिश्रित कहानी कहते हैं। जहाँ एक स्टॉक ने पिछले वर्ष लगभग तीन अंकों (near-triple digit) का रिटर्न दिया, वहीं दूसरी कंपनी अपने आकार के बावजूद नकारात्मक क्षेत्र में चली गई। यह अंतर बताता है कि बाज़ार दक्षता और विकास की संभावना को पुरस्कृत करता है, जबकि सब्सिडी-निर्भर अस्थिरता और कमजोर मार्जिन को दंडित करता है।
इन सभी मापदंडों को मिलाकर देखने पर संकेत मिलता है कि इस सेक्टर को केवल मूल्यांकन (valuations) के आधार पर नहीं आँका जा सकता। कुछ कंपनियाँ अपनी पूंजी दक्षता (capital efficiency) और लगातार विकास के चलते प्रीमियम पर ट्रेड कर रही हैं, जबकि अन्य कंपनियाँ सस्ती दिखाई देती हैं लेकिन उनके साथ संरचनात्मक जोखिम (structural risks) जुड़े हैं। निवेशकों के लिए असली चुनौती है कि वे इन वित्तीय संकेतकों को दीर्घकालिक मांग प्रवृत्तियों (long-term demand trends) और नीतिगत गतिशीलताओं (policy dynamics) के साथ तौलें और फिर पूंजी आवंटन (allocation) का निर्णय लें।
निवेश निष्कर्ष (Investment Takeaway)
हालाँकि मानसून और ग्रामीण खपत से उर्वरक की मांग को सहारा मिल रहा है, लेकिन यह उद्योग जोखिम-मुक्त (risk-free) नहीं है। लाभप्रदता (profitability) अब भी समय पर सब्सिडी रिलीज़ पर निर्भर करती है, जिसकी देरी कार्यशील पूंजी (working capital) पर दबाव डालती है और नकदी प्रवाह (cash flows) को बोझिल बना देती है।
फॉस्फोरिक एसिड और अमोनिया जैसे आयातित कच्चे माल पर अत्यधिक निर्भरता आय को वैश्विक कीमतों में उतार-चढ़ाव के प्रति संवेदनशील बना देती है। वहीं, नीतिगत कदम—जैसे पोषक-आधारित सब्सिडी सुधार (nutrient-based subsidy reforms) या निर्यात पर रोक—कभी भी पूरे परिदृश्य को बदल सकते हैं।
इसी बीच, कंपनियाँ इस निर्भरता को कम करने के लिए संगठित प्रयास कर रही हैं। फॉस्फोरिक और सल्फ्यूरिक एसिड के बैकवर्ड इंटीग्रेशन प्रोजेक्ट्स, संयंत्र दक्षता में सुधार, और विशेष पोषक तत्वों व बायोलॉजिकल उत्पादों में निवेश के माध्यम से मजबूती बढ़ाने की कोशिश की जा रही है।
संतुलित उर्वरीकरण (balanced fertilisation) और नैनो DAP जैसे मूल्य-वर्धित उत्पादों का धीरे-धीरे विस्तार भी स्थिर मार्जिन की संभावना प्रदान करता है।
इस प्रकार, उद्योग एक दो राहे (crossroads) पर खड़ा है: अब यह पूरी तरह सब्सिडी-आधारित तो नहीं रहा, लेकिन संरचनात्मक कमजोरियों (structural vulnerabilities) से भी पूरी तरह मुक्त नहीं है।
निवेशकों को पूंजी लगाने से पहले एक समग्र दृष्टिकोण (holistic consideration) अपनाने की ज़रूरत है—जहाँ उन्हें विकास के प्रोत्साहनों (growth catalysts) और उस अंतर्निहित अस्थिरता (intrinsic volatility) के बीच संतुलन बनाना होगा, जो अब भी उर्वरक उद्योग की पहचान है।
डिसक्लेमर:
नोट: इस लेख में हमने लगातार http://www.Screener.in से प्राप्त आंकड़ों पर भरोसा किया है। केवल उन्हीं मामलों में, जहाँ डेटा उपलब्ध नहीं था, हमने किसी अन्य लेकिन व्यापक रूप से उपयोग और स्वीकार किए गए स्रोत का सहारा लिया है।
इस लेख का उद्देश्य केवल रोचक चार्ट्स, आंकड़े और विचारोत्तेजक राय साझा करना है। यह किसी भी प्रकार की निवेश सिफारिश (recommendation) नहीं है। यदि आप निवेश पर विचार करना चाहते हैं, तो आपको दृढ़ता से सलाह दी जाती है कि आप अपने सलाहकार (advisor) से परामर्श लें। यह लेख केवल शैक्षिक उद्देश्यों (educative purposes) के लिए है।
Note: This content has been translated using AI. It has also been reviewed by FE Editors for accuracy.
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