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MF Assets : इंडस्ट्री का AUM बढ़कर दिसंबर 2024 के अंत तक 66.93 लाख करोड़ रुपये हो गया है, जो दिसंबर 2014 में 10.51 लाख करोड़ रुपये था. Photograph: (Image : Pixabay)
Mutual Fund Investors : निवेशकों के लगातार बढ़ते रूझान के चलते म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री का साइज दिनों दिन बढ़तार जा रहा है. मोतीलाल ओसवाल एसेट मैनेजमेंट कंपनी (एमओएएमसी) की लेटेस्ट रिसर्च 'व्हेयर द मनी फ्लो' के अनुसार, भारत की एसेट अंडर मैनेजमेंट इंडस्ट्री ने पिछले 10 साल में 6 गुना से अधिक की मजबूत ग्रोथ देखी है. वहीं इंडस्ट्री का एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) बढ़कर दिसंबर 2024 के अंत तक 66.93 लाख करोड़ रुपये हो गया है. जबकि दिसंबर 2014 में एसेट अंडर मैनेजमेंट 10.51 लाख करोड़ रुपये था. रिसर्च से यह भी पता चलता है कि पैसिव फंड एयूएम कुल मिलाकर 10.85 लाख करोड़ रुपये हो गया है जो 16% मार्केट शेयर है. जबकि एक्टिव फंड्स का एयूएम दिसंबर 2024 तक 56.08 लाख करोड़ रुपये है.
इक्विटी की हिस्सेदारी 60.19%
मोतीलाल ओसवाल एएमसी की रिसर्च के अनुसार, कुल एयूएम में 60.19% हिस्सेदारी के साथ इक्विटी का बड़ा हिस्सा है, इसके बाद डेट में 26.77%, हाइब्रिड में 8.58% और अन्य में 4.45% हिस्सेदारी है. रिसर्च का उद्देश्य एक स्नैपशॉट पेश करना है, जो पिछली तिमाही में म्यूचुअल फंड लैंडस्केप को आकार देने वाले गतिशील बदलावों और पैटर्न को उजागर करता है.
मोतीलाल ओसवाल एसेट मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड के एमडी और सीईओ प्रतीक अग्रवाल ने कहा कि भारत की म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री में मजबूत ग्रोथ देखी गई है. आर्थिक प्रगति और बढ़ती वित्तीय साक्षरता के कारण एयूएम 67 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है. इंडस्ट्री का यह विस्तार अलग अलग निवेशकों की जरूरतों को पूरा करने और वित्तीय इकोसिस्टम को मजबूत करने की इंडस्ट्री की क्षमता को दर्शाता है. इनोवेशन, टेक्नोलॉजी और टेलर्ड इन्वेस्टमेंट सॉल्यूशन, आगे ग्रोथ को बनाए रखने और भविष्य के अवसरों को तलाशने में महत्वपूर्ण होंगे.
फ्लेक्सी कैप और मिड कैप फंडों का दबदबा
मोतीलाल ओसवाल एसेट मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड के चीफ ऑफ बिजनेस पैसिव फंड्स के हेड प्रतीक ओसवाल ने कहा कि रणनीतिक और इनफॉर्म्ड निवेश निर्णय लेने के लिए वित्तीय बाजारों के अंदर भीतर धन की आवाजाही पर क्लेरिटी हासिल करना जरूरी है. लेटेस्ट रिपोर्ट दिसंबर 2024 को समाप्त तिमाही के लिए म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री के भीतर कैश फ्लो के ट्रेंड और निवेशकों के व्यवहार की भी जांच की है, जो पिछले दशक में एयूएम में 6 गुना ग्रोथ दर्शाती है, और यह 66.93 लाख करोड़ तक पहुंच गया. ये जानकारियां उभरते पैटर्न को उजागर करती हैं, जैसे एक्टिव फ्लेक्सी कैप और मिड कैप फंडों का प्रभुत्व, पैसिव फंड्स का 16 फीसदी बाजार हिस्सेदारी तक बढ़ना, और निवेशकों की बदलती प्राथमिकताएं.
इक्विटी फंड ने किया लीड
म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री ने दिसंबर तिमाही में लगभग 199 हजार करोड़ का नेट फ्लो दर्ज किया. तिमाही फ्लो में इक्विटी और डेट का योगदान 67 फीसदी और 19 फीसदी है. एक्टिव इक्विटी लगभग 105 हजार करोड़ के नेट इनफ्लो के साथ आगे रही, इसके बाद पैसिव इक्विटी में 29 हजार करोड़ का इनफ्लो रहा. एक्टिव डेट फंड में लगभग 47 हजार करोड़ का नेट इनफ्लो दर्ज किया गया, जबकि पैसिव डेट फंड में लगभग 9 हजार करोड़ का नेट आउटफ्लो दर्ज किया गया.
निवेशकों ने ब्रॉड बेस्ड फंड को प्राथमिकता दी
ब्रॉड-बेस्ड फंडों की बाजार हिस्सेदारी लगभग 69 फीादी है, जो अधिकांश इक्विटी नेट इनफ्लो पर कब्जा करते हैं. तिमाही बेसिस (QoQ) पर एक्टिव ब्रॉड-बेस्ड फंडों की हिस्सेदारी 57 फीसदी से बढ़कर 70 फीसदी हो गई, जबकि पैसिव ब्रॉड-बेस्ड फंडों की हिस्सेदारी QoQ बेसिस पर 90 फीसदी से घटकर 66 फीसदी हो गई.
एक्टिव इक्विटी के बीच, थीमैटिक फंडों में पिछली तिमाही की तुलना में नेट इनफ्लो में गिरावट देखी गई, जो 14 हजार करोड़ रुपये पर बंद हुआ. पैसिव इक्विटी में, ब्रॉड-बेस्ड इनफ्लो में गिरावट की भरपाई फैक्टर और सेक्टर फंडों में नेट इनफ्लो में बढ़ोतरी से हुई, जो इस तिमाही में नेट इनफ्लो का 22% और 10% था.
फ्लेक्सी कैप्स ब्रॉड-बेस्ड सेगमेंट में लीडर
निवेशकों ने एक्टिव फ्लेक्सी कैप और मिड कैप फंडों को प्राथमिकता दी, प्रत्येक ने लगभग 15 हजार करोड़ का नेट इनफ्लो किया. निवेशकों ने अपने लार्ज कैप आवंटन के लिए पैसिव को प्राथमिकता देना जारी रखा, इस कैटेगरी को नेट इनफ्लो का 84% हासिल हुआ. हालांकि, इनफ्लो की हिस्सेदारी में थोड़ी गिरावट आई, जो मिड-कैप और स्मॉल-कैप सेगमेंट की ओर ट्रांसफर हो गया.
थीमैटिक सेगमेंट : कंजम्पशन और इंफ्रास्ट्रक्चर को प्राथमिकता
कुल मिलाकर, थीमैटिक म्यूचुअल फंड में नेट इनफ्लो लगभग 17 हजार करोड़ से घटकर 14 हजार करोड़ हो गया. कंजम्पशन और इंफ्रा को थीमैटिक स्पेस में महत्वपूर्ण इनफ्लो हािसल हुआ और इसका योगदान 4.5 हजार करोड़ रहा. पैसिवली मैनेज्ड फंडों में कैपिटल मार्केट, ईवी और पर्यटन जैसे नए थीम का उदय हुआ.
कॉन्सटैंट मैच्योरिटी फंड्स
कॉन्सटैंट मैच्योरिटी फंड्स ने नेट इनफ्लो पर दबदबा बनाए रखा, जिससे कुल मिलाकर लगभग 37 हजार करोड़ का योगदान हुआ. इसके बाद कॉरपोरेट बॉन्ड और गिल्ट जैसी कैटेगरीज रहीं, जिनमें 6 हजार करोड़ और 4 हजार करोड़ का नेट इनफ्लो हुआ. दूसरी ओर, टारगेट मैच्योरिटी फंड ने लगभग 8 हजार करोड़ का नेट आउटफ्लो दर्ज किया.
लिक्विड फंड
कुल मिलाकर, लिक्विड फंड में लगभग 41 फीसदी नेट इनफ्लो शामिल है, जो कुल 15 हजार करोड़ है. इसके बाद लो ड्यूरेशन और अल्ट्रा शॉर्ट ड्यूरेशन कैटेगरीज रहीं, जिनमें 7.5 हजार करोड़ और 7 हजार करोड़ का नेट इनफ्लो रहा. आम तौर पर, निवेशक शॉर्ट टर्म में अतिरिक्त कैश जमा करने के लिए 1 साल तक की मैच्योरिटी वाले डेट फंड का उपयोग करते हैं, जिससे इनफ्लो और आउटफ्लो में हाई वोलेटिलिटी होती है. मनी मार्केट फंड के नेट इनफ्लो का हिस्सा 27% से घटकर 9% (QoQ) हो गया.
मल्टी एसेट फंड में मजबूत पकड़
मल्टी एसेट फंड ने नेट इनफ्लो का 48 फीसदी हासिल करके हाइब्रिड कैटेगरी को लीड किया, इसके बाद बैलेंस्ड एडवांटेज (25%) फंड रहे. इक्विटी सेविंग्स फंड के लिए नेट इनफ्लो का हिस्सा 26% से घटकर 15% हो गया, जबकि एग्रेसिव हाइब्रिड फंडों ने अपने मार्केट शेयर में ग्रोथ हासिल की, जो QoQ बेसिस पर 4% से बढ़कर 12% हो गया.
इंटरनेशनल फंड
इंटरनेशनल कैटेगरी में अलग अलग सेग्मेंट में मिनिमम फ्लो हुआ, जिसका मुख्य कारण आरबीआई द्वारा ऐसी योजनाओं में नए निवेश पर लगाए गए प्रतिबंध थे. एक्टिव ब्रॉड-बेस्ड और पैसिप ब्रॉड-बेस्ड फंडों में से दोनों ने 0.1 हजार करोड़ का नेट इनफ्लो दर्ज किया. पैसिवली मैनेज्ड थीमैटिक इंटरनेशनल फंडों में 0.3 हजार करोड़ का नेट आउटफ्लो देखा गया.
(Source : Motilal Oswal AMC)