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Investment Strategy : म्यूचुअल फंड में लंबे समय तक नियमित निवेश करना क्यों जरूरी है? (Image : Pixabay)
Mutual Fund Investment Strategy : म्यूचुअल फंड में निवेश के लिए अगर आपने एसआईपी यानी सिस्टमैटिक इनवेस्टमेंट प्लान (SIP) का रास्ता चुना है, तो आपको इसे लंबे अरसे तक लगातार जारी रखना चाहिए. कई बार ऐसा होता है कि लोग इसे बीच में ही छोड़ देते हैं, या समय-समय पर एक-दो किस्तें जमा नहीं करते हैं. वे सोचते हैं कि बाद में कर लेंगे या इस महीने कुछ खर्च ज्यादा हो गया तो रहने देते हैं. लेकिन यही छोटी-सी चूक लंबे समय में बड़ा नुकसान कर सकती है. एसआईपी की खूबसूरती ही इसमें है कि आप छोटे-छोटे अमाउंट से नियमित रूप से निवेश करते हैं और धीरे-धीरे एक बड़ी रकम तैयार हो जाती है. अगर आप इसे बीच में छोड़ते हैं या कभी-कभी स्किप करते हैं, तो आपकी फाइनेंशियल प्लानिंग की कामयाबी में रुकावट आ सकती है.
कंपाउंडिंग का जादू टूटने का खतरा
एसआईपी का सबसे बड़ा फायदा होता है कंपाउंडिंग का लाभ. जब आप नियमित रूप से निवेश करते हैं, तो आपके द्वारा कमाए गए रिटर्न भी आगे रिटर्न पैदा करते हैं. यह प्रक्रिया धीरे-धीरे आपके पैसे को काफी तेज रफ्तार से बढ़ाती है. लेकिन जैसे ही आप कोई एक किस्त छोड़ते हैं, ये साइकल टूटने लगता है और आपके लंबे समय के लाभ पर असर पड़ता है. यह ठीक वैसा ही है जैसे आप एक पौधे को पानी देना भूल जाएं और वह धीरे-धीरे सूखने लगे.
कहीं रुपी-कॉस्ट एवरेजिंग का फायदा न छूट जाए
एसआईपी का एक और बड़ा फायदा होता है ‘रुपी-कॉस्ट एवरेजिंग’. इसमें जब बाजार नीचे होता है, तब आपके पैसे से ज्यादा यूनिट्स खरीदी जाती हैं और जब बाजार ऊपर होता है, तब कम. इससे आपके निवेश की औसत लागत कम होती जाती है. लेकिन अगर आप बाजार में गिरावट के दौरान एसआईपी स्किप कर देते हैं, तो सस्ते भाव में यूनिट्स खरीदने का मौका गंवा देते हैं. यही यूनिट्स बाद में अच्छा रिटर्न देतीं, जो आप मिस कर देते हैं.
फाइनेंशियल गोल खतरे में पड़ सकता है
ज्यादातर लोग एसआईपी को किसी खास लक्ष्य से जोड़कर करते हैं—जैसे रिटायरमेंट, बच्चों की पढ़ाई, घर खरीदना या लंबी अवधि में दौलत बनाना. लेकिन अगर आप बीच-बीच में निवेश नहीं करते हैं, तो तय समय पर वो फंड नहीं बन पाता जिसकी आपने योजना बनाई थी. मान लीजिए आपने 10 साल के लिए एसआईपी शुरू की है और हर साल एक किस्त छोड़ दी, तो अंत में लगभग एक साल का निवेश आप खो देंगे. इसका सीधा असर आपके फाइनल कॉर्पस पर पड़ता है.
फाइनेंशियल डिसिप्लिन कमजोर पड़ता है
एसआईपी निवेश का एक अहम हिस्सा है वित्तीय अनुशासन. जैसे आप ईएमआई या बिजली का बिल समय पर भरते हैं, वैसे ही एसआईपी को भी हर महीने करते रहना चाहिए. यह आदत बन जाती है, जो आगे चलकर आपकी आर्थिक मजबूती और खुशहाली का आधार बनती है. लेकिन अगर आप एक बार निवेश छोड़ देते हैं, तो ये आदत टूटने लगती है और फिर दोबारा शुरू करना मुश्किल हो सकता है.
फंड हाउस का मैंडेट रद्द हो सकता है
अगर आप लगातार एसआईपी किस्तें नहीं भरते हैं, तो फंड हाउस या बैंक आपके ऑटो-डेबिट मैकेनिज्म को ही कैंसिल कर सकते हैं. इसके बाद आपको यह प्रॉसेस दोबारा शुरू करनी पड़ सकती है, जिसमें समय और मेहनत दोनों लगते हैं. इसके अलावा, भविष्य में इसका असर आपकी फाइनेंशियल क्रेडिबिलिटी और रेटिंग पर भी पड़ सकता है. खासकर अगर आप किसी लोन के लिए अप्लाई करते हैं.
समस्या हो तो समाधान खोजें
अगर आपके पास पैसे की तंगी है, तो एसआईपी बंद करने की जगह उसकी रकम को कुछ समय के लिए घटा सकते हैं. आजकल लगभग हर एसेट मैनेजमेंट कंपनी यह सुविधा देती है. कुछ मामलों में आप एसआईपी को अस्थाई रूप से पॉज भी कर सकते हैं. लेकिन ध्यान रहे कि यह विकल्प सिर्फ आखिरी उपाय के तौर पर इस्तेमाल करना चाहिए. इसे आदत ना बनाएं. और अपने मौजूदा निवेश को निकालने से बचें, जब तक कि वह बेहद जरूरी ना हो.
कुल मिलाकर समझना यही है कि म्यूचुअल फंड से वेल्थ बनाने के लिए नियमित निवेश करना जरूरी है. बाजार ऊपर-नीचे होंगे, लेकिन आपका निवेश का डिसिप्लिन बना रहना चाहिए. क्योंकि एसआईपी का मकसद बाजार को टाइम करना नहीं, बल्कि समय के साथ बाजार में बने रहना है.