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Mutual Fund New Rules : म्‍यूचुअल फंड्स के नियमों में हुए ये 8 बदलाव, क्‍या आपको इस बारे में है जानकारी

Mutual Funds Reform : मार्केट रेगुलेटर समय समय पर म्यूचुअल फंड के नियमों में कुछ न कुछ बदलाव करती है, ताकि निवेशकों का हित बना रहे. बीते कुछ सालों में म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री का लोकप्रियता निवेशकों के बीच बहुत ज्यादा बढ़ी है.

Mutual Funds Reform : मार्केट रेगुलेटर समय समय पर म्यूचुअल फंड के नियमों में कुछ न कुछ बदलाव करती है, ताकि निवेशकों का हित बना रहे. बीते कुछ सालों में म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री का लोकप्रियता निवेशकों के बीच बहुत ज्यादा बढ़ी है.

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Sushil Tripathi
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Mutual Funds Rules : बीते कुछ महीनों में सेबी ने म्यूचुअल फंड में कुछ बदलाव या रिफॉर्म किए हैं और आगे के लिए भी कुछ प्रपोजल है. (AI Image)

Mutual Funds Rules Change : मार्केट रेगुलेटर समय समय पर म्यूचुअल फंड के नियमों में कुछ न कुछ बदलाव करती है, ताकि निवेशकों का हित बना रहे. बीते कुछ सालों में म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री का लोकप्रियता निवेशकों के बीच बहुत ज्यादा बढ़ी है. इंडस्ट्री का कुल एयूएम 75 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा हो गया है. ऐसे में सेबी समय समय पर यह ध्यान रखती है कि नियमों में कुछ बदलाव किया जाए या रिफॉर्म किया जाए, जिससे म्यूचुअल फंड निवेशकों को लाभ हो. बीते कुछ महीनों में सेबी ने कुछ बदलाव या रिफॉर्म किए हैं और आगे के लिए भी कुछ प्रपोजल है. जानते हें पिछले एक साल के कुछ जरूरी बदलाव, जिनका असर सीधे तौर पर निवेशकों पर होगा. 

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1. कट-ऑफ टाइम में बदलाव

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इस साल SEBI ने ओवरनाइट म्यूचुअल फंड स्कीम्स के लिए कट-ऑफ टाइम में बदलाव किया है. 1 जून 2025 से ऑफलाइन लेनदेन का समय दोपहर 3 बजे तक हो गया है. ऑनलाइन लेनदेन का समय शाम 7 बजे तक है.  

इन समयों के बाद किए गए लेनदेन अगले कारोबारी दिन प्रोसेस होंगे, जिससे NAV (नेट एसेट वैल्यू) बदल सकती है. ओवरनाइट म्यूचुअल फंड्स सरकारी सिक्योरिटीज में एक दिन के लिए निवेश करते हैं और कम जोखिम वाले माने जाते हैं. यह बदलाव खासकर प्लेजिंग (गिरवी रखने) की प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए किया गया है.

2. NFO से जुटाए फंड का तय समय में निवेश 

एसेट मैनेजमेंट कंपनियों (AMCs) को नए फंड ऑफर (NFO) से जुटाए गए पैसों को तय समय में निवेश करना होगा. अगर वे ऐसा नहीं करते, तो निवेशक बिना एग्जिट लोड दिए अपना पैसा निकाल सकते हैं. यह नियम AMCs को जरूरत से ज्यादा पैसा जुटाने से रोकेगा और सही जगह निवेश सुनिश्चित करेगा. SEBI ने इसके लिए 30 दिन की समय सीमा तय की है.

इससे 30 दिन में निवेश का नियम सुनिश्चित करता है कि निवेशकों का पैसा जल्दी काम में लगे, खाली न रहे. अगर AMC समय पर निवेश नहीं करती, तो निवेशक बिना कोई चार्ज दिए पैसा वापस ले सकते हैं.

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3. अनिवार्य स्ट्रेस टेस्ट खुलासा

म्यूचुअल फंड स्कीम्स को स्ट्रेस टेस्ट के नतीजे बताने होंगे, ताकि निवेशकों को स्कीम की वित्तीय स्थिति का सही अंदाजा हो सके.

4. AMC कर्मचारियों का निवेश

AMC कर्मचारियों की सैलरी का कुछ हिस्सा म्यूचुअल फंड स्कीम्स में लगाया जाएगा. कितना पैसा और किन स्कीम्स में निवेश होगा, यह उनकी भूमिका पर निर्भर करेगा. इससे कर्मचारियों और निवेशकों का हित एक जैसा होगा.

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5. रिस्क पैरामीटर्स की जानकारी

अब से पहले, म्यूचुअल फंड्स के निवेशकों को अपने निवेश के रिस्क पैरामीटर्स की जानकारी महीने के अंत में मिलती थी. अप्रैल 2024 से, यह जानकारी हर महीने के 15 दिन के भीतर उपलब्ध होगी. 

6. शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस टैक्‍स 

अप्रैल 2023 के बाद खरीदे गए म्यूचुअल फंड में निवेश पर अल्पकालिक पूंजीगत लाभ के रूप में कर लगाया जाएगा. इसमें ऐसे फंड शामिल नहीं हैं, जहां घरेलू कंपनियों के इक्विटी शेयरों में 35% से अधिक निवेश नहीं किया गया है.

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7. डिविडेंड ऑप्शंस का नाम बदलना

म्यूचुअल फंड्स के इन्वेस्टर्स के लिए अप्रैल 2024 से डिविडेंड (लाभांश) ऑप्शंस का नाम बदलकर “इनकम डिस्ट्रीब्यूशन कम कैपिटल विद्ड्रॉल” किया जाएगा.

8. डिस्क्लोजर नियमों में बदलाव

AMFI और SEBI ने छोटे निवेशकों की सुरक्षा के लिए डिस्क्लोजर नियमों में बदलाव किया है. अप्रैल 2024 से, निवेशकों को अपने निवेश के लिए अधिक स्पष्ट और विस्तृत जानकारी प्राप्त करने का अधिकार होगा. यह नियम निवेशकों को उनके निवेश के लिए सही और समय पर जानकारी प्राप्त करने में मदद करेगा.

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