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EPF Benefits under New Tax Regime : नई टैक्स रिजीम अपनाने वाले कर्मचारियों को ईपीएफ कंट्रीब्यूशन पर टैक्स छूट मिलती है या नहीं? (Image : Pixabay)
EPF Benefits under New Tax Regime : नौकरीपेशा कर्मचारियों के वेतन से हर महीने एंप्लाईज प्रॉविडेंट फंड (EPF) के लिए कुछ पैसे कटते हैं. उतने ही पैसे उनके एंप्लॉयर भी अपनी तरफ से ईपीएफ में डालते हैं. पुरानी टैक्स रिजीम (Old Tax Regime) में इस पूरी रकम पर टैक्स छूट मिलती है. इतना ही नहीं, ईपीएफ पर मिलने वाले रिटर्न यानी ब्याज और मैच्योरिटी अमाउंट पर भी कोई इनकम टैक्स नहीं देना पड़ता. यानी इनकम टैक्स के लिहाज से यह स्कीम ‘ट्रिपल ई’ (Exempt - Exempt - Exempt) की कैटेगरी में आती है. लेकिन क्या नई टैक्स रिजीम को अपनाने वाले नौकरीपेशा कर्मचारियों को भी अपने और अपने एंप्लॉयर के ईपीएफ कंट्रीब्यूशन पर यह टैक्स छूट मिलती है?
नई टैक्स रिजीम में घट जाएगा टैक्स बेनिफिट
नई टैक्स रिजीम के तहत, कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) की टैक्स छूट का फायदा सीमित हो जाता है. EPF में कर्मचारियों का कंट्रीब्यूशन पुरानी टैक्स रिजीम के तहत सेक्शन 80C के तहत टैक्स छूट के लिए एलिजिबल था, लेकिन नई टैक्स रिजीम में यह छूट उपलब्ध नहीं है. इसका मतलब है कि अगर आप नई टैक्स रिजीम को चुनते हैं, तो आपकी ओर से EPF में किया गया कंट्रीब्यूशन टैक्स डिडक्शन के लिए एलिजिबल नहीं रहेगा. हालांकि, कंपनी की ओर से किए गए 12% तक के कंट्रीब्यूशन पर नई टैक्स रिजीम में भी छूट मिलती है. यह कंट्रीब्यूशन कर्मचारी के हाथों में टैक्स फ्री रहता है, लेकिन इसके लिए 7.5 लाख रुपये की सालाना लिमिट लागू होती है.
क्या नई टैक्स रिजीम में EPF का ‘ट्रिपल ई’ स्टेटस खत्म हो जाता है?
इस सवाल का जवाब यह है कि EPF का ‘ट्रिपल ई’ (EEE) टैक्स स्टेटस, यानी टैक्स-फ्री कंट्रीब्यूशन, टैक्स-फ्री ब्याज और टैक्स-फ्री मैच्योरिटी का फायदा, नई टैक्स रिजीम में कुछ हद तक बदल जाता है.
1. कर्मचारी का कंट्रीब्यूशन: नई टैक्स रिजीम के तहत EPF में कर्मचारी द्वारा किया गया कंट्रीब्यूशन सेक्शन 80C के तहत टैक्स डिडक्शन के लिए एलिजिबल नहीं है.
2. एंप्लॉयर का कंट्रीब्यूशन: एंप्लॉयर द्वारा EPF में कंट्रीब्यूशन पर 7.5 लाख रुपये की वार्षिक सीमा के भीतर टैक्स छूट मिलती है, जिसमें PF और NPS का कंट्रीब्यूशन शामिल है.
3. ब्याज और निकासी: EPF पर मिलने वाला ब्याज और निकासी अभी भी कुछ सीमाओं के तहत टैक्स-फ्री हैं, इसलिए EPF का पूरा EEE स्टेटस पूरी तरह समाप्त नहीं हुआ है.
क्या आप न्यू टैक्स रिजीम चुनने के बाद EPF में कंट्रीब्यूशन बंद कर सकते हैं?
नहीं. आप ऐसा नहीं कर सकते. EPF में कंट्रीब्यूशन कंपनी और कर्मचारी दोनों के लिए अनिवार्य होता है. अगर आपकी मंथली सैलरी 15,000 रुपये से अधिक है और आप EPF में पहले से सदस्य बन चुके हैं, तो रोजगार के दौरान आप इससे बाहर नहीं निकल सकते. इसका मतलब है कि नई टैक्स रिजीम को चुनने के बाद भी आपको और आपके एंप्लॉयर को EPF में कंट्रीब्यूशन जारी रखना होगा.
EPF में ऑप्शनल कंट्रीब्यूशन को कम करना संभव है
कर्मचारी अपनी मर्जी से EPF में जो एक्स्ट्रा कंट्रीब्यूशन करते हैं, उसे कम करने का विकल्प चुन सकते हैं. उदाहरण के लिए, अगर आपकी मासिक सैलरी 60,000 रुपये है, तो आपका कंपल्सरी यानी अनिवार्य कंट्रीब्यूशन 12% के हिसाब से 7,200 रुपये होता है. इसे आप घटाकर 15,000 रुपये के 12% के बराबर यानी 1,800 रुपये तक कर सकते हैं. लेकिन यह विकल्प तभी उपलब्ध हो सकता है, जब आपने ऑप्शनल कंट्रीब्यूशन को 5 साल से ज्यादा समय तक जारी रखा हो, क्योंकि पांच साल से पहले इस कंट्रीब्यूशन को बंद नहीं किया जा सकता.
EPF में कंट्रीब्यूशन घटाने का नफा-नुकसान
EPF में कंट्रीब्यूशन कम करने से आपकी टैक्सेबल इनकम बढ़ सकती है, क्योंकि आपका कंट्रीब्यूशन कम होने पर एंप्लॉयर का कंट्रीब्यूशन भी उतना ही घटाना होगा. ऐसा होने पर एंप्लॉयर अगर कंट्रीब्यूशन की बाकी रकम आपको अलग से देता है, तो उस पर आपके स्लैब के हिसाब से टैक्स लग सकता है. साथ ही, EPF में कम कंट्रीब्यूशन से आपके रिटायरमेंट फंड में जमा रकम भी घटेगी, जिससे आपकी रिटायरमेंट प्लानिंग पर असर पड़ सकता है.
नई टैक्स रिजीम चुनने वाले क्या कर सकते हैं?
- अगर आप नई टैक्स रिजीम में हैं, तो ध्यान रखें कि आपकी ओर से EPF में किया गया कंट्रीब्यूशन टैक्स फ्री नहीं रहेगा.
- अपनी रिटायरमेंट प्लानिंग और टैक्स बेनिफिट को समझते हुए अपने कंट्रीब्यूशन को कम या बढ़ाने का फैसला करें.
- EPF में कंपल्सरी यानी अनिवार्य कंट्रीब्यूशन जारी रहेगा, लेकिन एक्स्ट्रा कंट्रीब्यूशन कम करने का विकल्प विचार कर सकते हैं.